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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
– फोटो : Social Media
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जबलपुर हाईकोर्ट जस्टिस डीके पालीवाल ने अपने आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 82 के तहत आरोपी को फरार घोषित करने से पहले उसे उपस्थित लिए 30 दिनों का समय प्रदान करना अनिर्वाय है। एकलपीठ ने जेएमएफसी द्वारा आरोपी की उपस्थिति के लिए जारी किये गये आदेश को निरस्त कर दिया।
याचिकाकर्ता संजय असाटी तथा उपेन्द्र खरे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि छतरपुर जिले के भगवा थाने में उनके खिलाफ धारा 306 व 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। गिरफ्तार नहीं कर पाने कारण पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 82 के तहत उन्हें फरार घोषित किये जाने आवेदन दायर किया था, जिसकी सुनवाई करते हुए जेएमएफसी ने सात अक्तूबर 2023 को आदेश जारी किए कि 25 अक्तूबर तक आरोपी न्यायालय में पेश नहीं होते हैं तो उन्हें फरार घोषित कर दिया जायेगा।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क किया गया कि सीआरपीसी की धारा 82 में प्रावधान के तहत आरोपी को पेश होने 30 दिन का समय प्रदान किया जाये। जेएमएफसी ने पेश होने के लिए 30 दिनों का समय प्रदान नहीं किया। सरकार की तरफ से बताया गया कि प्रकरण दर्ज किये जाने की तारीख पांच जुलाई से फरार है। न्यायालय ने उनके खिलाफ गैर जमानतीय वारंट भी जारी किया था। वह गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार फरार चल रहे हैं।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पारित आदेश में सीआरपीसी धारा 82 के प्रावधानों का विधिवत रूप से पालन नहीं किया गया है, जिसके कारण आदेश खारिज किया जाता है। पुलिस दूसरा आवेदन पेश करती है तो समक्ष न्यायालय कानूनी प्रावधानों के तहत आदेश पारित कर सकता है।
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