अजब गजब

बंद होने वाली थी रॉयल इनफील्‍ड, फिर सिद्धार्थ ने संभाला बिजनेस और बना दी 80 हजार करोड़ की कंपनी

हाइलाइट्स

साल 2000 में कंपनी के चेयरमैन ने रॉयल इनफील्‍ड का उत्‍पादन बंद करने को बोल दिया था.
इसके बाद उनके बेटे सिद्धार्थ ने कारोबार को दोबारा उठाने के लिए कुछ समय मांगा.
उन्‍होंने एक महीने तक बुलेट मोटरसाइकिल को चलाया और इसकी खूबियां-खामियां पहचानी.

Success Story : सफलता का स्‍वाद हमेशा मीठा होता है. लेकिन, सफलता की कहानियां उन्‍हीं की सुनाई जाती हैं, जिन्‍होंने बेहद प्रतिकूल समय में भी इसे हासिल किया हो. भारतीय सड़कों पर दोपहिया सेक्‍शन की राजा मानी जाने वाली रॉयल इनफील्‍ड (Royal Enfield) बुलेट की सफलता भी ऐसी ही सुनाई जाने वाली कहानी है. इसकी पटकथा कंपनी के मौजूदा सीईओ सिद्धार्थ लाल (Siddhartha Lal) ने लिखी है. एक समय सड़कों से लगभग गायब हो चुकी बुलेट आज युवाओं की पहली पसंद बन चुकी है. रफ्तार, स्‍टाइल, लुक और लग्‍जरी का अहसास कराती इस बाइक कंपनी का नेटवर्थ करीब 54 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका है.

सिद्धार्थ को साल 2000 में रॉयल इनफील्‍ड की जिम्‍मेदारी (बतौर CEO) ऐसे समय सौंपी गई, जब अन्‍य कंपनियों की ज्‍यादा माइलेज वाली दोपहिया आगे निकल रही थी. लोगों को भी पैसों की बचत पसंद आ रही थी और बुलेट जैसी भारी-भरकम बाइक से पीछा छुड़ा रहे थे. 2006 में सिद्धार्थ को आयशर मोटर्स का भी CEO और MD बना दिया गया. इसके बाद उनका पूरा जोर सिर्फ रॉयल इनफील्‍ड को दोबारा सड़कों पर दौड़ाने का रहा. इस काम को पूरा करने के लिए उन्‍होंने परिवार के 15 में से 13 बिजनेस बंद कर दिए. अपना पूरा ध्‍यान और एनर्जी सिर्फ रॉयल इनफील्‍ड ब्रांड पर लगा दिया.

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बंद करने की थी तैयारी, लेकिन…
साल 2000 में कंपनी के चेयरमैन विक्रम लाल ने मैनेजमेंट से रॉयल इनफील्‍ड का उत्‍पादन बंद करने को बोल दिया था. इसके बाद सिद्धार्थ ने कारोबार को दोबारा उठाने के लिए कुछ समय मांगा. उन्‍होंने खुद एक महीने तक बुलेट मोटरसाइकिल को चलाया और इसकी खूबियां-खामियां पहचानी. फिर देश के युवाओं को लक्ष्‍य बनाकर उन्‍होंने मोटरसाइकिल को इम्‍प्रूव किया. महज 2 साल के भीतर बुलेट नए रूप-रंग में शोरूम में दिखाई देने लगी और इसकी बिक्री में भी जबरदस्‍त उछाल आ गया. साल 2014 आते-आते आयशर मोटर्स लिमिटेड ग्रुप की कुल कमाई में 80 फीसदी हिस्‍सेदारी सिर्फ इनफील्‍ड की होने लगी.

बाइक के लिए बेच दिया ट्रैक्‍टर का बिजनेस
सिद्धार्थ ने रॉयल इनफील्‍ड के लिए आयशर मोटर्स के ट्रैक्‍टर बिजनेस को बेच दिया. साल 2005 में आयशर ने ट्रैक्‍टर्स एंड फार्म इक्‍यूपमेंट लिमिटेड को बेच दिया. आयशर मोटर्स का पहला बिजनेस ट्रैक्‍टर ही था. इसके बाद उन्‍होंने ट्रक बिजनेस का भी 46 फीसदी बिजनेस साल 208 में स्‍वीडिश कंपनी वॉल्‍वो को बेच दिया. यह काफी कठिन फैसला था, लेकिन इसी के बूते इनफील्‍ड अपने बाइक के दाम कम रख सकी.

2022 में बेची 8.34 लाख बाइक
मौजूदा समय में रॉयल इनफील्‍ड की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. बीते साल 2022 में कंपनी ने 8,34,895 मोटरसाइकिल बेची, जो अभी तक का रिकॉर्ड है. इस बिक्री से समूह को 714 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ. इतनी ज्‍यादा डिमांड के बावजूद कंपनी ने कीमतें नहीं बढ़ाई. Bullet 350 और Classic 350 के अलावा दो सिलेंडर इंजन वाली बाइक की भी भारत और विदेशी में काफी डिमांड है.

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सिद्धार्थ के पास ऑटो इंजीनियरिंग में मास्‍टर डिग्री
सिद्धार्थ लाल कंपनी के चेयरमैन रहे विक्रम लाल के बेटे हैं. उन्‍होंने दून स्‍कूल से शुरुआती पढ़ाई के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्‍टीफन कॉलेज से इकोनॉमिक्‍स में डिग्री ली. इसके बाद क्रैनफील्‍ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्‍टर डिग्री लिया. इतना ही नहीं यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी से ऑटो इंजीनियरिंग में मास्‍टर भी किया. फिलहाल वह आयशर समूह के एमडी और सीईओ हैं और रॉयल इनफील्‍ड के सीईओ का पद छोड़ दिया है.

आधा हो गया सिद्धार्थ का पैकेज
साल 2015 से ही सिद्धार्थ यूके में हैं और वहीं से अपना बिजनेस चला रहे हैं. एक विवाद के बाद साल 2021 में उनका सालाना पैकेज 21.12 करोड़ से घटाकर 12 करोड़ कर दिया गया था. फोर्ब्‍स के अनुसार, विक्रम लाल फैमिली की कुल नेटवर्थ 2022 में करीब 54 हजार करोड़ रुपये थी. इतना ही नहीं सिद्धार्थ लाल की नेटवर्थ भी 37 हजार करोड़ रुपये आंकी गई, जबकि कंपनी की बाजार पूंजी बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपये पहुंच गई है.

Tags: Bullet Bike, Royal Enfield, Success Story, Successful business leaders


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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