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महिला और उसका दिव्यांग पति
आपने ज्योति मौर्य की कहानी तो सुनी होगी, पति ने जैसे-तैसे मजदूरी करके पत्नी को पढ़ाया-लिखाया एसडीएम बनाया, पर उसका नतीजा यह निकला कि ऑफिसर बनने पर पत्नी ने पति को छोड़ दिया। इस समय पूरे देश में ज्योति मौर्य और अलोक मौर्य चर्चा का विषय बने हुए हैं। वहीं, एक कहानी छतरपुर जिले से निकलकर आ रही है, यहां यह महिला ज्योति मौर्य नहीं, बल्कि प्रियंका गौड़ है। यह कहानी 23 साल की प्रियंका और उसके पति के अंशुल गौड़ (30) की है। महिला अपने दिव्यांग पति को गोद में उठाकर इधर-उधर ले जाती है।
जानकारी के मुताबिक, मामला छतरपुर जिले के लवकुश नगर क्षेत्र के ग्राम परसानिया का है। जहां की रहने वाली प्रियंका आदिवासी, जिसकी शादी साल 2017 में अंशुल गौड़ से हुई थी, जो 22 फरवरी 2019 को सड़क हादसे में घायल हो गए थे। उनके पैर और कमर में गंभीर चोटें आई थीं। तभी से वह चलने फिरने में असमर्थ हैं और सर्वाइकल स्पाईन (लकवा) की बीमारी से ग्रस्त हैं। तभी से पत्नी अपने बीमार/दिव्यांग पति को लेकर जिम्मेदारों की चौखट पर मदद की गुहार लगाने पहुंच रही है। आर्थिक तंगी से परेशान प्रियंका अपने पति को लेकर लगातार मदद की गुहार लगा रही है। हालत और परिवार की स्थिति सुधारने के लिए एक महिला लगातार जंग लड़ रही है, पर उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा।
– फोटो : अमर उजाला

जनसुनवाई में गोद में लेकर पहुंची…
आज एक बार फिर प्रियंका कलेक्टर की जनसुनवाई में पति को गोद में लेकर मदद की आस और गुहार लेकर पहुंची। जहां कलेक्टर ने विधिवत मदद का आश्वासन दिया है। दोनों का आरोप है कि वह पिछले कई साल से परेशान है। छतरपुर जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से कई बार मदद मांग चुकी, पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। इतना ही नहीं, वह क्षेत्रीय सांसद और BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिल चुकी है। वह भोपाल में पति के साथ CM हाउस में सीएम शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंची और एक सप्ताह के इंतजार के बाद भी सीएम से नहीं मिल सकी।
लाखों रुपये कर्जा…
आर्थिक तंगी से परेशान गंभीर परिस्थिति में प्रियंका जैसे-तैसे जेवर बेचकर एक लाख 30 हजार रुपये लेकर कानपुर पहुंची। जहां न्यूरोन हॉस्पिटल में पति अंशुल आदिवासी का इलाज करा रहीं थीं। वहां एक महीने 10 दिन भर्ती रहने के दौरान उनका सारा पैसा खर्च हो गया, और अब पैसा न हो पाने के कारण नौ जुलाई को वह छतरपुर अपने गांव वापस आ गईं। जहां बुधवार को वे कलेक्ट्रेट जनसुनवाई में अपने पति को लेकर पहुंचीं। प्रियंका और उनके पति बताते हैं कि उन पर लोगों का तीन लाख से ऊपर कर्जा हो गया है, जिसे पटा पाना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से इलाज के लिए पैसे नहीं बचे हैं।
अंशुल मां की मांग रहा अनुकंपा नियुक्ति…
अंशुल बताता है कि उसकी मां की मौत साल 2015 में एक दुर्घटना में हो गई थी। उसकी मां विकासखंड गौरिहार के ग्राम कितपुरा में शासकीय हाईस्कूल कितपुरा में अध्यापक के पद पर पदस्थ थीं, जिनकी आगजनी में मौत हो गई थी। अब वह उनकी अनुकंपा नियुक्ति की मांग करता फिर रहा है, जिसकी उसने जनसुनवाई में क्लेक्टर से गुहार लगाई है।
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