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गृह मंत्री अमित शाह ने दिलाया भरोसा, कर्नाटक में नहीं समाप्त होगा मुस्लिम पसमांदा आरक्षण

नई दिल्ली. कर्नाटक में चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्र में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कर्नाटक में 4% मुस्लिम आरक्षण समाप्त नहीं होगा लेकिन अभी आरक्षण सिर्फ पसमांदा मुस्लिम समाज को मिलेगा. जो पसमांदा मुस्लिम नहीं है उन्हें ईडब्ल्यूएस आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को मिले 10% आरक्षण में हिस्सेदारी मिलेगी. दरअसल मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के एक 16 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के नेतृत्व में मंगलवार की देर शाम भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की.

इस प्रतिनिधि मंडल ने देश में हो रहे सांप्रदायिक दंगों, नफरती अभियान, इस्लामोफोबिया, मॉब लिंचिंग, समान नागरिक संहिता, मदरसों की स्वायत्तता, कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण, कश्मीर की वर्तमान स्थिति, असम में जबरन बेदखली और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा जैसे मुद्दों को लिखित रूप में प्रस्तुत किया. एक घंटे से अधिक चली इस बैठक में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम की जमानत का मुद्दा भी उठाया गया.

प्रतिनिधिमंडल को अमित शाह ने भरोसा दिलाया मुस्लिम समुदाय के साथ कोई भेदभाव या अन्याय नहीं होगा. मुस्लिम पर्सनल लॉ लोगों को कर्नाटक में आरक्षण देने का वह खुद ऐलान करेंगे और लिखित तौर पर कर्नाटक के मंत्री इस सिलसिले में तमाम तरह के भ्रम को दूर करेंगे. इस अवसर पर बातचीत के आरंभ में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश के दूसरे सबसे बड़े बहुसंख्यक वर्ग को निराशा के अंधेरे में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है और नफरत एवं संप्रदायिकता की खुलेआम अभिव्यक्ति द्वारा देश के वातावरण को दूषित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है.

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गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रस्तुत की गई मांगों को ध्यान से पढ़ा और देश की सांप्रदायिक स्थिति पर कहा कि इस बार रामनवमी त्योहार के अवसर पर जो धार्मिक तनाव और हिंसा हुई है, उससे हम भी चिंतित हैं. जिन राज्यों में हमारी सरकारें नहीं हैं, वहां हमने राज्यपाल या मुख्यमंत्री के जरिए इसे नियंत्रित करने की कोशिश की है और जहां हमारी सरकारें हैं, वहां जो भी घटनाएं हुई हैं, जांच के बाद दोषियों विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.

गृह मंत्री ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं के संबंध में कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाएं देश के किसी भी हिस्से में हुई हों, हमें यह देखने की जरूरत है कि हत्या की स्थिति में क्या धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज हुआ है या नहीं, अगर नहीं हुआ है, आप हमें लिख कर भेजें, हम इसे तत्काल सुनिश्चित करेंगे. इस संबंध में जमीअत उलमा-ए-हिंद जल्द ही ऐसी घटनाओं की सूची बनाकर गृह मंत्री को भेजेगी. प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से मेवात में एक के बाद एक हुई घटनाओं का भी उल्लेख किया और बताया कि वहां गौरक्षकों के नाम पर अराजक तत्वों का एक गिरोह है, जैसा कि स्टिंग ऑपरेशन में भी सामने आया है, उस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। इस पर गृह मंत्री अपनी सहमति व्यक्त की.

कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर जब प्रतिनिधिमंडल ने आलोचना की तो गृह मंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हिंदू और मुसलमानों की समस्या नहीं बनाया जाना चाहिए, यह स्टेट पॉलिसी का हिस्सा है, लेकिन जहां तक वहां अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की शिकायत है, तो इस संबंध में कोई विशेष मामला हो तो वह हमारे संज्ञान में लाईए, हम कठोर कार्रवाई करेंगे. गृह मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं करती है. सरकार की नीतियों और योजनाओं में हिन्दू-मुसलमान सब शामिल हैं, हम अलग से किसी के लिए योजना नहीं बनाते हैं.

Tags: Amit shah, Delhi news, Islamophobia


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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