देश/विदेश

Russia ukraine war ukrainian young mp sviatoslav yurash connection with kolkata zelensky putin

हाइलाइट्स

स्वितोस्‍लाव एंड्रियोविच यूराश यूक्रेन के सबसे कम उम्र के सांसद हैं.
23 साल की उम्र में संसद सदस्य बन गए थे एंड्रियोविच यूराश.
वह 2013 में कलकत्ता में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन करने आए थे.

नई दिल्ली. यूक्रेन की संसद के सबसे कम उम्र के सदस्य स्वितोस्‍लाव एंड्रियोविच यूराश (Sviatoslav Andriiovych Yurash) ने 27 साल की कम उम्र में वह सब देखा है जो कई लोग अपने पूरे जीवनकाल में नहीं देख पाते हैं. पश्चिमी यूक्रेन में लविव के निवासी साल 2013 में कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन करने आए थे. साल 2014 में क्रीमिया के विनाश के बाद रूस विरोधी आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने भारत में अपने अध्ययनकाल को छोटा कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत से वापस यूक्रेन जाने के बाद उन्होंने खुद को स्टैंड-अप कॉमेडियन से राजनेता बने वोलोडिमिर जेलेंस्की से जोड़ा. इसके बाद 23 साल की उम्र में वह सांसद बन गए. यूक्रेन के एक साल से अधिक समय तक रूस के साथ युद्ध (Russia Ukraine War) में लगे रहने के कारण, वह खेरसॉन, जापोरीजिया और बखमुत की खाइयों में भी लड़े, और देश के लिए ‘मरने के लिए तैयार’ हैं.

पढ़ें- Russia-Ukraine War: बखमुत में यूक्रेन का जबरदस्त पलटवार, 24 घंटे में मारे गए 500 से अधिक रूसी सैनिक, सैकड़ों घायल!

ऐसा नहीं है कि युवा सांसद अपने या अपने देश के लिए ज्यादा विकल्प नहीं देखता है. यूराश कहते हैं, ‘गर रूस लड़ना बंद कर देता है, तो शांति होगी. अगर हम लड़ना बंद कर देते हैं, तो कोई यूक्रेन नहीं होगा.’ ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और विदेश मंत्रालय द्वारा संचालित रायसीना डायलॉग के हिस्से के रूप में आयोजित रायसीना यंग फेलो प्रोग्राम के लिए दिल्ली में यूराश कोलकाता में अपने बिताए समय को प्यार से याद करते हैं. वह कहते हैं मेरा नाम सिवातोस्लाव हमेशा उच्चारण में गड़बड़ हो जाता था. इसलिए मुझे मेरे दोस्त ‘स्वीट लव’ कहते थे.

वह कहते हैं, ‘मुझे अभी भी कॉलेज स्ट्रीट (कोलकाता में) पर किताबों की दुकानें और शहर में स्ट्रीट फूड खाने की याद है. लोग मुझे चेतावनी देते थे, कहते थे कि मेरा पेट मोटा हो जाएगा. मैंने उस साल कलकत्ता में दुर्गा पूजा भी मनाई थी.’ जब यूराश यह सब बोल रहे थे तो उनके चेहरे पर उत्साह साफ झलक रहा था. 6 फुट लंबे यूक्रेनी सांसद 17 साल के थे, जब वह एक साल के एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पोलैंड के वारसॉ यूनिवर्सिटी से भारत आए थे.

उन्होंने कहा, ‘मैं साल 2013 की शरद ऋतु में कलकत्ता आया था, लेकिन मुझे छह महीने में लौटना पड़ा. क्योंकि कीव में एक केंद्रीय सार्वजनिक वर्ग में क्रांति गति पकड़ रही थी.’ फरवरी 2014 में विरोध प्रदर्शनों के कारण रूस समर्थक यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर को अपदस्थ कर दिया गया. जिसके बाद रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. यूराश उन हजारों युवाओं में से एक थे जो रूसी हस्तक्षेप के विरोध में शामिल हुए और जल्द ही देश की राजनीतिक रूप से सक्रिय युवा ब्रिगेड का हिस्सा बन गए.

Tags: Russia ukraine war, Ukraine


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!