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बुरहानपुर (म.प्र.)20 मिनट पहले
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देश में केंद्र सरकार की एकमात्र मिल, जो चालू हालत में है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने ट्वीट कर दी जानकारी।
नेपानगर में स्थित एशिया महाद्वीप की सबसे पुरानी और बड़ी पेपर मिल नेपा लिमिटेड में 75 साल के इतिहास में पहली बार राइटिंग और प्रिंटिंग पेपर बनना शुरू हुआ। इसकी जानकारी खुद केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय ने ट्वीट कर सार्वजनिक की है। मप्र की भी यह पहली ऐसी सरकारी मिल है जहां राइटिंग और प्रिंटिंग पेपर बनना शुरू हुआ है। मिल को 26 अप्रैल 1956 को देश के तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री स्व पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को समर्पित किया था।
खास बात यह है कि यह देशभर में एकमात्र नेपा मिल ऐसी है जो केंद्र सरकार का उपक्रम है और चालू स्थिति में है। मिल का दोबारा रिनोवेशन 23 अगस्त 22 को हुआ था। अब जाकर यहां राइटिंग और प्रिंटिंग पेपर बनना शुरू हुआ। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्रनाथ पांडेय ने भी मिल की इस उपलब्धि पर ट्वीट कर कहा- गणेश चतुर्थी पर भारी उद्योग मंत्रालय के उपक्रम नेपा लिमिटेड ने पहली बार लेखन और मुद्रण कागज का निर्माण कर अपने गौरवपूर्ण इतिहास में एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। इस उपलब्धि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को और अधिक बल मिलेगा।
दो प्रकार का कागज किया जा रहा तैयार
नेपा मिल में अब दो प्रकार का कागज तैयार किया जा रहा है एक तो पुराने कागज और रद्दी को रिसाइकिल कर अखबारी कागज न्यूज प्रिंट जिसके लिए इसका नाम उद्योग जगत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है तो वहीं दूसरी ओर अब लेखन और मुद्रण कागज का उत्पादन भी प्रारंभ हो चुका है।

अध्यक्ष बोले- यह सभी के प्रयासों से संभव
इसे लेकर नेपा मिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सौरभ देब ने कहा- यह सभी के प्रयासों से संभव हो सका है। अधिकारियों, कर्मचारियों ने इसके लिए अथक परिश्रम किया। हमें इसी प्रकार से सामंजस्य के साथ लगातार प्रतिस्पर्धी बाजार की आवश्यकता के अनुरूप अपना बेहतरीन प्रदर्शन निरंतर जारी रखना होगा ताकि नेपा अपने गौरवशाली इतिहास के साथ साथ आधुनिक उद्योग जगत में भी स्वावलंबन के साथ अपनी सशक्त भूमिका निभा सके।
यह है मिल का इतिहास- 26 अप्रैल 1956 को देश को समर्पित हुई थी मिल
– 26 अप्रैल 1956 को तत्कालीन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने नेपा मिल राष्ट्र को समर्पित की थी। 2015-16 में मिल का रिनोवेशन शुरू हुआ। करीब 469 करोड़ की लागत से यह मिल दोबारा अस्तित्व में आई। पहले यहां वनोपज आधारित अखबारी कागज बनता था यानी सलाई और बांस से कागज निर्माण होता रहा, लेकिन बाद में वेस्टेज पेपर से लुगदी बनाकर निर्माण होने लगा। यहां राइटिंग और प्रिंटिंग पेपर बनना शुरू हुआ है।
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