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रतनजीत सिंघ शैरी. इंदौर5 मिनट पहले
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देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन अपने विचार व्यक्त करते हुए।
अपने गौरव को पुनः स्थापित करने के लिए इतिहास की उपलब्धियों की ओर देखना जरूरी होता है। स्वतंत्रता के पूर्व भारत में श्रेष्ठ वैज्ञानिकों ने अपना योगदान दिया। इन वैज्ञानिकों ने गुलामी के दिनों में अभावों में काम करते हुए प्राचीन और आधुनिक विज्ञान में समन्वय स्थापित किया। नई शिक्षा नीति में भारतीय विज्ञान को शामिल किया गया है। उक्त विचार गुरुवार को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने महाराजा रणजीतसिंह कॉलेज में विज्ञान भारती के सहयोग से डॉ. जगदीशचंद्र बोस की जयंती पर आयोजित सेमिनार में व्यक्त किए। डॉ.जैन ने कहा कि युवा पीढ़ी को आजादी के पहले वैज्ञानिकों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण करना चाहिए। डीसीडीसी डॉ.राजीव दीक्षित ने पॉवर प्रेजेंटेशन के माध्यम से विद्यार्थियों को आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय, डॉ.जगदीशचंद्र बोस के कार्यों से अवगत कराया।

सेमिनार में कॉलेज के प्राचार्यों सहित अनेक प्राध्यापक शामिल हुए।
विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सचिव प्रवीण रामदास (केरल) ने
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