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अगर अमृतपाल पाकिस्तान या नेपाल में शरण ले लेगा तो क्या होगा? कैसे गिरफ्त में आएगा भगोड़ा, जानें

नई दिल्ली. खालिस्तान समर्थक और कट्टरपंथी नेता अमृतपाल सिंह पंजाब पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है. पंजाब पुलिस की कई टीमों की लगातार जारी दबिश में उसकी परछांई तक नहीं मिली है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि कहीं अमृतपाल सिंह ने देश की सीमा लांघकर परदेश में तो नहीं शरण ले रखी है. अमृतपाल के खिलाफ 6 FIR दर्ज हैं और नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (National Security Act-NSA) लगा दिया गया है. अब यदि वह किसी दूसरे देश में छिप गया है तो उसे भारत वापस लाना मुश्किल भी हो सकता है, क्योंकि हमारी कई देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि ही नहीं है.

पहले के कुछ मामलों पर एक नजर डालें तो नीरव मोदी, अबू सलेम और मेहुल चौकसी जैसे कई अपराधी हैं, जो जुर्म के बाद दूसरे देश चले गए. मेहुल चौकसी के मामले में हाल ही में इंटरपोल यानी इंटरनेशनल पुलिस फोर्स ने रेड कॉर्नर नोटिस हटा दिया. इससे ये भी हो सकता है कि पीएनबी में करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का ये आरोपी साफ बच निकले. विदेश भागना कई बार अपराधियों का बच निकलने का बड़ा रास्ता बन जाता है. 4 दिनों से फरार चल रहे अमृतपाल सिंह को पकड़ने कई ठिकानों पर दबिश दी जा रही है, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं है. उसके पाकिस्तान या फिर नेपाल में दाखिल होने के भी कयास लगाए जाने लगे हैं. इसी आशंका से बॉर्डर पर कड़ी निगरानी की जा रही है. यदि वह पाकिस्तान पहुंच गया तो फिर उसे लाना बेहद कठिन हो सकता है. नेपाल में भी उसके पहुंचने के बाद उसका पता लगाना आसान नहीं होगा.

अभी प्रत्यर्पण संधि से देश में लाए जाते हैं भगौड़े
अब सवाल यही है कि भगोड़े अपराधी विदेश भाग जाएं तो वह कैसे पकड़ में आते हैं. इसके लिए काम आती है एक्स्ट्राडिशन ट्रीटी या प्रत्यर्पण संधि. प्रत्यर्पण का मतलब है वापस लौटाना. इंटरनेशनल स्तर पर अपराधियों के मामले में ये संधि की गई.

किनके साथ है हमारी संधि
भारत की 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, और रूस जैसे बड़े देश भी शामिल हैं. वहीं 12 देशों के साथ हमारा एक्स्ट्राडिशन अरेंजमेंट है. इन दोनों में फर्क वही है, जो लिखित और बोले गए वादे में होता है. अरेंजमेंट में ये भी हो सकता है कि किसी कानून की आड़ में आगे चलकर देश अपराधी को दूसरे देश को न सौंपे.

इन देशों के साथ नहीं है करार
पड़ोसी देशों के साथ हमारी एक्स्ट्राडिशन ट्रीटी नहीं है. इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, मालदीव और म्यांमार शामिल हैं. नेपाल से भी यह संधि बहुत असरदार नहीं है. अक्टूबर 1953 में ही कोइराला सरकार के समय भारत और नेपाल ने प्रत्यर्पण संधि की थी, लेकिन बाद में इसमें रिवीजन की जरूरत महसूस की गई. साल 2006 के बाद से कई बार दोनों देश करार करने के करीब पहुंचे लेकिन किसी न किसी कारण से रुक गए. इसके पीछे चीन की मंशा भी मानी जाती है.

Tags: Amritpal Singh, Chandigarh news, Extradition, Punjab news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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