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ग्वालियर7 मिनट पहले
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चिलचिलाती धूप से बचने के लिए चेहरे पर कपड़ा बांधकर जाती स्कूटी सवार महिलाएं
ग्वालियर में मानसून के छुट्टी पर जाते ही धूप फिर से अपने तेवर दिखाने लगी है। तीन दिन में पारा लगभग पांच डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। हालांकि आधीरात के बाद मौसम में ठंडक घुल जाती है, इस कारण रात में पंखे की हवा भी ठण्डी लगने लगी है। मौसम विभाग के अनुसार वर्तमान में कोई भी सिस्टम सक्रिय नहीं होने से अगले कुछ दिन तक बारिश के कोई आसार नहीं है, वहीं बंगाल की खाड़ी में बन रहे नए सिस्टम का एक सप्ताह बाद ही ग्वालियर-चंबल संभाग में असर देखने को मिल सकता है।
मौसम वैज्ञानिक हुकुम सिंह का कहना है कि मानसून की टर्फ लाइन हिमालय में स्थिर हो गई है। इस कारण यहां फिलहाल बारिश की उम्मीद नहीं है। स्थानीय कारणों से दौरान बूंदाबांदी या रिमझिम हो सकती है। बंगाल की खाड़ी में दो सितंबर के बाद कम दबाव का क्षेत्र बनने पर फिर ग्वालियर में बारिश की उम्मीद की जा सकती है। गत दिवस अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। जबकि 29 अगस्त को यह 35.1 डिग्री सेल्सियस था। पारे में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण उमस ने फिर से परेशान करना शुरू कर दिया है। लेकिन राहत की बात यह है कि रातें ठण्डी हो रही है इस कारण पांच दिन पहले तक भारी उमस के कारण रातों का चैन भी छिन गया था उससे अब मुक्ति मिल गई है। रात्रि में पंखे की हवा भी ठण्डी लगने लगी है। हालांकि न्यूनतम तापमान में भी मामूली वृद्धि हुई है। वही गुरुवार को न्यूनतम तापमान 34.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं मौसम में आर्द्रता का प्रतिशत घटकर 69 प्रतिशत हो गया है।
गर्मी और उमस से परेशान बुजुर्ग रमेश का कहना है कि बरसात नहीं हो रही है इसलिए गर्मी से बेहाल हो रहे हैं, बारिश होगी या नहीं इसका भी भरोसा नहीं है। गर्मी के कारण दाल चावल खा रहे हैं, क्योंकि रोटी खा रहे हैं तो वह पच नहीं रही है और ज्यादा से ज्यादा पानी पी रहे है।
वही गर्मी से बेहाल सतीश ने बताया कि गर्मी के चलते काम करने में बहुत ही परेशानी आ रही है। गर्मी के कारण खाने वाली चीजों के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं, गर्मी से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पी रहे हैं और जल्दी धूप से बचने के लिए पेड़ों का सहारा ले रहे हैं।
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