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विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कलेक्ट्रेट में की नारेबाजी, कहा- भारत जैसे देश में पश्चिमी विचारों की जरूरत नहीं | Various social organizations raised slogans in the collectorate, said- there is no need of western ideas in a country like India

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टीकमगढ़37 मिनट पहले

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समलैंगिकता के विरोध में सोमवार को विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रदर्शन किया। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार करते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देने की मांग की। इस संबंध में राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।

नागरिक परिषद के नेतृत्व में विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी आज कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे। उन्होंने समलैंगिक विवाह को दी जा रही मान्यता का विरोध जताया। राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप कर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक व विपरीत लिंगी व्यक्तियों के विवाह के अधिकार को विधि मान्यता देने का फैसला लेने में तत्परता दिखाई है। जबकि देश आज कई आर्थिक सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहा है।

देश के लोगों की बुनियादी समस्याओं के मामलों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में नालसा और 2018 में नवतेज जौहर के मामलों में समलैंगिकों व विपरीत लिंगी के अधिकारों को पहले से ही संरक्षित किया है।

नागरिक परिषद के सुरेश दौंदेरिया ने कहा कि समलैंगिक विवाह न्यायपालिका की ओर से वैध घोषित नहीं किया जाए। क्योंकि यह विषय पूर्ण रूप से विधायिका के क्षेत्राधिकार में आता है। ज्ञापन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे।

वैवाहिक व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश

ज्ञापन के माध्यम से नागरिक परिषद के सदस्यों ने कहा कि भारत में विवाह का एक सभ्यता गत महत्व है। जो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है। हमारी वैवाहिक व्यवस्था को कमजोर करने के लिए पश्चिमी विचारों की प्रथाओं को लागू करने का प्रयास हो रहा है। समलैंगिक विवाह भारत जैसे देश में सैद्धांतिक और व्यावहारिक नहीं है।

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