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हरेराम वाजपेयी.इंदौर44 मिनट पहले
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श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति में कालजयी साहित्यकारों के स्मरण की शृंखला में मंगलवार को प्रसिद्ध साहित्यकार धर्मवीर भारती को याद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसएन गोयल ने की। प्रबंध मंत्री घनश्याम यादव ने पोस्टर का विमोचन किया।
इस अवसर पर डॉ. आरती दुबे ने कहा कि धर्मवीर भारती का जीवन दयानंद सरस्वती के विचारों से बना था। उन्होंने बचपन में ही सत्यार्थ प्रकाश पढ़ डाला था। धर्मयुग स्टेटस सिंबल हुआ करता था। डॉ. अखिलेश राव ने धर्मवीर भारती की पत्रकारिता और साहित्यिक अवदान को रेखांकित किया। डॉ. सुनीता फडनीस ने कहा कि धर्मवीर भारती ने साहित्य की सभी विधाओं पर कलम चलाई।
डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे ने प्रथम विश्व युध्द, द्वितीय विश्व युद्ध और वर्तमान में रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के संदर्भ में ‘अंधा युग’ गीति नाट्य की व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि यह गीति नाट्य देश, काल की सीमाओं का अतिक्रमण कर आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है।
उपन्यासकार नंदलाल भारती ने कहा कि धर्मवीर भारती का जीवन संघर्षमय रहा। उन्होंने अपना जीवन खुद गढ़ा। इस अवसर पर माधवी तारे, डॉ. चित्रांगदा शर्मा, हेमराज पटेल, गोस्वामी पुरी ने भी विचार व्यक्त किए। इसके पूर्व शिक्षक दिवस के अवसर पर एसएन गोयल, घनश्याम यादव, अनिल भोजे ने वरिष्ठ शिक्षिका माधवी तारे, डॉ आरती दुबे, डॉ. सुनीता फडनीस, शिक्षक डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, डॉ. अखिलेश राव, डॉ. चित्रांगदा शर्मा, हेमराज पटेल, रामस्वरूप शास्त्री, छोटेलाल भारती का सम्मान किया गया।
संचालन साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने किया। प्रकाशन मंत्री अनिल भोजे ने आभार माना।
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