देश/विदेश

पत्नी शिक्षित और नौकरी ढूंढने में सक्षम तो पति को नहीं देना होगा भत्ता: घरेलू हिंसा के केस में कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली. यहां की एक अदालत ने घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) के तहत अंतरिम गुजारा भत्ता के लिए एक महिला की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह काफी पढ़ी-लिखी है और आय का स्रोत खोजने में सक्षम है, ऐसे में उसे गुजारा भत्ता देने की इजाजत देने से अकर्मण्यता एवं पति पर निर्भरता को बढ़ावा मिलेगा. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्वयं सिद्ध त्रिपाठी अधिनियम के तहत 50,000 रुपये प्रति माह के अंतरिम गुजारा भत्ता के अनुरोध वाली अर्जी पर सुनवाई कर रहे थे.

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता (पत्नी) काफी पढ़ी-लिखी है और अपने लिए आय का स्रोत खोजने में सक्षम है, ऐसे में गुजारा भत्ता की अनुमति केवल अकर्मण्यता और पति पर निर्भरता को बढ़ावा देगी. इसलिए, मैं उसकी कमाई करने की क्षमता को देखते हुए कोई गुजारा भत्ता देने का इच्छुक नहीं हूं.’’

ये भी पढ़ें- 10 राज्यों में 27 महिलाओं से 66 साल के आदमी ने की शादी, कोई डॉक्टर तो कोई CA, अब ED ने दर्ज किया केस

अदालत ने सुनाया ये फैसला
अदालत ने कहा कि पति की आय और बेहतर जीवनशैली साबित करने के बजाय पत्नी को यह दिखाना होगा कि अपना खर्च चलाने, जीवित रहने और यहां तक कि बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में वह असमर्थ है तथा उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया है.

इसने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता को यह साबित करना होगा कि या तो वह कमा नहीं रही है या उसकी आय उस जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है, जो उसे ससुराल में उपलब्ध था.’’

अदालत ने पाया कि वर्तमान मामले में पत्नी एमबीए है और अपने पति के बराबर योग्य है. इसने यह भी कहा कि पति, जो एक चिकित्सक है, वर्तमान में बेरोजगार है.

वहीं इससे कुछ दिन पहले एक मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि पति अगर भीख भी मांगता हो तो उसे पत्नी को गुजारा भत्ता देना होगा. ये उसकी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है. दरअसल, हाईकोर्ट में चरखी दादरी फैमिली कोर्ट के उस फैसले पर सुनवाई हो रही थी जिसमें पति को गुजारा भत्ते के तौर पर पत्नी को 5 हजार रुपये हर महीने देने का निर्देश दिया गया था. फिर इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

Tags: Delhi Court, Domestic violence


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!