क्या आचार संहिता लगने के बाद धरना-प्रदर्शन कर सकते हैं? कैसे मिलती है जनसभा की परमिशन

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान 7 चरणों में पूरा होगा. मतदान 19 अप्रैल से शुरू होकर 1 जून को खत्म होगा. वहीं, चुनाव नतीजे 4 जून को आ जाएंगे. चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. इस दौरान देश में धारा-144 यानी निषेधाज्ञा लागू रहेगी. साफ है कि चार या चार से ज्यादा लोग बिना मंजूरी लिए एक जगह इकट्ठा नहीं हो सकते हैं. लेकिन, फिर भी राजनीतिक दल समेत दूसरे संगठन कई बार सत्तारूढ़ दल के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने लगते हैं. वहीं, कुछ दूसरे संगठन भी विरोध जताने के लिए इकट्ठा हो जाते हैं.
उत्तर प्रदेश में चंदौली के सरेसर में हिंदुस्तान पेट्रोलियम के विस्तारीकरण के लिए किसानों की जमीन ली जानी है. किसानों ने 18 मार्च को इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि अधिग्रहण से किसान भूमिहीन हो जाएंगे. उन्हें ये डर भी सता रहा है कि उनकी जमीन का सही मुआवजा नहीं मिलेगा. वहीं, उत्तराखंड के रुड़की में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने 19 मार्च को किसानों की समस्याओं को लेकर ऊर्जा निगम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या आचार संहिता लागू होने के बाद धरना प्रदर्शन किया जा सकता है? इसकी अनुमति कौन देता है?
धरना प्रदर्शन पर लग जाती है पाबंदी
आचार संहिता लागू होने के बाद कई ऐसे काम होते हैं, जिन पर पूरी तरह से पाबंदी लग जाती है. ऐसे कामों की सूची में धरना प्रदर्शन भी शामिल है. निषेधाज्ञा के दौरान धरना प्रदर्शन करने वालों पर प्रशासन कानून के मुताबिक कार्रवाई कर सकता है. यहां तक कि बिना अनुमति प्रदर्शन करने वालों को जेल भी भेजा जा सकता है. आम लोगों ही नहीं राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए भी कई काम करने पर प्रतिबंध रहता है. इनमें आचार संहिता लगने के बाद नेताओं के धरना प्रदर्शन पर रोक भी शामिल है. बता दें कि आचार संहिता कोई कानून नहीं है. यह निर्वाचन आयोग और राजनीतिक दलों के बीच तय हुई एक प्रक्रिया है.
ये भी पढ़ें – अब तक का सबसे खूनी चुनाव! 800 लोगों की हुई थी हत्या, 65 हजार लोग हो गए थे बेघर
प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते नेता
आदर्श आचार संहिता के नियमों के मुताबिक, कोई भी नेता, पार्टी, संगठन या आम लेाग धरना प्रदर्शन जैसी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते हैं. आचार संहिता लागू होने के बाद नेताओं और पार्टियों को इकट्ठे होकर ऐसे किसी मुद्दे पर बात करने की अनुमति नहीं होती, जिससे क्षेत्र में कानून व्यवस्था भंग हो. अगर कोई नेता धरना प्रदर्शन करता हुआ पाया जाता है तो उसका चुनाव नामांकन निरस्त किया जा सकता है. साथ ही उस पर नियमों के मुताबिक सख्त कार्रवाई भी की जा सकती है. यहां तक कि भीड़ इकट्ठी कर मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक देने वाले नेता भी आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन करते हैं.
कैसे मिलती है जनसभा की अनुमति
आचार संहिता लागू होने के बाद अगर किसी पार्टी, नेता, संगठन या आम लोगों को जनसभा कर किसी मुद्दे पर बात करनी होती है तो जिला निर्वाचन अधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होती है. सभी प्रत्याशियों को जनसभा में जुटने वाले लोगों की अनुमानित संख्या के आधार पर कुछ दिन पहले ही निर्वाचन आयोग के नुमाइंदे को पूरी जानकारी देनी होती है. अनुमति मिलने के बाद नेता जनसभा करते हैं. वहीं, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री समेत दूसरे केंद्रीय मंत्रियों की जनसभाओं के लिए क्षेत्र का पार्टी कार्यालय जिला निर्वाचन अधिकारी को पूरी जानकारी मुहैया कराता है. इसके बाद प्रशासन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए तमाम व्यवस्थाओं को देखता है.
ये भी पढ़ें – भारत में गायब हुई ट्रेन, ढूंढते रहे चीन-रूस और अमेरिका, 43 साल बाद 3100 किमी दूर मिली
किस धारा के तहत की जाएगी कार्रवाई
मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों, गुरुद्वारों समेत दूसरे सभी धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार मंच के तौर पर नहीं किया जाएगा. मतदाताओं को वाहनों से मतदान केंद्रों तक लाने ले जाने पर रोक रहेगी. कोई भी व्यक्ति मतदान के दिन मत केंद्रों से 200 मीटर की परिधि में मोबाइल फोन, सेलफोन, वायरलेस का इस्तेमाल नहीं करेगा और न ही लेकर चलेगा. ये प्रतिबंध चुनाव ड्यूटी पर तैनात कार्मिकों, अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों पर लागू नहीं होगा. भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आदर्श आचार संहिता का पालन करना होगा. निषेधाज्ञा की उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा-188 के तहत कार्रवाई की जाएगी.
घातक हथियार लेकर चलने पर पाबंदी
चुनाव की घोषणा के साथ ही शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव के लिए सभी लाइसेंस धारियों को अपने शस्त्र थाने में जमा करने को कहा जाता है. कोई भी व्यक्ति घातक अस्त्र शस्त्र लेकर नहीं चल सकेगा. धारा 144 लागू होने पर बंदूक, रायफल, भाला, बरछी, लाठी या दूसरे घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री लेकर सार्वजनिक सभाओं, रैली, जुलूस में शामिल नहीं हो सकते हैं. राजनीतिक दल या प्रत्याशी शस्त्र के साथ जुलूस नहीं निकाल सकते हैं. आपत्तिजनक पोस्टर बांटने पर भी प्रतिबंध लागू रहेगा. सक्षम अधिकारी की मंजूरी के बिना सभा, रैली या जुलूस पर रोक रहेगी.
.
Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Code of conduct, Code of Conduct violation, Election commission
FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 20:25 IST
Source link