अजब गजब

– vicco founder keshav vishnu pendharkar who run small shop in mumbai and built national fmcg brand – News18 हिंदी

VICCO Brand Success Story: एक जमाना था जब लोग मोहल्ले की दुकानों से परचून का सामान लेते थे. पिछले कुछ वर्षों में मॉल कल्चर, ग्रॉसरी स्टोर्स और होम डिलीवरी की सुविधा आने के बाद लोग मोहल्लों की दुकानों को मानो भूल गए हैं. सभी शहरों में कुछ स्थानीय दुकानें अपने नाम से बेहद फेमस हैं और एक ब्रांड तक बन चुकी हैं. हम आपको परचुन की दुकान के मालिक की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं. जिनकी मोहल्ले की दुकान ब्रांड बनकर आज पूरे देश में फेमस है. मार्केट में आज दिख रहे कई लोकप्रिय ब्रांड कभी छोटे व्यवसायों के रूप में शुरू हुए थे. कुछ ब्रांड की शुरुआत तो एक छोटे से कमरे से हुई और फिर एक सफल व्यापारिक साम्राज्य में बदल गई. ऐसी ही कहानी है मशहूर ब्रांड विक्को की, जिसकी स्थापना केशव विष्णु पेंढारकर ने 1952 में की थी.

आपने 90 के दशक में विक्को वज्रदंती टूथ पाउडर का एड जरूर देखा होगा. यह विक्को ब्रांड का पहला प्रोडक्ट था. आज की पीढ़ी ने भले ही VICCO प्रोडक्ट्स का उपयोग नहीं किया हो, लेकिन ‘वज्रदंती वज्रदंती विक्को वज्रदंती’ जिंगल वाले इस लोकप्रिय विज्ञापन जरूर देखा होगा.

ये भी पढ़ें- छोटी-सी दुकान के लिए छोड़ दी लाखों की नौकरी, धंधे में कैसी शर्म, इस लड़के से सीखो, संभाल रहा है पापा का कारोबार

क्या है VICCO का पूरा नाम
VICCO का मतलब विष्णु इंडस्ट्रियल केमिकल कंपनी है. VICCO से पहले, केशव विष्णु पेंढारकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए महाराष्ट्र के नागपुर में एक किराने की दुकान चलाते थे. लेकिन, एक दिन उन्होंने अपने परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट होने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक बांद्रा और शहर के अन्य इलाकों में कुछ छोटे-मोटे काम किये. परेल में उन्होंने देखा कि लोग एलोपैथिक दवाओं और विदेशी कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स का बहुत उपयोग करते हैं. इसके बाद उन्होंने अपना खुद का ब्रांड लॉन्च करने का फैसला किया जो कॉस्मेटिक ब्रांड्स का एक रसायन-मुक्त विकल्प साबित हुआ.

इस बिजनेस में हाथ डालने से पहले पेंढारकर ने आयुर्वेद बारे में ज्ञान लिया. इसके बाद अपने बहनोई, जो आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में जानते थे उनसे मदद ली. केशव विष्णु पेंढारकर ने घर पर ही पहला आयुर्वेदिक उत्पाद टूथ पाउडर बनाया. इसे उन्होंने अपने बेटे के साथ घर-घर जाकर बेचना शुरू किया. इसके बाद तो धीरे-धीरे विक्को का बिजनेस रफ्तार पकड़ने लगा.

1955 में खोली फैक्ट्री
विक्को की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 1955 में केशव पेंढारकर ने परेल में विक्को कमर्शियल प्रोडक्शन के नाम से छोटी-सी फैक्टी की शुरुआत की. उस समय कंपनी का टर्नओवर महज 10,000 रुपये सालाना था. धीरे-धीरे बिजनेस में तरक्की हुई तो विक्को की फैक्ट्री को डोंबिवली में शिफ्ट किया. 1975 में विक्को ने अपनी पहली कॉस्मेटिक क्रीम विक्को टरमेरिक स्कीन क्रीम लॉन्च की. इसके बाद विक्को की फैक्ट्री डोंबिवली के अलावा नागपुर में भी शुरू की गई. विक्को के उत्पाद देश के साथ विदेशों में भी लोकप्रिय हुए. यूएस, कनाडा, यूरोप और मिडिल ईस्ट के देशों में विक्को के सामनों की मांग होने लगी.

विष्ण पेंढारकर तो अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी तीसरी पीढ़ी इस व्यासायिक विरासत को संभाल रही है. पेंढारकर के पोते संजीव ने द बेटर इंडिया को बताया, किसी समय उनके परिवार के पास 3 कमरों का घर था. लेकिन बिजनेस शुरू होने पर घर की रसोई विनिर्माण इकाई बन गई और अन्य कमरे गोदाम और कार्यालय में बदल गए. दादा जी की कड़ी मेहनत रंग लाई, लोगों को उनका टूथ पाउडर पसंद आने लगा. 1952 में उन्होंने इसका नाम विक्को रखा. महज चार साल के अंदर ही उनकी कंपनी ने अच्छी ग्रोथ हासिल कर ली.

Tags: Billionaires, Business news in hindi, High net worth individuals, Indian FMCG industry, Success Story


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!