[ad_1]

मध्य प्रदेश चुनाव।
– फोटो : Amar Ujala Digital
विस्तार
बिहार की तर्ज पर मप्र में भी जातिगत जनगणना करने के कांग्रेस के वादे के बीच सियासत अजा-जजा वर्ग की ओर केंद्रित हो गई है। ऐसे में जानते हैं कि प्रदेश की अनुसूचित जाति की मौजूदा सियासी स्थिति क्या है। मप्र की कुल आबादी का 21 प्रतिशत के करीब अनुसूचित जाति का है। विधानसभा की 230 सीटों में से अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं, जो कुल सीटों को 15. 22 प्रतिशत है। प्रदेश के अंचल के अनुसार देखें तो मालवा निमाड़ में सर्वाधिक नौ सीटें हैं। ग्वालियर-चंबल और मध्य भारत में 7-7 सीटें इस वर्ग की हैं।

वर्ष 2013 में अनुसूचित क्षेत्रों में बसपा ने तीन सीटें जीतीं और एक सामान्य सीट दिमनी से बसपा का उम्मीदवार विजयी रहा था। इस तरह प्रदेश में चार पर इस वर्ग ने सफलता प्राप्त की थी। वहीं, पिछले चुनाव में बसपा को कोई स्थान नहीं मिला था। 2018 में बसपा को इन 35 सीटों पर 2 लाख 89 हजार 629 मत प्राप्त हुए थे।

सामान्यतः प्रदेश की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का दबदबा रहता है। वर्ष 2018 के चुनाव में 35 सीटों में से 18 भाजपा और 17 कांग्रेस को मिली थीं। वहीं, 2013 में भाजपा को 28, कांग्रेस 4 एवं बसपा को तीन सीटें मिली थीं। पिछले दो चुनावों में सभी अंचलों में भारतीय जनता पार्टी का प्रभाव रहा।
वर्ष 2008 से 2018 के तीन चुनावों में इन 35 सीटों पर सर्वाधिक भाजपा ने जीतीं। आगामी चुनाव में भाजपा अपना वर्चस्व कितना रख पाएगी या अन्य दल भाजपा के प्रभाव को तोड़ पाने में कितने कामयाब होंगे। ये तीन दिसंबर को आने वाले परिणाम बताएंगे।

अजा सीटों की रोचक जानकारी
- 2018 के चुनाव में अम्बाह सीट पर नेहा किन्नर ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर 29,796 मत प्राप्त किए थे। नेहा दूसरे स्थान पर रही और भाजपा तीसरे स्थान पर।
- सभी अंचलों में वर्ष 2018 में दूसरे स्थान पर तीन और तीन जगह पर चार उम्मीदवार रहे थे।
- वर्ष 2018 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर भाजपा ने 23 लाख 16 हजार 448 मत प्राप्त किए थे। वहीं, कांग्रेस ने 23 लाख 51 हजार 316 मत प्राप्त किए थे। कांग्रेस के वोट ज्यादा थे पर भाजपा को 18 एवं कांग्रेस को 17 स्थान पर विजय मिली थी।
[ad_2]
Source link

