Sweet things of holi gujia originated from bundelkhand or came fro turkey

हाइलाइट्स
होली का त्योहार और गुजिया की मिठास एक दूसरे के पूरक
गुजिया पूरे भारत में लोकप्रिय बस अलग राज्यों में इसके नाम हैं अलग
इसका जिक्र सबसे पहले भारत में 13वीं सदी में मिलता है
होली पर एक व्यंजन जो देश का राष्ट्रीय पकवान बन जाता है, वो गुजिया है, जिसे गुझिया और कई दूसरे नामों से भी संबोधित किया जाता है. होली में अगर घर पर गुजिया ना बने तो त्योहार की परंपरा पूरी नहीं होती. होली पर कोई पार्टी कोई भी दावत गुजिया के बगैर अधूरी है. इस मौके पर कोई घर आता है तो उसे खानपान में यही मीठी डिश पेश की जाती है. मैदे के अर्धचंद्राकार आवरण के अंदर खोया के साथ ड्राईफ्रूट्स मिला लजीज स्वाद.
क्या आपने कभी ये सोचा कि पहली गुजिया कब और कैसे बनी होगी. ये विशुद्ध भारतीय व्यंजन है, जिसका होलीकरण हो चुका है. ऐसा व्यंजन जो होली के रंगोंत्सव के साथ पूरक है. क्या ऐसा तो नहीं कि भारत में आए ज्यादातर व्यंजनों की तरह ये भी कहीं विदेश से यहां आई और फिर यहीं के रंग में रंग गई.
बाहर मैदे की परत अंदर मेवा और ड्राईफ्रूट्स का स्टफ
गुजिया में अगर बाहर मैदे की परत होती है तो अंदर दूध से बने खोए, नारियल के बुरादे और कई तरह के ड्राईफ्रूट्स का परफेक्ट संगम. घरों में पहले खोया, नारियल और मेवों को काटकर उन्हें मिलाते हैं और फिर कढाई में डालकर हल्का हल्का भूनते हैं. इस तरह ये गुजिया के अंदर का मिश्रण तैयार हो चुका है.
होली के अवसर पर उत्तर भारत में हर घर में गुजिया का बनना किसी परंपरा की तरह है. (sanjay srivastava)
इसके मैदे को गूंथकर छोटी लोईयों को बेलते हैं, उन्हें गोलाकार काटते हैं. फिर इसके अंदर मीठा मिश्रण भरकर सांचों के शेप दिया जाता है. बस अब इसे तला जाएगा और ये मुंह को अपने सोंधे, लजीज मीठेपन से भरने के लिए तैयार है. यही गुजिया है लेकिन इसकी महिमा तो अपरंपार है.
अब तो गुजिया के तरह तरह के रूप
वैसे आपको बता दें कि जहां पहले सिर्फ मावा भरावन वाली गुजिया होती थी वहीं अब सूजी, बेसन, ड्राई फ्रूट्स, मूंग दाल जैसी कई चीज़ों से स्टफिंग की जा रही है जो इसका स्वाद अलग बना देती है. मावा के साथ कभी कभी हरा चना, मेवा या दूसरे खाद्य पदार्थ मिलाकर मसलन जैसे अंजीर या खजूर की गुजिया भी बनाई जाती हैं. कहीं कहीं अब हेल्थ के प्रति जागरूक लोग इसमें अंदर की फीलिंग केवल ड्राईफ्रूट्स की लेने लगे हैं. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि गुजिया के भी भांति भांति के रूप हो चुके हैं.

गुजिया को अलग अलग राज्यों में अलग नामों से जानते हैं. आमतौर पर अगर उत्तर भारत में होली पर गुजिया प्रमुख मीठा व्यंजन है तो दक्षिण भारत में दीपावली के समय ये बनाई जाती है. (wiki commons)
हर राज्य में अलग अलग नाम
इसे छत्तीसगढ़ राज्य में कुसली, महाराष्ट्र में करंजी, बिहार में पिड़की, गुजरात में घुघरा, कर्नाटक में करिगाडुबु, तमिलनाडु में सोमासी और आंध्र प्रदेश में कज्जिकयालु कहते हैं. उत्तर भारत में होली तथा दक्षिण भारत में दीपावली के अवसर पर घर में गुझिया बनाने की परंपरा है.
कहां से आई गुजिया
गुजिया कहां से आई और जुबान पर चढ़ गई, इसके बारे में नंदिता अय्यर ने अपनी किताब द ग्रेट इंडियन थाली में लिखा है. ये किताब पिछले सितंबर 2022 में प्रकाशित हुई. हालांकि हम भारतीय सैकड़ों सालों से गुजिया खाते आ रहे हैं लेकिन इसके इतिहास के बारे में हमें बहुत कम पता है. इसके बारे में आमतौर पर किताबों में मिलता भी नहीं. शास्त्रों और ग्रंथों में भी इसका बहुत नाममात्र का उल्लेख हुआ.
उत्पत्ति बुंदेलखंड में हुई
इसका एक संदर्भ 13वीं शताब्दी का है, जिसमें गुजिया की तरह के व्यंजन को शहद और गुड के मिश्रण को गर्म करके इसे आटे की परत के साथ बनाने का उल्लेख है. एक और संदर्भ कहता है कि गुजिया की मूल उत्पत्ति यूपी यानि उत्तर प्रदेश में बुंदेलखड़ इलाके में हुई, इसका समयकाल 16-17 सदी के बीच कभी का बताया गया है.
तुर्की से मुस्लिम व्यापारी भी लेकर आए थे
ये भी कहा जाता है कि गुजिया जैसा एक व्यंजन मुस्लिम व्यापारी 13-14वीं सदी में लेकर आए थे. तुर्की का एक प्राचीन व्यंजन बकलावा बिल्कुल इसी से मिलता जुलता है. दरअसल उस दौर में अरब देशों से भारत आए मुस्लिम व्यापारी और मुगल कई तरह के व्यंजन भारत लेकर आए. फिर इन व्यंजनों का भारतीयकरण हो गया. गुजिया को मुगल साम्राज्य ने 15-16 वीं सदी में अपनी शाही रसोई में और निखारा.
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FIRST PUBLISHED : March 09, 2023, 17:29 IST
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