अजब गजब

Startup: बायोटेक इंजीनियर तैयार कर रहे ‘स्पेशल’ मशरूम, गांव में शुरू की लैब…विदेशों तक डिमांड

अलवर. जिले के शिरोड खुर्द गांव की धाक इन दिनों भारत में ही नहीं, विदेशी में सुनाई दे रही है. शिरोड खुर्द निवासी बायोटेक इंजीनियर कृष्ण कुमार ने गांव में कीड़ा जड़ी मशरूम की पैदावार कर अपनी लग्न का लोहा मनवाया है. कृष्ण कुमार ने बीटेक के दौरान रिसर्च करते समय अपने छोटे से गांव में स्टार्टअप शुरू करने का मन बनाया.

फिर ठंडे प्रदेशों में पैदा होने वाली कीड़ा जड़ी मशरूम यानी कॉर्डिसेप्स मशरूम की पैदावार करनी शुरू की. अब वह यह मशरूम पैदा कर न केवल भारत के बडे़ शहरों में भेज रहे हैं, बल्कि वियतनाम व थाईलैंड तक निर्यात कर रहे हैं. इस मशरूम को कंटेनमेंट जोन में एक छोटी सी लैब में तैयार किया जा सकता है. यह मशरूम मेडिसिन के रूप में भी काम आती है.

वैक्सीन बनाते समय आया ख्याल
कृष्ण कुमार का कहना है बायोटेक इंजीनियरिंग का ज्यादातर कार्य लैब में होता है. वैक्सीन तैयार करते समय एक दिन उनके दिल में आया कि क्यों न वह लैब में कीड़ा जड़ी मशरूम तैयार करें. इसके बाद स्टार्टअप शुरू कर गांव में लैब तैयार कर कीड़ा जड़ी मशरूम तैयार करने लगे. अब उनका तैयार किया मशरूम अलवर, दिल्ली, जयपुर आदि बड़े शहरों के साथ वियतनाम व थाईलैंड तक पहुंच रहा है. योगेश का कहना है कि कीड़ा जड़ी मशरूम के स्टार्टअप के लिए करीब 40 लाख रुपये की लागत आती है, जिसमें एक कीड़ा जड़ी मशरूम का बैच करीब तीन महीने में तैयार होता है. इससे उन्हें करीब 6 लाख रुपये तक मुनाफा होता है.

मशरूम की दवा के रूप में मांग
कष्ण कुमार के अनुसार, कॉर्डिसेप्स साइनेसिस हिमालय व तिब्बती रीजन में 12 हजार फीट ऊंचे पहाड़ पर पाई जाती है. इसकी कीमत ज्यादा है. कॉर्डिसेप्स साइनेसिस मिलिटरिस को लैब में लगाया जा सकता है. भारत में दो तरह की ही मशरूम कॉर्डिसेप्स साइनेसिस और कॉर्डिसेप्स साइनेसिस मिलिटरिस पाई जाती है. इनकी मेडिसिन में काफी मांग है. कृष्ण कुमार के मुताबिक, यह इम्यूनिटी बूस्टर है. एथलीट व वर्क आउट करने वाले लोग इसे ज्यादा लेते हैं. इसे वेज और नॉनवेज दोनों तरीके से तैयार किया जा सकता है, लेकिन भारत में नॉनवेज को लोग ज्यादा पसंद नहीं करते, इसलिए वे ब्राउन राइस मेथड से तैयार कर रहे हैं.

21 डिग्री तापमान पर तैयार होती है मशरूम
इस मशरूम को तैयार करने के बारे में कृष्ण कुमार ने बताया कि इसके लिए लैब में तापमान 21 डिग्री और आर्द्रता 75 रहनी चाहिए. यह ब्राउन राइस में तैयार की जाती है. 15 दिनों तक इसे डार्क पीरियड में रखा जाता है. 90 दिनों में यह कॉर्डिसेप्स तैयार हो जाती है. इंडिया में अभी इसका मार्केट कमजोर है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में इसकी मांग है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

FIRST PUBLISHED : April 05, 2023, 09:57 IST


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!