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इंदाैर10 मिनट पहले
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निपानिया अंडरपास इस तस्वीर में बोगदों की परेशानी साफ दिखाई देती है। बायपास के मुख्य कैरेज वे पर ट्रैफिक सुगम है, जबकि नीचे बोगदों में दोनों तरफ वाहनों की कतार लगी हुई है। बोगदों के भीतर भी जाम लगा रहता है।
संदीप पारे
32 किमी के बायपास पर 9 मुख्य जंक्शन, 8 से ज्यादा क्रॉसिंग, हादसों में 1 साल में 32 से ज्यादा मौत
32 किमी बायपास के दोनों ओर एक नया शहर बस गया है, लेकिन यहां के हजारों रहवासी एनएचएआई, नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन के नुमाइंदों द्वारा अदूरदर्शिता से बनाए गए फ्लायओवर, छोटे बोगदे और सर्विस रोड पर ब्लाइंड कॉर्नर के कारण रोजाना ट्रैफिक जाम में फंसते हैं। हादसों का शिकार होते हैं।
बीते एक साल में बायपास के आसपास 32 जानें चली गईं। बायपास से रोज 40 हजार और दोनों ओर की 32 किमी की अधूरी सर्विस रोड से 50 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इसके अलावा सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को होती है। दरअसल ज्यादातर स्कूल-कॉलेज बायपास के आसपास हैं। बोगदों की ऊंचाई और चौड़ाई कम होने और कर्व के कारण स्कूल-कॉलेज की बसों को निकलने में काफी परेशानी आती है। बारिश के वक्त तो आधे-आधे घंटे तक बसें यहां फंसी रहती हैं।
बायपास से प्रतिदिन 40 हजार व सर्विस रोड से 50 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं
ये हैं खामियां, परेशानियां
बोगदों की चौड़ाई और उंचाई कम है। किनारों पर गोलाई नहीं होने से ब्लाइंड कॉर्नर बन गए। इससे वाहनों को मुड़ने में दिक्कत है।
बोगदों से बाहर निकलने पर सर्विस रोड की चौड़ाई कम होने, एक ओर स्टॉर्म वाटर लाइन और दूसरी ओर जगह नहीं है।
जहां दो बोगदे हैं, वहां सामने की ओर से आने वाले वाहनों के कारण परेशानी होती है।
बोगदों के दोनों ओर लाइट नहीं होने के कारण रात में आवाजाही मुश्किल
मुख्य कैरेज पर दिक्कत
बायपास पर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से सड़कें आकर मिलती है। इनसे लोग बोगदों तक रॉन्ग साइड आवाजाही करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों से बायपास को क्रॉस करने के लिए कट बना दिए, इन स्थानों पर दुर्घटनाओं का खतरा ज्यादा रहता है।
घुमाव ज्यादा होने से लोग बीच से ही सड़क पार करने की कोशिश करते हैं।
यहां खतरनाक कट
रालामंडल जंक्शन, कैलोद करताल के समीप
झलारिया के पास एमआर-11 क्रॉसिंग पर
एमआर-10 व एमआर-9 जंक्शन पर
यहां सबसे ज्यादा दिक्कत
45 मीटर नायता मुंडला रोड: यहां के बोगदे की उंचाई और चौड़ाई कम होने से छोटे वाहन भी फंस जाते हैं। आरटीओ के पास बस स्टैंड शुरू होने से ट्रैफिक में दिक्कत आएगी।
45 व 36 मीटर चौड़ाई वाली दो सड़कें कनाड़िया चौराहे पर बायपास से जंक्शन बनाती हैं। दोनों सड़कें बंगाली चौराहे पर मिलती हैं। ट्रैफिक मैनेजमेंट नहीं होने से वाहन फंसते हैं।
बिचौली मर्दाना व हप्सी जंक्शन पर स्कीम 140 की ओर जाने वाला ट्रैफिक फंसता है, क्योंकि दोनों बोगदों की चौड़ाई बहुत कम है।
समाधान
बोगदों के आसपास फनल डाउन एरिया व संकेत लगाएं
बायपास के मुख्य जंक्शन पर तो एनएचएआई ने फ्लायओवर बना दिए, लेकिन छोटे जंक्शन पर बोगदे बना दिए। इनको बनाते समय इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि यहां से सघन आवासीय क्षेत्रों की आवाजाही होगी। सर्विस रोड की प्लानिंग में भी गड़बड़ है। जबकि ट्रैफिक जाम की असली वजह बोगदे और सर्विस रोड है। मुख्य कैरेज का ट्रैफिक तो निकल जाता है। रहवासी क्षेत्रों में आवाजाही करने वाले इन्ही बोगदों फंसते हैं। इनकी कम ऊंचाई, मोड़ पर डिवाइडर नहीं होने से परेशानी आ रही है। इनके आसपास फनल डाउन एरिया व संकेत लगाकर परेशानी दूर कर सकते हैं। – महेश राजवैद्य, एनएचएआई के पूर्व इंजीनियर
सरकार भी गंभीर नहीं
आश्चर्य की बात यह है सरकार के नुमाइंदे भी बायपास विकास को लेकर इंदौर के प्रस्तावों पर गौर नहीं कर रहे हैं। नगर निगम ने सर्विस रोड को फोरलेन करने के लिए कंट्रोल एरिया कोड डिनोटिफाई करने और 400 करोड़ की सर्विस रोड बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है, लेकिन दो साल में भी कोई फैसला नहीं हो पाया।
इसलिए सुधार जरूरी
आने वाले दो साल में दोगुना तक हो जाएगा ट्रैफिक लोड
झलारिया जंक्शन से तेजाजी नगर तक बसाहट व कमर्शियल विकास तेजी से हो रहा है। बंगाली चौराहे से कनाड़िया रोड जंक्शन, पीपल्याहाना स्कीम 140 रोड से बिचौली मर्दाना जंक्शन पर यातायात का दबाव बढ़ने लगा है। आईडीए इन दोनों के बीच टीपीएस 8 व 9 विकसित कर रहा है। इससे बड़ा आवासीय क्षेत्र विकसित होगा।
बायपास के दोनों ओर मास्टर प्लान की तीन सड़कें एमआर-9, एमआर-10, एमआर-11 का निर्माण करने जा रही हैं। एमआर-10 तो बायपास के दूसरी ओर नेशनल हाईवे बन रहा है, इसलिए इस क्षेत्र में तेजी से आवासीय विकास की संभावना बढ़ रही है। वर्तमान में बायपास पर 600 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज व उपनगरीय बसें गुजरती हैं।
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