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भोपालएक घंटा पहले
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पीसीसी चीफ कमलनाथ ने भोपाल में आयोजित हुए राष्ट्रीय पंचायती राज सम्मेलन में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की जमकर तारीफ की। रवीन्द्र भवन में हुए कार्यक्रम में यूपी के पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बृजलाल खाबरी भी मौजूद थे। कार्यक्रम में कमलनाथ ने कहा- पंचायती राज का इतिहास कांग्रेस से शुरु नहीं होता। पंचायती राज का चिन्ह बहुत पहले से है। पंचों को परमेश्वर माना जाता था। पंचायत राज की जडें वैदिक काल से जुडी हुई हैं। रामायण और महाभारत काल में पंचायती राज की व्यवस्था थी। ये तो इतिहास है। विश्व के बहुत से देश चौंकते थे। जब हमने पंचायती राज का कानून बनाकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसकी शुरुआत की थी। बहुत सारी समस्याएं थीं लेकिन उन्होंने पंचायती राज का पहला कदम उठाया था। राजीव गांधी ने पंचायती राज का संविधान में संशोधन करके लागू किया था।
देश में सबसे पहले दिग्विजय सरकार ने पंचायती राज लागू किया
कमलनाथ ने कहा- कांग्रेस की सरकार में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। दिग्विजय सिंह ने ऐसा पंचायती राज लागू किया जो देश में किसी प्रदेश ने लागू नहीं किया था। दस साल वह चला। उसमें जनप्रतिनिधियों के पास अधिकार थे, हमारे पंच सरपंच उपसरपंचों का सम्मान था। लेकिन आज के समय तो केवल रबर स्टाम्प और ठप्पे वाले हैं झुनझुनावाला जो पंचायती राज है। वो सबके सामने हैं। आज क्या हो रहा है दिग्विजय सिंह ने जो अधिकार दिए। वो बीजेपी की सरकार ने छीन लिए।

पंचायती राज प्रतिनिधियों ने कमलनाथ का स्वागत किया। कार्यक्रम में यूपी के पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बृजलाल खाबरी भी मौजूद थे।
हमारा देश गांव में बसता है
कमलनाथ ने कहा- बाकी प्रदेश के लोग संसद में मुझसे पूछते थे। दिग्विजय सिंह ने ये कैसे लागू किया। मैं कहता था आपके वश की बात नहीं है ये तो जहां कांग्रेस की सरकार है जहां कांग्रेस मजबूत से है। वहीं यह लागू हो सकता है। आपको जो अधिकार दिए वो अधिकार, इतिहास में कभी हमारे गांव तक नहीं गए। क्योंकि अपने देश को हमें पहचानना है। अपना देश भोपाल दिल्ली, मुंबई वाला देश नहीं। अपना देश गांव में बसा देश है। जब तक अधिकार गांव से शुरु नहीं होंगे। जब तक चुने हुए प्रतिनिधियों को नहीं मिलेंगे। तब तक गांव खुशहाल नहीं हो सकता।
कई उपसरपंच साथी मुझे मिलते हैं और बताते हैं कि हमें तो बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं देते। पंच अपने वार्ड में छोटे से सौ-दो सौ लोगों के बीच काम करना चाहता है। वो कोई विधानसभा के टिकट के लिए पंच का चुनाव नहीं लड़ता। वो तो समाजसेवा की भावना से आता है। लेकिन आज उनको ना तो अधिकार हैं और ना ही सम्मान।
अंबानी-अडाणी का बिल सौ यूनिट होता तो उनसे भी सौ रुपए लिए जाते
कमलनाथ ने कहा- 15 महीनों की कांग्रेस की सरकार बनी थी। मेरा लक्ष्य था सबसे पहले हम व्यवस्था बदलें। 15 महीनों में से ढाई महीने आचार संहिता में गए। साढे़ 11 महीनों में हमने अपनी नीति और नियत का परिचय दिया। अगर हमने सौ रुपए में सौ यूनिट बिजली दी तो शासकीय अमला कहता था कि ये कागज लाओ, ये सर्टिफिकेट लाओ। मैंने कहा बिजली का बिल मेरा सर्टिफिकेट है जिसके सौ यूनिट आए, उसका बिल सौ रूपए ही लेंगे। अगर अडाणी, अंबानी के सौ यूनिट हैं तो उसका भी सौ रूपए बिल होगा। ये कागज हटाओ।
कमलनाथ ने कहा – मुझे तो व्यवस्था में परिवर्तन हो ये मप्र में सबसे बड़ी जरूरत है। हमने किसानों का कर्जा माफ किया, गौशालाएं बनाई मैंने कौन सा पाप किया। क्योंकि मैं जानता था कि किसानों को सबसे पहले मजबूती देनी है। हमने शुरुआत की। किसान को बीज और खाद के लिए भटकना ना पडे़।

पंचायत राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कमलनाथ को मांग पत्र सौंपा।
हिसाब यात्रा निकालें शिवराज
कमलनाथ ने कहा- शिवराज जी आप यात्रा निकालते हैं आप हिसाब यात्रा निकाल लीजिए।हमारे सरपंचों को हिसाब दे दीजिए आपने कैसे उनके अधिकार और सम्मान छीना। जब आप सम्मान छीन लेते हैं तो सब कुछ छिन जाता है। मैं कहता हूं ऐसा चुनाव कभी नहीं आया जहां प्रदेश का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। बेरोजगार नौजवान जो निर्माण करेगा। अगर इनका ही भविष्य अंधेरे में रहा तो हम कैसा प्रदेश का निर्माण करेंगे।
मूल पंचायत राज व्यवस्था लागू की जाए हम ही तो थे जिन्होंने लागू की थी। आपको हमें समझाने की जरूरत नहीं हैं। ग्राम न्यायालय बनाने, मनरेगा की समस्याओं को कैसे सुलझाया जाए। ये समस्याएं भोपाल के मंत्रालय में, जिला कार्यालय में नहीं सुलझ सकतीं ये तो गांव में ही सुधर सकती हैं।
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