इच्छा तो केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भी जरा भी नहीं थी
केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री तथा छतरपुर-टीकमगढ़ सांसद वीरेन्द्र खटीक इन दिनों अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे पर हैं। पत्रकारों के सवाल के जवाब में उनका कहना था कि वह विधान सभा चुनाव में नहीं उतरेंगे। उनकी चुनाव लड़ने की कोई इच्छा नहीं है।
#उल्लेखनीय है कि भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में तीन केन्द्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदो को विधान सभा चुनाव हेतु प्रत्याशी बनाया है। अटकलें हैं कि अगली सूची में कुछ और सांसदों सहित भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और खजुराहो सांसद बीडी शर्मा तथा केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक का भी विधान सभा प्रत्याशी के लिए नाम घोषित किया जा सकता है।
#संभावना है कि बीडी शर्मा को भोपाल की किसी सीट से और वीरेन्द्र खटीक को सागर जिले की बीना अथवा टीकमगढ़ जिले की आरक्षित जतारा सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। लेकिन वीरेन्द्र खटीक ने अपनी अनिच्छा जाहिर की है।
#अब केन्द्रीय मंत्री को समझना चाहिए कि आलाकमान के सामने किसी की कहाँ चल पाती है। इच्छा हो या अनिच्छा हो, यदि नीतिगत निर्णय हुआ तो बिना इच्छा के भी मैदान में उतरना ही पड़ेगा। इच्छा तो केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की भी जरा भी नहीं थी। लेकिन आलाकमान के निर्णय के सामने उनको जो हुकुम मेरे आका कहकर साष्टांग होना पड़ा। ऐसी ही स्थिति केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक की भी हो सकती है।



