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शाजापुर (उज्जैन)35 मिनट पहले
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मोहर्रम के बाद शनिवार को शहर में मुस्लिम समाजजनों ने चालीसवां मनाते हुए रात 10 बजे दुलदुल बड़े साहब का जुलूस निकाला। जुलूस रात 12 बजे आजाद चौक में पहुंचा। इसी दौरान एशिया के सबसे बड़े दुलदुल जिन्हें अकीदतमंदों ने अपने कांधों पर उठा रखा था। अचानक संतुलन बिगड़ने से गिर गए। बड़े साहब गिरने से उन्हें उठा रहे जायरीन और समाजजन नीचे दब गए।
घायलों ने बताया कि दो लड़कों के गिर जाने से बैलेंस बिगड़ गया और नीचे गिर गए। इसके बाद एकदम भगदड़ की स्थिति बन गई। तत्काल ही दुलदुल को खड़ा भी कर दिया गया। इस हादसे में 10 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जिनमें से 2 लोगों को गंभीर चोंट आई है। शाजापुर के जिला अस्पताल में 14 घायलों का उपचार जारी है। 2 घायलों का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
14 ये लोग हुए घायल
01. इरफान पिता इकबाल
02. आवेश पिता आजाद
03. तौसीफ पिता शरीफ
04. राजा पिता रईस
05. राजू पिता नईम
06. रेहान पिता काले खां
07. नईम पिता नियाजु
08. आदिल पिता कलवा
09. इरफान पिता कलवा
10. जफर पिता आरिफ
11. फैजान पिता सलीम खां
12. अय्याज पिता आजाद खां
13. अमन पिता शफीक
14. समीर पिता मुबारिक
एशिया के सबसे बड़े दुलदुल
शहीदाने कर्बला की याद में करीब 300 वर्ष से ये जुलुस निकाल जा रहा है। बताया जाता है कि ये एशिया के सबसे बड़े दुलदुल हैं। दुलदुल का निर्माण मियां मीर घांसी और उनके सहयोगियों ने ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराज जीवाजी राव सिंधिया सीनियर के यहां पुत्र की मन्नत पूरी होने पर किया था। सिंधिया रियासत ने तब बड़े साहब को रखने के लिए इमाम बाड़ा और उसके रखरखाव की व्यवस्था का हुक्मनामा जारी किया था। दुलदुल को 50 से ज्यादा लोगों द्वारा उठाया जाता है।


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