मध्यप्रदेश

Admissions In Private Colleges Will Be Given Without Giving Pat In Mp – Khandwa News – Khandwa:mp में बगैर Pat दिए होंगे निजी कॉलेजों में एडमिशन, छात्र बोले


कृषि कॉलेज के छात्रों ने किया धरना प्रदर्शन

विस्तार


मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने अब कई निजी कॉलेजों को भी कृषि से संबंधित पाठ्यक्रमों को पढ़ाए जाने का आदेश जारी कर दिया है, जिसमें बगैर एंट्रेंस एग्जाम दिए भी एडमिशन होने लगे हैं। लेकिन सरकार के इस आदेश को लेकर अब प्रदेश भर के शासकीय कृषि महाविद्यालयों में एंट्रेंस एग्जाम देकर पढ़ने वाले छात्र खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इसको लेकर प्रदेश के खंडवा नगर के भगवंत राव मंडलोई कृषि महाविद्यालय से भी विरोध के सुर देखने को मिले हैं।

सरकार के इस आदेश के विरोध में यहां के छात्र छात्रा कॉलेज परिसर में ही बुधवार को धरने पर बैठ गए। हालांकि इसके पहले मंगलवार को भी छात्रों ने कॉलेज से जिला कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकालने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया और वहीं पर उनसे ज्ञापन ले लिया गया था। इसके बाद अब छात्रों ने कॉलेज में ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों का कहना है कि जब तक मध्य प्रदेश सरकार इस तरह के आदेश को वापस नहीं लेती है, तब तक उनका यह धरना आंदोलन जारी रहेगा।

ये है आदेश

मध्य प्रदेश में बीते माह उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को गैर कृषि महाविद्यालय में संचालित करने के आदेश दिए गए हैं। बस इसी बात को लेकर कृषि महाविद्यालय के छात्र आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि गैर कृषि महाविद्यालय में इस पाठ्यक्रम को पढ़ाए जाने से ना तो विद्यार्थियों का भला होगा, ना ही वे अच्छे और कुशल कृषक बन पाएंगे। क्योंकि कृषि महाविद्यालय में कृषि के छात्रों को लैब और फील्ड में प्रैक्टिकल कराए जाते हैं। इसके चलते वे बहुत सी चीज सीख पाते हैं। लेकिन, गैर कृषि महाविद्यालय में ना तो लैब है, ना हीं उनके पास कृषि के लिए जमीन। ऐसे में वहां पढ़ने वाले छात्र सही से पढ़ भी नहीं पाएंगे। वहां उन्हें सिर्फ चार दिवारी में डिग्री ही मिल सकती है, लेकिन नॉलेज नहीं। इसी बात को लेकर हम अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। बता दे कि छात्रों के अनुसार इस मामले में इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका भी लगाई गई है, और अब जगह-जगह कृषि महाविद्यालयों में प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।

मप्र शासन को नहीं है आदेश निकालने का अधिकार

कृषि महाविद्यालय के छात्रों का कहना है कि कृषि का स्नातक पाठ्यक्रम तकनीकी शिक्षा से जुड़ा हुआ है। इसका संचालन और नियंत्रण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली द्वारा किया जाता है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कृषि स्नातक पाठ्यक्रम का संचालन नहीं किया जाता। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह आदेश का अधिकार उच्च शिक्षा विभाग के पास नहीं है। कृषि के छात्रों का यह भी कहना है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषि कॉलेज में कृषि स्नातक पाठ्यक्रम को संचालित करने के लिए नियमावली बनाई गई है। ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की नियमावली को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि अनुसंधान परिषद की स्थापना इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि कृषि के अनुसंधान का प्रसार होगा। जिसमें कृषि की नवीनतम तकनीक, कृषि के लिए आवश्यक आधुनिक मशीनरी, उन्नत बीजों का विकास एवं कृषि से संबंधित अन्य गतिविधियों की नवीन प्रणाली को स्थापित किया जाएगा। लेकिन गैर कृषि महाविद्यालय में यह सब हो पाना मुश्किल है। ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस आदेश को वापस लेकर कृषि महाविद्यालय में ही कृषि की पढ़ाई करने दी जाए।

शासकीय कॉलेजों में मौजूद हैं कृषि विशेषज्ञ

खंडवा कृषि कॉलेज के एक छात्र ने बताया कि उनके परिसर में सबसे अच्छी सुविधा यह है कि उनके पास यहां जमीन मौजूद है। उसके साथ ही एक सुसज्जित लैब भी है। जहां वे कृषि पर अनुसंधान कर सकते हैं। लेकिन सरकार ने जो आदेश दिया है, अगर उन संस्थानों में कृषि की पढ़ाई शुरू होती है तो उनके पास इस तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं रहेगी। ऐसे में जो बच्चा कभी हल चलाना नहीं सीखा, वह कैसे अपनी पढ़ाई पूरी कर पाएगा। जबकि कृषि महाविद्यालय में कृषि विशेषज्ञ प्रोफेसर भी मौजूद हैं। गैर कृषि महाविद्यालय में अन्य विषय के शिक्षक ही यह विषय पढ़ाएंगे। ऐसे में यह न्याय संगत नहीं होगा।

मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन

कृषि महाविद्यालय के छात्रों का कहना है कि वह कल से ही इस आदेश का विरोध कर रहे हैं। जब कल वे एक रैली के रूप में ज्ञापन देने जिला कलेक्टर कार्यालय जा रहे थे तो उन्हें बीच रास्ते में ही रोक कर उनका ज्ञापन ले लिया गया। उसके पीछे यह तथ्य दिया गया कि उन्होंने रैली के लिए परमिशन नहीं ली थी। इसीलिए आज हमने यहां एक दिन का सांकेतिक धरना रखा है। अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो, हम इसे अनिश्चितकाल तक लेकर जाएंगे।

 


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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