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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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मप्र हाईकोर्ट ने प्रदेश में वकीलों द्वारा की जा रही हड़ताल पर शुक्रवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए उन्हें तत्काल काम पर वापस लौटने के आदेश दिए हैं। चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने पारित सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में आदेश को हवाला देते हुए कहा है कि अधिवक्ता काम पर नहीं लौटते हैं तो इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।
हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि आदेश का पालन नहीं करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और उनका निष्कासित किया जाएगा। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए कि आदेश की प्रति के साथ स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर, इंदौर व ग्वालियर के अध्यक्ष, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष के अलावा प्रदेश भर के जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि जिस तरह बातें सामने आई हैं, उससे हम बेहद हैरान, चिंतित और दुखी हैं। स्टेट बार का पत्र मिलने के बाद जवाब दिया गया था और स्टेट बार के चेयरमैन व सदस्यों से कहा था कि मुद्दों को चीफ जस्टिस के समक्ष विचार के लिए रख गया है। 25 प्रकरणों के निराकरण का आदेश तीन माह के लिए स्थगित कर दिया गया था। इसी सूचना ई-मेल के माध्यम से एसबीए ऐसा करने के बजाय चेयरमैन ने राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी। इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने भी 23 मार्च को स्टेट बार के चेयरमैन को पत्र लिखकर तत्काल हड़ताल वापस लेने के निर्देश दिए थे, जिसका पालन भी नहीं किया गया। इतना ही नहीं न्यायालय ने कहा कि पक्षकारों के हित प्रभावित हो रहे हैं।
युगलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरीश उप्पल मामले में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अधिवक्ता हड़ताल नहीं कर सकते हैं। इससे पूर्व भी हड़ताल के मुद्दे को लेकर पूर्व में निर्णय हुए थे, जिस पर अंडरटेकिंग भी दी गई थी। जनहित व पक्षकारों के हित में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उक्त निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देशित किया है कि आदेश के बावजूद पैरवी के लिए उपस्थित नहीं होने वाले अधिवक्ताओं के संबंध में जानकारी प्राप्त कर न्यायालय को अवगत कराएं।
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