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उज्जैन17 मिनट पहले
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उज्जैन महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षांत समारोह का आयोजन बुधवार विक्रम कीर्ति मन्दिर के सभागार में हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उच्च शिक्षा मन्त्री डॉ. मोहन यादव तथा सारस्वत अतिथि अध्यक्ष भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) श्रीधर सोमनाथ थे। विशिष्ट अतिथि सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारसचन्द्र जैन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. विजयकुमार सीजी ने की। इस अवसर पर संस्कृत के विद्यार्थियों को मेडल व उपाधि प्रदान की गई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि काल के प्रवाह में भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवनकाल में उज्जैन में जो शिक्षा ग्रहण की उसके कई आयाम है। भगवान श्री कृष्ण ने शिक्षा का ज्ञान गीता के माध्यम से दिया है। यही कहानी हम देखें तो वराहमिहिर ने पंच सिद्धांत का ग्रोमो में जो सूर्योदय की विशिष्ठता की चर्चा की है। वो उसी से रिलेटेड है। हमारे यहां से सूर्य पश्चिम की तरफ अस्तांचल की ओर जाता है, लेकिन जब सुमेर पर्वत अर्थात की उत्तरी धु्रव की ओर से देखेंगे तो वहां से कोई उत्तर- दक्षिण दिखाई नही देता है। कार्यक्रम में दीक्षांत भाषण इसरो के अध्यक्ष श्रीधर सोमनाथ ने दिया। दीक्षांत समारोह के दौरान प्रावीय सूची में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक व उपाधि प्रदान की गई। वहीं विश्वविद्यालय द्वारा श्रीमद्भगवत गीता फाउंडेशन हैदराबाद के अध्यक्ष गंगाधर शास्त्री को विद्यावारिधि मानद उपाधि प्रदान की। समारोह में उपस्थित होने के लिए कुल 166 छात्रों ने पंजीयन कराया था। दीक्षांत समारोह में कार्यपरिषद् सदस्य भरत बैरागी, सुशील वाडिया, विद्या जोशी, राजेंद्र झालानी, किरण शर्मा, डॉ. केशर सिंह चौहान, डॉ. उपेन्द्र भार्गव, डॉ. संकल्प मिश्र, कुलसचिव डॉ. दिलीप सोनी, डॉ. तुलसीदास परोहा सहित समस्त संकायाध्यक्ष उपस्थित थे।

उपाधि देते अतिथि
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