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बैतूल13 मिनट पहले
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पिता को जिंदा साबित करने की लड़ाई लड़ रहे युवक ने प्रशासन से 45 करोड़ रुपए मांगे है। बुधवार को कलेक्टर को आवेदन देकर उसने परिवार की मानहानि होने का आरोप लगाते हुए 45 करोड़ का हर्जाना मांगा है।
युवक का कहना है कि जिंदा पिता को सरकारी दस्तावेजों में मृत बताने और उसकी मां पर की गई एफआईआर से उसके परिवार की मानहानि हुई है।जिसका जिम्मेदार प्रशासन है।
मुलताई के ताइखेड़ा निवासी युवक विजय धाकड़ पिछले एक साल से अपने जीवित पिता तिलकचंद को सरकारी दस्तावेजों में मृत दिखाए जाने के बाद से भटक रहा है। उसने पिछले साल 12 फरवरी को मुख्यमंत्री की सभा में भी जमकर हंगामा किया था। जिसके बाद उसकी मां सावित्री के खिलाफ प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कर ली थी। आज इस युवक ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अपने इस मामले में उसे मुआवजा दिलाने की मांग का आवेदन सौंपा है।
युवक का कहना है कि उसका परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इस मामले में चल रहे प्रकरणों में उसका बहुत पैसा खर्च हो गया है। जबकि उसके परिवार की मानहानि भी हुई है। इसलिए प्रशासन उसे 45 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा चुकाएं। युवक ने कहा कि अभी उसने सामान्य आवेदन दिया है। अगर उस पर कार्यवाही नहीं की जाती है तो वह कलेक्टर को लीगल नोटिस भेजकर हर्जाने की मांग करेगा।
17 सालों से कागजों में मृत है युवक के पिता
बता दें कि विजय सरकारी सिस्टम में पिछले 17 साल से मृत अपने पिता को जिंदा साबित करने के लिए भटक रहा है। रिश्तेदारों ने ही उसे सरकारी कागजों में मृत बता दिया और उसकी बेशकीमती जमीन हथिया ली। अब कलेक्टर से लेकर सीएम तक गुहार लगा चुका है। उसके वृद्ध पिता और उसके परिजन हताशा की जिंदगी जी रहे हैं। जिले की मुलताई तहसील के तांईखेड़ा ग्राम निवासी तिलकचंद धाकड़ को दिसम्बर 2004 में सरकार के राजस्व रिकार्ड में मृत घोषित कर दिया था। मृत घोषित करने के बाद फौतीनामा जारी कर उसके नाम की संपत्ति दूसरे के नाम स्थानांतरित हो गई।
अब तक की 60 शिकायतें
मामले की पड़ताल में सामने आया है कि तिलकचंद धाकड़ के बेटे विजय धाकड़ ने इस मामले में तहसील कार्यालय मुलताई से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक लगभग 60 शिकायतें की हैं। जिसमें 24 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन में पेंडिंग है। विजय धाकड़ का कहना है कि मूल रूप से वह किराड़ समाज का है। जब 2004 में उसकी उम्र 4 से 5 साल की रही होगी। तभी उसके पिता को रिकार्ड में मृत घोषित कर दिया गया था। रिश्तेदारों ने षड़यंत्र कर प्रशासन को गुमराह कर 8 एकड़ जमीन फौतीनामा के आधार पर किसी और के नाम से स्थानांतरित करा दिया है। षड़यंत्रकारों ने उनके पास जमीनी नहीं छोड़ी और उन्हें दूसरों की मजदूरी करने के लिए छोड़ दिया।
अदालत में चल रहा मामला
तिलकचंद धाकड़ का मामला सिविल न्यायालय में चल रहा है। पूरे मामले की जांच में पता चला कि 2004 में फौतीनामा गलत हुआ है। उस समय एक पटवारी हरिदास श्रीरसागर के द्वारा यह फौतीनामा किया गया था लेकिन उसमें हस्ताक्षर हरिदास के नहीं है। बल्कि एक ट्रेनी महिला पटवारी हरिदास से ट्रेनिंग ले रही थी। उसने हस्ताक्षर किए थे। 2018-19 में एसडीएम कार्यालय मुलताई से फौती नामांकरण निरस्त कर दिया गया था। इस मामले में दूसरा पक्ष ने कमिश्रर कार्यालय में अपील कर दी थी और इस कार्यालय के आदेश के बाद फौती नामा आज भी अस्तित्व में है।
सीएम के कार्यक्रम में हंगामा
12 फरवरी 2022 को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान से मिलने आए तिलकचंद धाकड़ और उसके बेटे विजय धाकड़ को जब मिलने नहीं दिया गया तो हंगामा हो गया।इस हंगामे से तिलकचंद धाकड़ का मामला सुर्खियों में आ गया। जहां आनन-फानन में प्रशासन ने इस मामले को दबाने की कोशिश की और तत्काल जांच की कार्यवाही शुरू कर दी । लेकिन आज भी इस मामले का निराकरण नहीं हो सका है।
पत्नी के खिलाफ हुई FIR
इस मामले में 12 फरवरी को हंगामा करने के बाद प्रशासन ने तिलक चंद की पत्नी सावित्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी। जिसमें आरोप लगाया कि पत्नी ने फौती नामांतरण के कागजात में हस्ताक्षर किए थे। हालांकि विजय ने इसे बेबुनियाद बताया है। परिवार ने सावित्री पर की गई एफआईआर को बेबुनियाद और तथ्यों के विपरीत बताया है। दोनों पति-पत्नी वर्षों से बिना विवाद साथ रह रहे हैं। उन्होंने प्रभातपट्टन के तहसीलदार द्वारा की गई उस जांच का भी खुलासा किया है कि तिलक चंद को मृत बताकर किए गए फौती नामांतरण में कोई मृत्यु प्रमाण-पत्र या शपथ पत्र नहीं लगाया गया है। जबकि पुलिस ने इसी आधार पर उन्हें आरोपी बना दिया है। इस मामले में पुलिस आज तक चालान भी पेश नहीं कर सकी है।

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