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MP, Rajasthan and Maharashtra farmers took 70 percent claim of crop insurance scheme | किसानों को 3 साल में 41 हजार करोड़ रुपए मिले; यहीं सबसे ज्यादा फसलें बर्बाद हुईं

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नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: गुरुदत्त तिवारी

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क्लेम लेने में मध्य प्रदेश के किसान (16,658 करोड़) पहले, राजस्थान (12,714 करोड़) दूसरे और महाराष्ट्र (12,452 करोड़) तीसरे नंबर पर हैं। - Dainik Bhaskar

क्लेम लेने में मध्य प्रदेश के किसान (16,658 करोड़) पहले, राजस्थान (12,714 करोड़) दूसरे और महाराष्ट्र (12,452 करोड़) तीसरे नंबर पर हैं।

देश में मौसम की सबसे ज्यादा मार 3 राज्यों (मप्र, राजस्थान और महाराष्ट्र) पर पड़ रही है। 2019-20 से 2021-22 के बीच इन तीन राज्यों ने कुल 41,824 करोड़ रु. का फसल बीमा क्लेम लिया, जबकि इसी दौरान पूरे देश में 59,429 करोड़ का क्लेम दिया गया, यानी 70% हिस्सेदारी इन्हीं तीन राज्यों की रही। केंद्र सरकार ने लोकसभा में ये आंकड़े सामने रखे हैं।

सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) का कहना है कि फसलें बर्बाद होने की सबसे बड़ी वजह है- एक्सट्रीम वेदर यानी प्रतिकूल मौसम। इस साल फरवरी महीना देश में 122 साल के इतिहास का सबसे गर्म रहा। एक साल पहले यानी 2022 की जनवरी 122 साल के इतिहास की सबसे ठंडी थी।

MP के किसानों ने लिया सबसे ज्यादा क्लेम
क्लेम लेने में मध्य प्रदेश के किसान (16,658 करोड़) पहले, राजस्थान (12,714 करोड़) दूसरे और महाराष्ट्र (12,452 करोड़) तीसरे नंबर पर हैं। 2021-22 में फसल बीमा के लिए सबसे ज्यादा क्लेम महाराष्ट्र (4,374 करोड़ रुपए) के किसानों को दिया गया। मगर 2019-20 में महाराष्ट्र के 1,320 करोड़ रुपए के मुकाबले मध्य प्रदेश को 7,781 करोड़ रु. का क्लेम दिया गया था।

2020-21 में फसल बीमा के लिए देशभर के 5 करोड़ किसानों ने आवेदन दिया था, लेकिन 2.47 करोड़ ही योग्य पाए गए।

2020-21 में फसल बीमा के लिए देशभर के 5 करोड़ किसानों ने आवेदन दिया था, लेकिन 2.47 करोड़ ही योग्य पाए गए।

राजस्थान में 2021 में 20 लाख हेक्टेयर फसल खराब हुई
मप्र में नवंबर तक 273 दिनों में 198 दिन प्रतिकूल मौसम रहा। राजस्थान की बात करें तो 2021 में सूखे और बाढ़ दोनों की ही स्थितियां बनीं। इससे 20 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें खराब हुईं।

2022 में जून-सितंबर के बीच यानी पूरे बारिश के सीजन में महाराष्ट्र में 80 दिन प्रतिकूल मौसम रहा। महाराष्ट्र सरकार का मानना है कि 5 साल में राज्य में 7 हजार करोड़ रु. की 3.6 करोड़ हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।

एमपी में कंपनियों ने प्रीमियम से 57% ज्यादा तक क्लेम भरा
मध्यप्रदेश में 2019-20 के दौरान 78.92 लाख किसानों ने 1.12 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र का 32,030 करोड़ रु. का बीमा 3,758 करोड़ रु. के प्रीमियम में कराया। 6,195 करोड़ रु. क्लेम लिया। हालांकि, प्रीमियम के लिए किसानों ने सिर्फ 629 करोड़ दिए, बाकी सरकार ने भरे।

2019-20 में राजस्थान के 85 लाख किसानों ने 967 लाख हेक्टेयर जमीन के लिए 34,909 करोड़ रुपए का बीमा कराया। 5,060 करोड़ रुपए प्रीमियम भरा और 4,993 करोड़ क्लेम लिया।

इस साल कहीं ज्यादा और कहीं कम बारिश के कारण अब तक करीब 23.5 लाख हेक्टेयर फसल खराब हो चुकी है।

इस साल कहीं ज्यादा और कहीं कम बारिश के कारण अब तक करीब 23.5 लाख हेक्टेयर फसल खराब हो चुकी है।

यूपी-गुजरात को सबसे कम फसल बीमा क्लेम देना पड़ा

  • यूपी; 46 लाख किसानों ने 35 लाख हेक्टेयर फसल का 16,743 करोड़ रुपए का बीमा 1304 करोड़ प्रीमियम देकर कराया। 1,092 करोड़ रुपए का क्लेम लिया।
  • गुजरात: 24 लाख किसानों ने 29.43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का 16,143.17 करोड़ का बीमा 3,614 करोड़ रुपए. प्रीमियम देकर करवाया था, लेकिन 112 करोड़ रुपए का ही क्लेम मिला।
  • तेलंगाना: 10.33 लाख किसानों ने 11.34 लाख हेक्टेयर का 8,459 करोड़ का बीमा 880.75 करोड़ में कराया। कोई क्लेम नहीं मिला।

गेहूं उत्पादन के लिए ये राज्य अहम, कीमतें प्रभावित होंगी
​​​​​​​सीएसई की प्रोग्राम डायरेक्टर किरण पांडेय ने बताया कि गेहूं उत्पादन के लिहाज से मध्य भारत के इलाके अहम हैं। कुल गेहूं उत्पादन में मप्र की 21% हिस्सेदारी है। मगर, मध्य भारत में आने वाले क्षेत्र के वातावरण में काफी बदलाव आया है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण जर्नल में भी इस बारे में रिपोर्ट छपी है।

यह रिपोर्ट 1950 से 2017 तक के वातावरण का अध्ययन करके तैयार की गई है। इसमें कहा गया है कि यहां का मौसम प्रतिकूल होता जा रहा है। बेमौसम बारिश, बाढ़ जैसी घटनाएं आम हैं। तापमान सामान्य से ज्यादा होता है। इससे फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा।

राजस्थान में 2021 में सूखे और बाढ़ दोनों की ही स्थितियां बनीं। इससे 20 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें खराब हुईं।

राजस्थान में 2021 में सूखे और बाढ़ दोनों की ही स्थितियां बनीं। इससे 20 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें खराब हुईं।

जुलाई तक पिछली बार से 487% ज्यादा फसल बर्बाद
​​​​​​​सीएसई की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल कहीं ज्यादा और कहीं कम बारिश के कारण अब तक करीब 23.5 लाख हेक्टेयर फसल खराब हो चुकी है, जो जुलाई-22 के मुकाबले 487% ज्यादा है।

पिछले साल इस समय तक केवल 2.8 लाख हेक्टेयर फसल ही बर्बाद हुई थी। देश के 70% हिस्से में सामान्य से कम और 30% में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। ऐसे में फसल बीमा बेहद जरूरी है।

2021-22 में 16 राज्यों ने 18,043 करोड़ रुपए का क्लेम लिया
2020-21 में फसल बीमा के लिए देशभर के 5 करोड़ किसानों ने आवेदन दिया ​था, लेकिन 2.47 करोड़ ही योग्य पाए गए। इनमें महाराष्ट्र के 64 लाख, मप्र के 50 लाख व राजस्थान के 36 लाख थे।

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश के 16 राज्यों ने कुल 18,043 करोड़ रु. फसल बीमा क्लेम लिया। इनमें यूपी, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तराखंड आदि शामिल हैं। हालांकि, 2020-21 में इन 16 राज्यों ने 20,771 करोड़ रु. का क्लेम हासिल किया था।

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