[ad_1]
बालाघाट41 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

पोला पर्व के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को मारबत का पर्व धूमधाम से मनाया गया। नगर के बूढ़ी से मारबत का सार्वजनिक रूप से जुलूस निकाला गया। इसमें काफी संख्या में लोग मौजूद रहे। पोला के दूसरे दिन तान्हा पोला पर मारबत निकालने की प्रथा शहर में कई वर्षों से चली आ रही है।
असुरी और बुराई की प्रतिक मारबत को नगर में बड़े ही उत्साह के साथ निकाला जाता है। शहर की सीमा से दूर उसका दहन किया जाता है। कहा जाता है कि महाभारत काल में कंस की बहन पुतना राक्षसी के श्रीकृष्ण के हाथों मारे जाने के बाद गोकुलवासियों ने मारबत को गांव के बाहर ले जाकर जला दिया था। ताकि गांव की सभी बुराइयां एवं कुप्रथाएं बाहर चली जाएं। तभी से मारबत का निर्माण किया जा रहा है।
ऐसी धारणा है कि मारबत को शहर से बाहर ले जाकर जलाने से सारी बुराइयां, बीमारियां, कुरीतियां भी खत्म हो जाती है। बालाघाट मुख्यालय में प्रतिवर्ष समाज की किसी न किसी बुराई को प्रेरणा स्त्रोत बनाकर युवाओं की टीम मारबत का निर्माण करती है और उसका वार्डों एवं बस स्टैंड से जुलूस निकालकर भटेरा में दहन करती है।
इस वर्ष भी मारबत पर्व पर बूढ़ी से युवाओं ने मारबत निकाली। जो महंगाई की मारबत थी। इसमें शामिल युवा, महंगाई को घेऊन जा रही मारबत का घोष कर रहे थे। प्रतिवर्ष बूढ़ी से युवा मारबत का निर्माण कर उसे धूमधाम से निकालते है। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी मारबत का युवाओं ने जुलूस निकालकर घेऊन जा-री मारबत का उद्घोष कर उसका दहन किया। ताकि समाज में व्याप्त महंगाई और बुराईयां को मारबत अपने साथ ले जाए और यह खत्म हो।

[ad_2]
Source link

