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Bank manager’s daughter-in-law’s death..Compensation of 82 lakhs to mother-in-law | इंदौर में बेटे के साथ हादसे में गंवाई थी जान; कोर्ट ने बहू की नॉमिनी सास को माना

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इंदौर27 मिनट पहलेलेखक: संतोष शितोले

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इंदौर में सड़क हादसे में जान गंवा चुके बेटे के अलावा बहू की मौत का 82 लाख रुपए मुआवजा भी सास के खाते में जमा होगा। यह फैसला स्थानीय अदालत ने दिया है। बहू-बेटे की मौत के ऐवज में उन्हें कुल 1.31 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। आमतौर पर सास को बहू का नॉमिनी नहीं माना जाता लेकिन इस केस में ऐसा हुआ है। इतनी बड़ी मुआवजा राशि के पीछे भी कोर्ट में लंबी बहस चली और सात साल बाद 25 अगस्त को फैसला आया।

जान गंवाने वाला बेटा जहां व्यापार के साथ सेल्स एक्जीक्यूटिव भी था तो बहू पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर के ओहदे पर थी। मुआवजा राशि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को बुजुर्ग सास के खाते में जमा करेगी।

मामला निवासी स्कीम 94 के रहने वाले 29 वर्षीय आयुष और पत्नी श्वेता दीक्षित (28) की मौत से जुड़ा है। दोनों 16 नवम्बर 2016 की रात 1.30 बजे होटल से खाना खाकर लौट रहे थे। तेज रफ्तार कार बॉम्बे हॉस्पिटल चौराहे के पास खड़े कंटेनर में घुस गई। दोनों की मौत हो गई।

श्वेता की सास मालती देवी और ससुर गौरीशंकर दीक्षित (53), देवर दिव्यांश ने कोर्ट में क्लेम केस लगाया। चार दिन पहले कोर्ट ने ब्याज सहित 1.31 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया। चूंकि केस की सुनवाई के दौरान ही ससुर चल बसे इसलिए पूरी राशि सास के खाते में जमा करने के आदेश दिए गए हैं।

आयुष (29) और पत्नी श्वेता दीक्षित (28)। दोनों 16 नवम्बर 2016 की रात 1.30 बजे होटल से खाना खाकर लौट रहे थे। तेज रफ्तार कार बॉम्बे हॉस्पिटल चौराहे के पास खड़े कंटेनर में घुस गई। दोनों की मौत हो गई।

आयुष (29) और पत्नी श्वेता दीक्षित (28)। दोनों 16 नवम्बर 2016 की रात 1.30 बजे होटल से खाना खाकर लौट रहे थे। तेज रफ्तार कार बॉम्बे हॉस्पिटल चौराहे के पास खड़े कंटेनर में घुस गई। दोनों की मौत हो गई।

बैंक मैनेजर थी बहू, बेटे की भी थी दुकान

आयुष और श्वेता दीक्षित की शादी तीन साल पहले हुई थी। उनकी संतान नहीं थी। फरियादी पक्ष ने सेल्स एक्जीक्यूटिव आयुष की मौत के ऐवज में 1.10 करोड़ रुपए तथा बैंक मैनेजर पत्नी श्वेता की मौत के मामले में 1.20 करोड़ रुपए की क्लेम मांगा गया था। इसके पीछे तर्क दिए गए।

बताया गया कि आयुष की कन्नौद में पतंजलि प्रोडक्ट्स की दुकान थी। इससे वह हर साल 3 लाख रुपए कमाता था। सेल्स एग्जीक्यूटिव भी था जिससे 45 हजार रुपए हर महीने सैलरी मिलती थी। उम्र मात्र 29 साल थी और हेल्दी था। अगर मौत ना होती तो वो आने वाले बरसों में वह इससे भी ज्यादा कमाता।

आयुष की पत्नी श्वेता शर्मा (दीक्षित) की कमाई को लेकर तर्क दिए कि बैंक मैनेजर होने से उसकी पगार 60 हजार रुपए प्रति महीना थी। 28 साल की और पूरी तरह हेल्दी थी। बैंक उसे हाउस एलाउंस अलग से देता था। नियमों के तहत प्रमोशन, इन्क्रीमेंट सहित अन्य लाभ व सुविधाएं भविष्य में भी मिलती लेकिन हादसा हो गया। इन सभी पहलुओं को देखने की अपील कोर्ट से की गई।

मालती देवी जिन्होंने हादसे में बहू-बेटे को खो दिया। कुछ समय पहले पति की भी मौत हो गई।

मालती देवी जिन्होंने हादसे में बहू-बेटे को खो दिया। कुछ समय पहले पति की भी मौत हो गई।

कंटेनर को लेकर चली लंबी बहस

जिस कंटेनर के कारण दुर्घटना हुई थी उसे लेकर दोनों पक्षों की ओर से कोर्ट में जमकर बहस हुई। आयुष की ओर एडवोकेट ने दावा किया कि कंटेनर ड्राइवर की गलती थी। उसने बिना इंडीकेटर और बैक लाइट जलाए लापरवाही से खड़ा किया था। इस कारण आयुष की कार टकरा गई।

कंटेनर मालिक की ओर से इंश्योरेंस कंपनी के एडवोकेट ने तर्क दिया कि कंटेनर साइड में ही खड़ा था। आयुष काफी तेज रफ्तार और लापरवाही से कार चला रहा था। घटना के समय कार की लाइट चालू थी। चौराहे की सारी लाइट्स जल रही थी। ऐसे में पीछे से टकराने पर कंटेनर ड्राइवर की कोई गलती नहीं है।

कोरोना से हो गई थी आयुष के पिता की मौत

कोरोना के कारण लगभग ढाई साल तक केस में सुनवाई और जिरह की रफ्तार धीमी रही। इस बीच 18 अप्रैल 2021 को आयुष के पिता गौरीशंकर दीक्षित की भी कोरोना से मौत हो गई। हालांकि इस केस की सुनवाई के दौरान उनके बयान हो चुके थे। बहरहाल, दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद एडवोकेट राजेश खंडेलवाल के तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने माना कि दुर्घटना में मृतक आयुष की कोई गलती नहीं थी। घटना के दौरान देवर दिव्यांश 19 साल का था और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।

सास मालती देवी की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट राजेश खण्डेलवाल।

सास मालती देवी की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट राजेश खण्डेलवाल।

सास को इसलिए माना उत्तराधिकारी

कोर्ट ने माना कि चूंकि ससुर की मौत हो चुकी है इसलिए कोर्ट ने राशि सास मालती देवी के खाते में डालने का आदेश दिया। कहा कि भले ही वह बहू पर आश्रित नहीं थी लेकिन हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हादसे के कारण बहू के सुख से वंचित हुई है। सास का उससे प्यार, स्नेह, मार्गदर्शन, भरण-पोषण सभी कुछ छूट गया। इसके चलते बहू की मौत मुआवजा भी उनकी सास दिया जाए।

बहू और बेटे की मौत पर अलग-अलग मुआवजा राशि

– बहू श्वेता के मामले में 59.48 लाख रुपए मुआवजा और छह साल का ब्याज 22.64 लाख रुपए समेत कुल 82.12 लाख रुपए। इसमें 19.48 लाख रुपए एफडी के रूप में जमा रहेंगे।

– बेटे आयुष के मामले में 36.11 लाख रुपए मुआवजा और छह साल का ब्याज 13.74 लाख रुपए समेत कुल 49.86 लाख रुपए। 20 लाख रुपए एफडी के रूप में जमा रहेंगे।

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