[ad_1]
उज्जैन37 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर 30 अगस्त को इस बार भद्रा का वास भूलोक पर है। इस कारण दिन में भद्रा के प्रभाव के कारण रक्षाबंधन का पर्व रात्रि में मनेगा। बहनें, भाइयों की कलाई पर रात 9 बजे बाद से राखी बांध सकेंगी।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि रक्षाबंधन के पर्व काल पर प्रात: 10 बजे से भद्रा का आरंभ होगा, जो रात्रि में 9.07 बजे तक रहेगा। दिनभर भद्रा का साया रहने के कारण रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा सकता।
30 अगस्त को सुबह 10 बजे से पूर्णिमा लग रही है। इसी दौरान भद्रा भी है। ऐसी मान्यता है कि रक्षाबंधन के पर्व काल में पूर्णिमा तिथि में भद्रा का योग बनता हो तो भद्रा का वह काल छोड़ देना चाहिए। भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाना चाहिए। रात्रि नौ बजकर सात मिनट पर भद्रा समाप्त हो जाएगी, इसके बाद रक्षा बंधन का पर्व मनाना शास्त्रोचित रहेगा।
धार्मिक ग्रंथों में भद्रा के संबंध में अलग-अलग विचार प्रकट किया गया है। कुल मिलाकर जब भद्रा का वास पृथ्वीलोक या भूलोक पर हो, तब उस भद्रा का त्याग कर देना चाहिए व भद्रा की समाप्ति की प्रतीक्षा करनी चाहिए उसके बाद ही रक्षा बंधन का पर्व मनाना चाहिए।
बड़ा गणेश मंदिर में रात में बंधेगी राखी
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित बड़ा गणेश मंदिर पर 30 अगस्त को रात में रक्षा बंधन पर्व मनाया जाएगा। पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि रक्षा बंधन पर्व पर दिन के समय भद्रा होने से रात में 9 बजे के बाद पर्व मनाते राखी बांधी जाएगी। भगवान गणेश को भी भद्रा की समाप्ति के पश्चात रात्रि में राखी बांधी जाएगी।
[ad_2]
Source link

