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Indore’s Kachori variety is recognized by its mark | प्याज, लहसुन, मटर, भुट्टे और हींग सहित 7 तरह की कचोरी एक दुकान पर

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इंदौर27 मिनट पहलेलेखक: अभय शुक्ला

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जायका में आज स्वाद की राजधानी इंदौर के कोठारी मार्केट में मिलने वाली अग्रवाल कचोरी की बात करेंगे। सन 1972 में दुकान की शुरुआत करने वाले पुरुषोत्तम अग्रवाल चल फिर ना पाने के कारण अब दुकान पर नहीं आ पाते लेकिन अपने तीनों बेटों से रोजाना दुकान का हिसाब-किताब और अपने ग्राहकों का हाल-चाल जरूर लेते हैं।

बड़े बेटे जितेंद्र अग्रवाल का कहना है कि हम दुकान के बारे में क्या बताएं, व्यस्तता इतनी है कि बातचीत का मौका ही नहीं मिलता। भीड़ की ओर इशारा करते हुए ‘आप ही देख लीजिए’। ग्राहक ही इस दुकान के असली मालिक है। दिनभर में कितनी कचोरियां बिक जाती हैं, गिनने का मौका ही नहीं मिलता।

कभी कोठारी मार्केट मे गिफ्ट शॉप के ठीक सामने ठेले पर 20 पैसे में 50 ग्राम मूंग के भजिए से शुरुआत करके आज उसी शॉप पर 7 अलग-अलग स्वाद की कचोरी बेच रहे हैं। आज उसी अग्रवाल कचोरी की पूरी कहानी, परिवार की जुबानी…

जितेंद्र कहते हैं आलू और दाल की कचोरी तो आपको इंदौर में आसानी से कहीं भी मिल जाएगी, लेकिन प्याज, लहसुन, मटर, भुट्टे और हींग की कचोरी ढूंढना पड़ेगी। इसलिए हम सभी स्वाद एक ही छत के नीचे ले आए। हमारी दुकान 7 तरह की कचोरी के लिए पिछले 30-35 सालों से प्रसिद्ध है।

आज दुकान बड़ी हो गई है। अब पिता जी का दुकान पर आना नहीं होता है। हम तीन भाई मैं जितेंद्र, मनीष और अनीश 15-16 साल की उम्र से कामकाज संभाल रहे हैं। तब आस पास कोई दुकान नहीं थी। पिताजी ने ठेले पर भजिए बेचते हुए कुछ दिन बाद आलू और दाल की कचोरी बेचना शुरू किया। लोग गरमा-गरम कचोरी खाने के लिए 10-15 मिनट का इंतजार भी कर लेते हैं।

ग्राहकों की मांग पर बढ़ती गई कचोरी की वैराइटी

मनीष बताते हैं हमारी शुरुआत तो आलू और दाल की कचोरी से हुई। लेकिन जैसे-जैसे ग्राहकों की डिमांड आती गई वह नए नए स्वाद को इजाद करते गए। आज हम 7 तरह की कचोरी एक ही छत के नीचे बना रहे हैं। ये सभी स्वाद ग्राहकों को पसंद भी आ रहा है। वैसे हमारे यहां की सबसे ज्यादा भुट्टे और प्याज की कचोरी पसंद की जाती है।

लहसुन की कचोरी में ग्राहकों की डिमांड पर झन्नाटेदार और तीखा मसाला मिलाया जाता है। आलू और मटर की कचोरी में हल्की सी मिठास होती है। एक प्‍लेट कचोरी की कीमत 15 रुपए है। मनीष कहते हैं कि ग्राहकों की डिमांड पर ऑनलाइन ऑर्डर की सुविधा भी शुरू की है।

1985 में 1 रुपए में कचोरी बेचा करते थे। फिर धीरे-धीरे इसका रेट 2, 5, 10 रुपए से बढ़ते हुए आज 15 रुपए में दे रहे हैं। पिता जी ने शुरू से सिखाया कि स्वाद और क्वालिटी से कभी कंप्रोमाइज मत करना। आज दाल और मसाले कितने भी महंगे हों लेकिन हम स्वाद बिल्कुल वही रखे हैं।

दुकान की कचोरी के अलावा हॉट डॉग और मूंग भजिए के भी परमानेंट ग्राहक

इस दुकान पर समोसे, दही बड़ा, पानीपुरी, हॉट डॉग, मूंग के भजिए के अलावा छोले टिकिया भी रखते हैं। अक्सर लोग हॉट डॉग की भी अधिक डिमांड करते हैं। अग्रवाल की कचोरी के अलावा हॉट डॉग सबसे अधिक लोकप्रिय है।

दूर-दराज से लोग आते हैं कचोरी खाने, बची ताजा कचोरियां अनाथ आश्रम में देते हैं

मनीष बताते हैं अब तक अग्रवाल कचोरी पर देश की नामी-गिरामी सेलिब्रिटी और नेता भी आ चुके हैं। दुकान पर अक्सर भीड़ लगी रहती है और कई बार लाइन लगाकर लोगों को लंबा इंतजार भी करना पड़ता है। मनीष बताते हैं कि अच्छी ग्राहकी होने पर सात-आठ सौ कचोरी बिक जाती है। सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक दुकान पर यही सिलसिला चलता रहता है। रात में जो कचोरियां बचती है उन्हें पास के ही अनाथ आश्रम में रहने वाले बच्चों को दे आते हैं।

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