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सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला
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सिविल जज भर्ती नियम में किए गए संशोधन की वैधानिकता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिका पर अगली सुनवाई 1 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
नरसिंहपुर निवासी अधिवक्ता वर्षा पटेल की तरफ से दायर याचिका में हाईकोर्ट की अनुशंसा पर प्रदेश सरकार न्यायिक सेवा भर्ती नियम 1994 में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई थी। इसके साथ अन्य जिलों के उम्मीदवारों ने भी याचिकाएं दायर कर नियमों का चुनौती दी है। याचिका में कहा गया कि उक्त संशोधन के तहत एलएलबी में 70 फीसदी से कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी तीन साल की वकालत के अनुभव के बाद सिविल जज परीक्षा के योग्य होंगे, जो अवैधानिक है। सिविल जज के साक्षात्कार परीक्षा में 50 अंको में से न्यूनतम 20 अंक प्राप्त किए जाने पर ही सिविल जज के पद के योग्य मान्य किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि नियमों में कहीं भी यह प्रावधान नहीं किया गया है कि अनारक्षित पदों को परीक्षा के प्रथम तथा द्वितीय चरण में कैसे भरा जाएगा। इसके अलावा ओबीसी वर्ग के लिए समस्त योग्यताएं अनारक्षित वर्ग के समान निर्धारित की गई हैं, जो कि संविधान के अनुछेद 14 एवं 16(4) तथा आरक्षण अधिनियम 1994 का उल्लंघन है। याचिका में राहत चाही गई है कि हाईकोर्ट की समस्त भर्तियों को निष्पक्ष तथा पारदर्शी बनाने के लिए लोक सेवा आयोग या राज्य की किसी परीक्षा एजेंसी से परीक्षा कराई जाए। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने विधि एव विधायिक विभाग तथा हाईकोर्ट रजिस्टार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने जवाब पेश करने एक दिन का समय प्रदान किया। याचिकाकर्ता की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ तथा रामेश्वर सिंह ठाकुर उपस्थित हुए।
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