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Godrej will set up furniture factory in Indore, will provide 2 thousand jobs 100 करोड़ का इन्वेस्टमेंट रहेगा, सरकार से जमीन मांगी गोदरेज इंदौर में डालेगी फर्नीचर फैक्टरी, 2 हजार नौकरियां देगी | 100 करोड़ का इन्वेस्टमेंट रहेगा, MP सरकार से जमीन मांगी

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इंदौर21 मिनट पहलेलेखक: अभिषेक दुबे

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साबुन, अलमारी, फ्रिज, हिट, वॉशिंग पाउडर, हेयर कलर, ताले, फर्नीचर, गुड नाइट, सैनेटाइजर और तो और चन्द्रयान का लॉन्च व्हीकल तक….। इन एक ही बात कॉमन है, वो है इन्हें बनाने वाली कंपनी गोदरेज। अब यह इंदौर में अपना प्लांट डालने आ रही है। फर्नीचर मैन्युफैक्चर यूनिट गोदरेज इंटिरिओ के लिए मध्य प्रदेश सरकार से 25 एकड़ जमीन की मांगी है। सहमति दे दी गई है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी होने का दावा किया है। कंपनी की ये यूनिट 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगी और दो हजार प्रत्यक्ष सहित 5 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार देगी। प्लांट इंदौर से 30 किलोमीटर के दायरे में लगेगा।

देश की सबसे बड़ी फर्नीचर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी कही जाने वाली गोदरेज इंटिरिओ के अधिकारियों ने अपनी पंसद की जमीन शासन को बता भी दी है। फर्नीचर सेक्टर से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि गोदरेज कंपनी इंदौर में फर्नीचर बनाने के बाद उसको देश में बेचने के साथ ही एक्सपोर्ट भी करेगी। दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव चर्चा में मप्र सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने बताया गोदरेज को जल्द ही जमीन आवंटित कर दी जाएगी। हमारा मुख्य उद्देश्य प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराना है। 6 महीने में प्रदेश में IT सेक्टर में 10 हजार से ज्यादा नौकरियां दी जा चुकी हैं।

इंदौर में 450 एकड़ में इंटरनेशनल मेगा फर्नीचर क्लस्टर प्रस्तावित है। लेकिन जमीन विवाद के कारण शासन सिर्फ 55 एकड़ जमीन ही क्लस्टर के लिए आंवटित कर पाई है।

इंदौर में 450 एकड़ में इंटरनेशनल मेगा फर्नीचर क्लस्टर प्रस्तावित है। लेकिन जमीन विवाद के कारण शासन सिर्फ 55 एकड़ जमीन ही क्लस्टर के लिए आंवटित कर पाई है।

अमेरिकी कंपनी भी मांग चुकी है जमीन

इंदौर में प्रस्तावित 450 एकड़ के फर्नीचर क्लस्टर में अमेरिकी फर्नीचर कंपनी एस्ले भी निवेश की इच्छा जाहिर कर चुकी है। कंपनी के अधिकारियों ने 2022 में प्रदेश के एमएसएमई मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा से चर्चा की थी। यह चर्चा इंदौर एयरपोर्ट के लाउंज में फर्नीचर कंपनी एस्ले के चीफ ग्लोबल सेल्स आफिसर चार्ल्स स्पंग ने की। बताया जा रहा है कि एस्ले ने फर्नीचर क्लस्टर के लिए प्रस्तावित छोटा बेटमा क्षेत्र में जमीन की उपलब्धता के बारे में जानकारी लेते हुए लगभग 30 एकड़ जमीन की मांग शासन से की है।

इंटीरियो के बिजनेस हेड बोले- कोरोना के बाद फर्नीचर इंडस्ट्री में आया बदलाव

गोदरेज इंटीरियो के बिजनेस हेड स्वप्निल नागरकर बोले कोरोना के बाद फर्नीचर इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया है। लोग घरों के साथ ऑफिस में भी आइसोलेशन के लिए जगह बनवा रहे हैं। घर में किचन के साथ ड्रॉइंग रूम, लिविंग रूम, बैडरूम में बदलाव आ रहे हैं। हमारे पास उपभोक्ताओं की जरुरतों को समझने वाली टीम है। हम ऑनलाइन डिजाइन और सर्विस भी प्रोवाइड कराते हैं। हमारे पास मोशन चेयर जैसे प्रॉडक्ट भी हैं जो नए जमाने के उपभोक्ताओं के हिसाब से तैयार किए गए हैं। कंपनी के सौ से ज्यादा शहरों में शोरूम हैं और 5 हजार से ज्यादा शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में फर्नीचर उपलब्ध करा रहे हैं।

​​​​​​इंदौर में 450 एकड़ में इंटरनेशनल मेगा फर्नीचर क्लस्टर प्रस्तावित

फर्नीचर एसोसिएशन के सचिव हरीश नागर ने बताया कि इंदौर में 450 एकड़ में इंटरनेशनल मेगा फर्नीचर क्लस्टर प्रस्तावित है। यह वर्तमान में 55 एकड़ में तैयार हो रहा है। वहीं शासन का कहना है कि जल्द ही 395 एकड़ जमीन का विवाद सुलझा कर क्लस्टर तैयार किया जाएगा। नागर ने बताया कि इस क्लस्टर के प्रस्ताव के साथ ही हमने शासन को 2 साल पहले 82 कारोबारियों की सूची भी दी थी। जिसमें बताया गया था कि यह कारोबारी यहां 250 एकड़ जमीन अभी लेकर 859 करोड़ का निवेश करने के लिए तैयार हैं।

दैनिक भास्कर से खास चर्चा करते हुए मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि गोदरेज कंपनी ने इंदौर में हमसे 25 एकड़ जमीन मांगी है।

दैनिक भास्कर से खास चर्चा करते हुए मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा कि गोदरेज कंपनी ने इंदौर में हमसे 25 एकड़ जमीन मांगी है।

फर्नीचर का विश्व में सबसे बड़ा निर्यातक चाइना

इंदौर में अगर गोदरेज और एस्ले जैसी कंपनियां अपना कारोबार शुरू करती है तो इंदौर को फर्नीचर मैन्यूफेचरिंग में विश्व पटल पर भी पहचान मिलेगी। वर्तमान में फर्नीचर के कारोबार में चाइना सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में सबसे अधिक फर्नीचर चाइना से ही आता है। कोरोना महामारी के बाद चाइना की जगह देश में ही फर्नीचर उत्पादन की संभावना अधिक हुई है, ऐसे में इंदौर और प्रदेश के लिए यह बड़ा अवसर है।

अब कंपनी को भी जान लीजिए

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार- गोदरेज के प्रोडक्ट्स दुनिया के 90 से ज्यादा देशों में बिक रहे हैं। दुनियाभर में 1 अरब से ज्यादा ग्राहक गोदरेज के प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। मौजूदा समय में गोदरेज का साझा मार्केट कैप करीब 1.62 लाख करोड़ रुपए का है। अभी गोदरेज अपने मौजूदा एमडी और सीईओ नादिर गोदरेज के बयान की वजह से चर्चा में है। हाल ही नादिर ने एक बयान दिया है कि हमें देश को बांटना बंद करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा प्रदर्शन आर्थिक मोर्चे पर बहुत अच्छा है। लेकिन देश की एकता के लिए हमें काम करने की जरूरत है।

तालों के बिजनेस से गोदरेज को मिली सफलता की चाबी

गोदरेज का तालों का बिजनेस चल पड़ा। उसके बाद उन्होंने लोगों के जेवरात और पैसे रखने के लिए मजबूत लॉकर और अलमारियां बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने कई ऐसी अलमारियां बनाईं, जो लोहे की चादर को बिना काटे बनी थीं। तालों की तरह अलमारियों ने भी लोगों का दिल जीत लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1911 में दिल्ली दरबार के वक्त जब किंग जॉर्ज 5th और क्वीन मैरी भारत आए तो उन्होंने भी अपने कीमती सामान रखने के लिए गोदरेज लॉकर का इस्तेमाल किया था।

गोदरेज का तालों का बिजनेस चल पड़ा। उसके बाद उन्होंने लोगों के जेवरात और पैसे रखने के लिए मजबूत लॉकर और अलमारियां बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने कई ऐसी अलमारियां बनाईं, जो लोहे की चादर को बिना काटे बनी थीं। तालों की तरह अलमारियों ने भी लोगों का दिल जीत लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1911 में दिल्ली दरबार के वक्त जब किंग जॉर्ज 5th और क्वीन मैरी भारत आए तो उन्होंने भी अपने कीमती सामान रखने के लिए गोदरेज लॉकर का इस्तेमाल किया था।

गोदरेज ने 1918 में साबुन बनाया। ये वेजिटेबल ऑयल वाला पहला साबुन था। इसके पहले जानवरों के फैट से साबुन तैयार होता था। इस साबुन का प्रचार रवींद्रनाथ टैगोर ने किया था। सिर्फ टैगोर ही नहीं बल्कि एनी बेसेंट और सी राजगोपालाचारी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने भी ‘गोदरेज नंबर 1’ साबुन का विज्ञापन किया था। इसके बाद आजादी का मौका भी गोदरेज के लिए व्यापार के नए अवसर लाया। 1951 में आजाद भारत में पहले लोकसभा चुनाव के लिए 17 लाख बैलेट बॉक्स गोदरेज ने ही बनाए। ठीक इसके बाद 1952 में स्वतंत्रता दिवस पर सिंथोल साबुन को लॉन्च किया।

गोदरेज ने 1918 में साबुन बनाया। ये वेजिटेबल ऑयल वाला पहला साबुन था। इसके पहले जानवरों के फैट से साबुन तैयार होता था। इस साबुन का प्रचार रवींद्रनाथ टैगोर ने किया था। सिर्फ टैगोर ही नहीं बल्कि एनी बेसेंट और सी राजगोपालाचारी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने भी ‘गोदरेज नंबर 1’ साबुन का विज्ञापन किया था। इसके बाद आजादी का मौका भी गोदरेज के लिए व्यापार के नए अवसर लाया। 1951 में आजाद भारत में पहले लोकसभा चुनाव के लिए 17 लाख बैलेट बॉक्स गोदरेज ने ही बनाए। ठीक इसके बाद 1952 में स्वतंत्रता दिवस पर सिंथोल साबुन को लॉन्च किया।

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