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Imprisonment for the accused in case of embezzlement of arrears amount | एरियर्स की राशि का गबन करने के मामले में आरोपी को कारावास

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बालाघाट16 मिनट पहले

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आरक्षी केन्द्र बिरसा के 27 वर्ष पुराने 28 कर्मचारियों की अवैध रूप से क्रमोन्नति बताकर उनके नाम से अवैध बिल बनाकर 3 लाख 47 हजार 480 रूपए एरियर्स की राशि का गबन करने वाले आरोपी तत्कालीन दमोह केन्द्र प्रभारी रीवा जिला अंतर्गत गोविंद गढ़ थाना के उड़की निवासी 70 वर्षीय छोटे लाल तिवारी को बैहर न्यायालय के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कृष्णकांत बागरे की अदालत ने दोषी पाते हुए 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 10 हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित करने का आदेश दिया है। मामले में अभियोजन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विमल सिंह ने पैरवी की थी।

सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विमल सिंह ने बताया कि दमोह संकुल में छोटेलाल तिवारी वेतन प्रभारी के पद पर पदस्थ था। जिसने कर्मचारी आर.पी.मेरावी, बी.पी.लाल, डी.एस.उइके, बेला, एम.एल.ब्रम्हे, आर.के.सिंह, एन.एस.धुर्वे, डी.एस.धुर्वे, ए.एल.टेकाम, बी.एल.मर्सकोले, जे.एल.बजोरे, जी.एस.अड़मे, टी.आर.हिरवाने, एच.एल.सैयाम, ए.एस.मरकाम, व्ही.एस.मेश्राम, सी.एल.पंचतिलक, जानन मेश्राम, एस.एस.धुर्वे, टी.एस.जाटव एवं एन.डी.पंवार सहित 28 कर्मचारियों को क्रमोन्नति के पात्र नहीं होते हुए भी षडयंत्र पूर्वक उक्त कर्मचारियों की क्रमोन्नति के संबंध में दस्तावेज तैयार किए। जिन दस्तावेजों के आधार पर उसने, उनके नाम से शासन से जारी राशि को फर्जी आहरण पत्र तैयार कर अन्य साथियों रजपाल सिंह और भोजराज मेश्राम के साथ मिलकर वर्ष 1990 से 1993 के मध्य गबन किया था।

जिसकी शिकायत होने पर बिरसा पुलिस ने 31 मई 1996 को एफआईआर दर्ज कर प्रकरण की विवेचना शुरू की थी। विवेचना में पुलिस ने कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। जिसमें पुलिस ने आरोपियों से तैयार फर्जी आहरण संबंधी दस्तावेज, जिन कर्मचारियों के नाम पर क्रमोन्नति के आधार पर पैसा आहरित किया जा रहा था, उनके क्रमोन्नत नहीं होने के संबंध में संबंधित विभाग से दस्तावेज तथा एसबीआई बैंक से राशि प्राप्त किये जाने संबंधी दस्तावेज जब्त कर आरोपियों को अभिरक्षा में लिया गया।

आरोपियों ने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर उनका असली के रूप में प्रयोग करने और राशि आहरित कर गबन करने के तथ्य के आधार पर विवेचना उपरांत बिरसा पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया। जिसमें विचारण अवधि के दौरान दो आरोपियों रजपाल सिंह और भोजराज मेश्राम की मृत्यु हो गई। 27 साल बाद मामले में विचारण के दौरान पेश किए गए साक्ष्य और अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर न्यायालय ने आरोपी को सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा से दंडित करने का फैसला दिया हैं।

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