मध्यप्रदेश

संगीत सरहदों में नहीं बंधता, भारत-जिम्बाबे के संगीत कला साधकों ने बांधा समा | Music is not bounded by borders, Indo-Zimbabwe musical art seekers tied the knot


ग्वालियर31 मिनट पहले

ग्वालियर में इस साल के तानसेन समारोह में भी भारतीय शास्त्रीय संगीत के मूर्धन्य साधकों और सुदूर अफ्रीकन देश जिम्बाबे से आए संगीत कला साधकों ने अपने गायन-वादन से यही संदेश दिया। पूरब और पश्चिम की सांगीतिक प्रस्तुतियों का गुणीय रसिकों ने बुधवार की सुबह आयोजित हो रही संगीत सभा में जी भरकर आनंद उठा रहे हैं। प्रेम, विरह व श्रृंगार से परिपूर्ण संगीत की भावनात्मक मिठास दिलों को जोड़ती है। संगीत सरहदों में नहीं बंधता। संगीत का संदेश भी शास्वत है और वह है प्रेम

दिसंबर माह की सुबह की सर्द बेला में जिम्बाबे के ब्लेसिंग चिमंगा बैंड के कलाकारों ने जब अलावा मारींबा, सिंथेसाइजर , गिटार , सैक्सोफोन , ड्रम और मरीबा नामक वाद्य यंत्रों से शास्त्रीय संगीत से साम्य स्थापित कर मीठी-मीठी विशुद्ध अफ्रीकन धुनें निकालीं तो एक बारगी ऐसा लगा मानो गान महृषि तानसेन के आंगन में हो रहे संगीत के महाकुंभ में विश्व संगीत की आहुतियाँ हो रहीं हैं। इस बैंड ने अफ्रीका की सांस्कृतिक व मौलिक धुनों को जब ऊर्जावान होकर तेज रिदम के साथ प्रस्तुत किया तो युवा रसिक श्रोताओं में जोश भर गया। वहीं प्रकृति से जुड़े और निखरे अफ्रीकन संगीत ने गुणीय रसिकों को भीतर तक प्रभावित किया।

बैंड के मुख्य कलाकार चिमांगा हैं, जो अलावा मारींबा नामक अफ्रीकन वाद्य यंत्र बजाते हैं। तान समारोह में हुई इस बैंड की प्रस्तुति में सिंथेसाइजर व मबीरा पर अलीशा , गिटार पर जोलास बास और तुलानी कुवानी ने सैक्सोफोन पर संगत की।ड्रम व अन्य ताल वाद्यों पर ब्लेसिंग मापरुत्सा ने प्रोत्साहन दिया।

पद्मभूषण बेगम परवीन सुल्ताना की गायकी ने ताना सुरों का शामियाना

संगीत की नगरी ग्वालियर में बुधवार की शाम मौसम सुहाना था ।पर तानसेन समारोह के भव्य मंच पर संगीत सम्राज्ञी पद्मभूषण बेगम परवीन सुल्ताना जब मंच पर पधारीं तब रात सर्द हो चली थी। बेगम साहिबा ने अपने बेजोड़ स्वरों की आंच से रात को गर्मा दिया। वहीं सरगम, पल्टों और गमक से सजे उनके गायन से झरीं तानों ने ऐसा शीतल शामियाना तान दिया मानो गर्मी से दहकते दिन में अचानक घनघोर बादल गर्माहट को शीतलता में तब्दील करने के लिए आ गए हों। बेगम परवीन सुल्ताना ने गान मनीषी तानसेन के चौबारे में गायन के लिए मधुर राग ” मारू बिहाग” का चयन किया। इस राग में उन्होंने बड़ा ख्याल गाया, जो कि एक ताल में निबद्ध था। जिसके बोल थे ” कैसे बिन साजन रहा न जाए”। अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने तीन ताल में छोटा ख्याल ” कवन न कीन्हों ” पेश कर रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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