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Indore Metro will be completely anti-bacterial and anti-viral | स्टेनलैस स्टील के कोच होने से जंग नहीं लगेगा; एक कोच में 350 यात्री सफर कर सकेंगे

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इंदौर12 मिनट पहलेलेखक: संतोष शितोले

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तीन कोच आने के बाद इंदौर मेट्रो के ट्रायल रन की तैयारी आखिरी चरण में है। कोच आपस में कनेक्ट करने के बाद इनकी मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल के अलावा सॉफ्टवेयर टेस्टिंग शनिवार से शुरू कर दी गई। गांधीनगर डिपो पर तीन शिफ्ट में 24 घंटे काम हो रहा है। मेट्रो रेल के अलावा मेट्रो बनाने वाली एलस्टॉम के कर्मचारी भी यहां हैं। हर कोच एंटी बैक्टीरिया और एंटी वायरल सिस्टम वाला रहेगा। अगले हफ्ते में कभी भी इसकी ट्रायल रन की घोषणा कर दी जाएगी।

‘दैनिक भास्कर’ ने गांधी नगर स्थित इन्स्पेक्शन बे लाइन (IBL) पर मेट्रो चलाने की तैयारी जाकर देखी। दरअसल IBP पाइंट पर ही ट्रेन को ट्रायल रन के पहले पूरी तरह ओके किया जाता है। कंपनी के सीनियर इंजीनियर्स, टेक्निकल एक्सपर्ट्स, सुपर वाइजर सहित 50 से ज्यादा लोगों की टीमें लगी हुई हैं।

मेट्रो अपडेट – मेट्रो ट्रायल रूट पर 4 हजार लोगों की टीम 24 घंटे कर रही काम, कोच जोड़े, अब फंक्शन की जांच

मेट्रो ट्रेन का ट्रायल रन समय पर करने के लिए ट्रायल रूट पर 4 हजार से ज्यादा लोगों की टीम दिन-रात काम कर रही है। तकनीकी काम के लिए हैदराबाद, बेंगलुरु से आए इंजीनियर्स की टीम जुटी हुई है। गांधी नगर में बने डिपो यार्ड में एक साथ सारे काम चल रहे हैं।

सुपर कॉरिडोर पर 5.9 किमी हिस्से पर संभवत: 14 सितंबर को ट्रायल रन होना है। इस बीच यार्ड में शेड लगाने का काम चल रहा है, वहीं स्टेबलिंग-बे पर खड़ी ट्रेन के तारों को जोड़ने का काम चल रहा है। इसके लिए कोच बनाने वाली कंपनी एल्स्टॉम के इंजीनियरों की टीम भी इंदौर आई है। एक तरफ जहां ट्रेन के तीनों कोच को जोड़ने का काम चल रहा है, वहीं साथ में थर्ड रेल प्रणाली का काम भी जारी है।

श्रमिकों में से ज्यादातर तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत से हैं। उप्र के लखनऊ सहित वहां के अन्य शहरों से भी लोग आए हैं। श्रमिकों के लिए वहीं शिविर लगाए गए हैं। मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कंसल्टेंट को भी नियुक्त किया है। इनके ठहरने के लिए विजय नगर में होटलों में कमरे बुक हैं। कंपनी ने कुछ लोगों के लिए एक महीने तक के लिए होटल बुक किए हैं। मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने भोपाल से इंजीनियरों को इंदौर भेजा है।

श्रमिकों में से ज्यादातर तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत से हैं। उप्र के लखनऊ सहित वहां के अन्य शहरों से भी लोग आए हैं। श्रमिकों के लिए वहीं शिविर लगाए गए हैं। मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कंसल्टेंट को भी नियुक्त किया है। इनके ठहरने के लिए विजय नगर में होटलों में कमरे बुक हैं। कंपनी ने कुछ लोगों के लिए एक महीने तक के लिए होटल बुक किए हैं। मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने भोपाल से इंजीनियरों को इंदौर भेजा है।

स्टेबलिंग-बे (जहां ट्रेन खड़ी है) पर यह काम अभी पूरा नहीं हुआ है। यह लोहे का पिलरनुमा स्ट्रक्चर है, जिस पर मेट्रो को रखा जाएगा। इनके बीच इतनी जगह रहती है कि कभी किसी तरह की तकनीकी खामी या नियमित जांच करना हो तो दिक्कत न आए।

तीनों कोच को कपल कर दिया है लेकिन अब ब्रेक, गेट सहित हर सिस्टम की जांच की जाएगी। इसके बाद इंटीग्रेटेड टेस्टिंग होगी। चूंकि यह ट्रेन थर्ड रेल प्रणाली पर काम करेगी तो इसके लिए यार्ड में स्ट्रिजर से पॉवर सप्लाय शुरू करने की कोशिशें होती रहीं। स्ट्रिजर को 750 वोल्ट डीसी पर इसे कनेक्ट करेंगे।

इंदौर में दौड़ने वाली मेट्रो की पहली झलक:गांधीनगर डिपो के ट्रैक पर 100 मीटर चलाकर देखा; CM बोले-ट्रायल रन सितंबर में

इंदौर की बहुप्रतीक्षित मेट्रो ट्रेन के लिए पहला इंतजार खत्म हो गया। मेट्रो के तीन कोच बुधवार देर रात इंदौर लाए गए। गुरुवार सुबह 11 बजे मेट्रो के पहले कोच को ट्रैक पर उतार दिया गया। यहां पहले कोच को 100 मीटर चलाकर देखा गया। उसके बाद दूसरे कोच को लाया गया है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा कि सितंबर में ही इसका ट्रायल करना प्रस्तावित है।

सूत्रों के अनुसार यह तारीख 14 सितंबर या उसके बाद की हो सकती है। ट्रेन का ट्रायल रन गांधी नगर से सुपर कॉरिडोर एरिया के 5.9 किलोमीटर ट्रैक पर होगा। इस रूट पर पांच स्टेशन आएंगे जिनका काम चल रहा है। हालांकि सरकार का दावा है कि जून 2024 तक गांधी नगर से रेडिसन चौराहे तक का सफर आम लोग कर सकेंगे। यह सफर 17 किमी लंबा होगा। पूरी खबर पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें….

मेट्रो का मेगा सफर 8 दिन में पहुंचे इंदौर:रास्ते में उतार-चढ़ाव न आए, इसलिए 900 किमी लंबे रूट से आए
वडोदरा के सांवली संयंत्र से मेट्रो कोच 23 अगस्त को रवाना हुए। वहां से इंदौर की दूरी करीब 350 किमी है, लेकिन रास्ते में उतार-चढ़ाव नहीं आए, इसलिए कोच को 900 किमी की दूरी तय कर इंदौर लाया गया। माछलिया घाट का रास्ता नहीं चुना। वजह यह थी कि यह बहुत भारी थे। एक कोच का वजन 42 टन है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

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