Home मध्यप्रदेश Mp Election 2023:जबेरा सीट से ग्राउंड रिपोर्ट, 71 साल में तीन बार...

Mp Election 2023:जबेरा सीट से ग्राउंड रिपोर्ट, 71 साल में तीन बार बदला नाम, अब बागी बन रहे मुसीबत – Mp Election 2023: Damoh District Jabera Assembly Seat Ground Report Rebels Will Be Matter Of Concern

37
0

[ad_1]

MP Election 2023: Damoh District Jabera Assembly Seat Ground Report Rebels Will Be Matter of Concern

जबेरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दमोह जिले की जबेरा विधानसभा का अलग  ही इतिहास है। 71 साल में तीन बार विधानसभा सीट का नाम बदला है। इस लोधी बाहुल्य विधानसभा सीट की पहचान रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व, वीरांगना रानी दुर्गावती के अदम्य साहस और वीरता के प्रतीक सिगौरगढ़ किला और नोहटा के नोहलेश्वर मंदिर से है। भाजपा-कांग्रेस ने 2018 के प्रत्याशियों को फिर से मैदानम में उतारा है।   

तेंदूखेड़ा, फिर नोहट और अब जबेरा

जबेरा विधानसभा का नाम हमेशा से यह नहीं रहा। पहली बार 1952 में चुनाव हुए तब यह तेंदूखेड़ा सीट थी। कांग्रेस के रघुवर प्रसाद मोदी ने लक्ष्मण सिंह को हराया था। 1957 में परिसीमन के बाद सीट का नाम हुआ नोहटा। कांग्रेस के कुंज बिहारी गुरु ने निर्दलीय मुन्नालाल को हराया। 2007 में परिसीमन हुआ और नाम बदलकर जबेरा हो गया। 1990 तक कांग्रेस के कब्जे में रही इस सीट पर राजबहादुर सिंह के खिलाफ रत्नेश सालोमान ने बगावत की और निर्दलीय चुनाव लड़ा। तब कांग्रेस तीसरे स्थान पर पहुंची थी। भाजपा के ओम प्रकाश बुग्गे जीत गए थे। तब से अब तक जबेरा विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला होता रहा है। पिछले कुछ चुनावों में निर्दलियों के तौर पर बागियों ने भाजपा को फायदा ही पहुंचाया है। 2011 में भाजपा के दशरथ सिंह ने उपचुनाव जीता और राज्यमंत्री बने। तब तक रत्नेश सालोमन यहां से चुनाव जीतते रहे। उनके निधन के बाद ही भाजपा यहां जीती।  

लोधीबाहुल्य है सीट

लोधीबाहुल्य जबेरा विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा लोधी समाज के प्रत्याशी खड़े करती आई है। इससे अन्य जातियों की उपेक्षा से नाराजगी देखी गई है। चुनाव पर इसका कमोबेश खास असर नहीं होता, लेकिन मुकाबला रोचक हो जाता है। जबेरा विधानसभा में करीब 2.10 लाख वोटर हैं। 60 हजार से अधिक आदिवासी, 50 हजार लोधी, 30 हजार दलित, 15 हजार राय, 20 हजार यादव, आठ हजार जैन, 10 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। शेष अन्य जातियों से हैं। 

2018 में चतुष्कोणीय हुआ था मुकाबला

2018 में कांग्रेस और भाजपा में टिकट वितरण से असंतोष हुआ और दोनों पार्टियों के बागी चुनाव मैदान में थे। 2018 में भाजपा से धर्मेंद्र सिंह लोधी और कांग्रेस से प्रताप सिंह मैदान में थे। भाजपा के बागी राघवेंद्र सिंह और कांग्रेस के बागी रत्नेश सालोमन के बेटे आदित्य सालोमन ने वोट काटे। फायदा भाजपा को मिला। भाजपा के धर्मेंद्र सिंह करीब 3500 वोटों से कांग्रेस के प्रताप सिंह को हराने में कामयाब रहे थे। 

फिर आमने-सामने दोनों प्रत्याशी 

2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के पुराने प्रत्याशी सामने हैं। भाजपा से वर्तमान विधायक धर्मेंद्र सिंह लोधी के टिकट कटने की चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने उन पर ही भरोसा जताया। राघवेंद्र सिंह की भाजपा में वापसी के बाद उनकी उम्मीदवारी भी चर्चा में थी। कांग्रेस के पास प्रताप सिंह से बड़ा कोई चेहरा नहीं है। भाजपा जिला उपाध्यक्ष विनोद राय ने पार्टी से इस्तीफा देकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ने की बात कहकर भाजपा की मुसीबत जरूर बढ़ा रखी है। 

रिपोर्टः दमोह से कैलाश दुबे

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here