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Indore News:हादसों के हाइवे, इंदौर से जुड़े एबी रोड और इच्छापुर रोड के ब्लैक स्पॉटों ने ली 200 लोगों की जान – Highway Of Accidents, Ab Road And Ichhapur Road Connected To Indore Killed 200 People

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गणपति घाट पर 15 साल में दो सौ लोगों की जा चुकी है जान

गणपति घाट पर 15 साल में दो सौ लोगों की जा चुकी है जान
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण हाइवे मुबंई आगरा रोड और इंदौर इच्छापुर रोड पर ब्लैक स्पॉट है। हैरत की बात है कि इंदौर जिले की सीमा में ही हादसे नहीं रुक रहे है। दो साल में भेरुघाट में सड़क हादसे में १३ लोग जान गंवा चुके है,जबकि एबी रोड के गणपति घाट पर तो १५ साल में २०० से ज्यादा लोगों की हादसों में मौत हो चुकी है। इसके बावजूद नेशनल हाइवे अर्थारिटी ऑफ इंडिया ब्लैक स्पॉट को ठीक नहीं कर रही है।

ढलान इतना ज्यादा कि जीरों से ७० तक पहुंच जाती है स्पीड

एबी रोड के लिए इंदौर से खलघाट तक के हिस्से को १५ साल पहले फोरलेन बनाया गया था। गणपति घाट पर सड़क निर्माण केे दौरान सही ढलान देने में अफसरों ने गलती कर दी। जिसकी कीमत २०० से ज्यादा लोगों को जान देकर चुकाना पड़ी। यहां ढलान इतना ज्यादा है कि यदि बंद गाड़ी ढलान पर चले तो जीरो से ढलान खत्म होने तक वाहन की स्पीड ७० तक पहुंच जाएगी।

अगले हिस्से पर लोड बढ़ते ही ब्रेक फेल

गणपतिघाट पर ज्यादातर वे वाहन हादसों का शिकार होते है, जिनमें ऐसा सामान भरा हो जो ढलान पर वाहन के आगे के हिस्से में लोड बढ़ा देता है। लिक्विंड ले जाने वाले टैंकर, फर्शियों से भरे ट्रक ढलान पर तेज गति से चलते है और वाहन चालक ब्रेक लगाने की कोशिश करता है तो उसके ब्रेक फेल हो जाते है।

ज्यादातर वाहनों में लगती है आग

गणपति घाट पर होने वाले वाहन हादसों में वाहन में आग लगने के कारण होती है,क्योकि हादसे के बाद वाहन नहीं रुकते और सड़क पर घर्षण के कारण वाहनों में आग लग जाती है। शनिवार के हादसे में भी दो ट्रकों में आग लग गई। छह साल पहले इंदौर से महाराष्ट्र के लिए निकले एक परिवार के चारों सदस्य ट्रक की चपेट में आने से मौत हो गई थी। कार पूरी तरह जल गई थी और पति पत्नी और दो बच्चे कार से निकल ही नहीं पाए और जिंदा जल गए।

कई बार पत्र लिख चुके है एनएचएआई को

मानपुर थाना प्रभारी अमित कुमार का कहना है कि कई बार हम एनएचएआई को ढलान ठीक करने के लिए पत्र लिख चुके है। यहां हर साल १० से १२ मौतें हादसे में हो जाती है। तीन बार योजनाएं भी बनी, लेकनि जमीन पर नहीं उतरी।

सिमरोल घाट पर 13 मौतें

सिमरोल घाट को भी फोरलेन किया जा रहा है। सड़क पर ट्रैफिक का लोड बढ़ गया है। सालभर में सिमरोल घाट में ही चार हादसे हो चुके है। दो साल में इंदौर-इच्छापुर रोड पर १३ लोगों की मौत हो चुकी है। 

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