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अहंकार के कारण भगवान श्रीराम को नहीं पहचान सका रावण | Ravana could not recognize Lord Shriram due to arrogance

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टीकमगढ़15 मिनट पहले

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शहर के मऊचुंगी नाका के पास श्रीमद् भागवत कथा चल रही है। शुक्रवार को कथा के दूसरे दिन बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज ने कहा कि बिना भगवान और संतों की कृपा के ज्ञान नहीं होता है।

महंत सीताराम दास महाराज ने कहा कि रावण चारों वेदों का ज्ञाता होते हुए भी भगवान श्रीराम को नहीं पहचान सका। कबीरदास, रविदास आदि संत जो कभी विद्यालय नहीं गए। कागज, कलम, दवात आदि काे स्पर्श नहीं किया, फिर भी उन्होंने भगवान का साक्षात दर्शन किया। आज भी उनकी एक-एक साखी, दोहा आदि पर बड़े-बड़े विद्धान पीएचडी करते हैं। उनके ऊपर भगवान व उनके संतों की कृपा रहती है। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार व सत्संग जरूरी हैं।

सीताराम दास महाराज ने भगवान के 24 अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि अपने सच्चे भक्तों की रक्षा के लिए हर युग में भगवान ने अवतार लिया है। इस कलियुग में भी निश्चित ही गोमाता की रक्षा के लिए भगवान का अवतार होगा। भगवान तो अपने सभी भक्तों की सच्ची पुकार पर दौड़े चले आते हैं।

भगवान को भाव से बुलाएं

भगवान को भक्ति वाली पुकार भक्त प्रहलाद, भक्त ध्रुव, मीरा, बालाजी महाराज, सबरी की तरह लगाकर तो देखो तो भगवान स्वयं दौड़े चले आएंगे। सिर्फ भक्त का विश्वास अपने भगवान पर पूर्ण रूप से होना चाहिए। हर युग में भगवान ने अपने भक्तों की रक्षा की। रावण से अपने भक्तों की रक्षा के लिए श्रीराम अवतार लेकर पाप अत्याचार, बुराई रूपी रावण का अंत किया। कई वर्षों से भगवान की राह देखने वाली सच्ची भक्त शबरी की भक्ति को स्वीकार कर उसका भी उद्धार किया। इसी तरह मथुरा के राजा कंस के अत्याचार के अंत व भक्तों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लेकर कंस का अंत किया।

गो माता पर अत्याचार करने वाले सतर्क हो जाएं

महाराज ने कहा कि कलियुग में कलयुगी इंसानों को सतर्क हो जाना चाहिए। क्योंकि हर युग में बुराई रूपी शक्तियों और पापी अत्याचारियों का अंत निश्चित हुआ है। इस कलियुग में जो इंसान गोमाता पर अत्याचार कर रहे हैं, उन पापियों का भी अंत निश्चित होगा।

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