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Knowledge Why boarding is never done from behind in the plane can plane be disbalance flights

How to Board on Plane: हवाई जहाज में यात्रा से पहले और बाद में कई ऐसी चीजें होती हैं, जिन्‍हें सभी यात्री नियम मानकर करते तो हैं, लेकिन ज्‍यादातर को उनके बारे में सही जानकारी नहीं होती है. ज्‍यादातर हवाई यात्री समझ नहीं पाते कि हमसे ऐसा क्‍यों कराया जा रहा है? ज्‍यादातर यात्री हवाई टिकट की कीमतों में अजीबो-गरीब शुल्‍क लगने के कारण अचानक होने वाली बढ़ोतरी को लेकर स्‍पष्‍टता नहीं होती. वहीं, काफी लोग हवाई अड्डों के कोड भी नहीं समझ पाते. ऐसे ही काफी लोग नहीं समझ पाते कि विमान में आगे से ही क्यों चढ़ते हैं? ज्‍यादातर लोगों को लगता है कि अगर विमान में आगे और पीछे दोनों तरफ से बोर्डिंग हो तो उन्‍हें दूसरे पैसेंजर के ओवरहेड बिन में सामान रखने के इंतजार में खड़े नहीं रहना पड़ेगा.

इस मामले में कई एयरलाइंस का मानना है कि प्‍लेन में आगे की तरफ से बोर्डिंग पीछे से चढ़ने के मुकाबले ज्‍यादा आसान और व्‍यवहारिक है. कंपनियों का कहना है कि अगर पीछे से बोर्डिंग करेंगे तो गैलरी में ज्‍यादा यात्री इकट्ठे हो जाएंगे और इससे पूरी प्रक्रिया में अभी के मुकाबले ज्‍यादा समय लगेगा. कुछ एयरलाइंस का कहना है कि अगर पीछे ज्‍यादा यात्री इकट्ठे हो जाएंगे तो हवाई जहाज असंतुलित हो सकता है. यही नहीं, बोर्डिंग के नए तरीकों के साथ प्रयोग करने वाली एयरलाइंस भी हवाई जहाज में आगे से ही बोर्डिंग करा रही हैं.

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कैसे बिगड़ सकता है फ्लाइट्स का शेड्यूल?
बोर्डिंग को लेकर सभी एयरलाइंस का लक्ष्य इस प्रक्रिया को ज्‍यादा से ज्‍यादा आसान और प्रभावी बनाना है. ज्‍यादातर एयरलाइंस और खासकर छोटी उड़ानों के लिए शेड्यूल काफी टाइट रहता है. ऐसे में अगर किसी एक उड़ान में बोर्डिंग के कारण देरी होती है तो उनका पूरा दिन का शेड्यूल बिगड़ सकता है. एक के बाद एक उनकी सभी उड़ानें देरी से चलेंगी. ओवरहेड बिन में सामान रखने के दौरान जैसे यात्रियों के लिए विमान के गलियारे में खड़े होकर रास्‍ता खाली होने का इंतजार करना मुश्किल भरा होगा, वैसा ही पायलट्स, क्रू मेंबर्स और एयरलाइंस के लिए भी दिक्‍कत पैदा करेगा. लिहाजा, पीछे से बोर्डिंग में आगे से विमान में चढ़ने वाली दक्कितें तो आएंगी ही, कुछ अतिरिक्‍त समस्‍याएं भी खड़ी हो जाएंगी.

बैक-टू-फ्रंट बोर्डिंग वास्तव में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत करने वाला सिस्‍टम होगा.

यात्रियों को पीछे से चढ़ाने पर क्‍या होगी दिक्‍कत?
कुछ मॉडलिंग के अनुसार, बैक-टू-फ्रंट बोर्डिंग वास्तव में सबसे ज्‍यादा दिक्‍कत करने वाला सिस्‍टम होगा. इसका मतलब होगा कि एक ही हिस्‍से में बैठे यात्री एक साथ बोर्डिंग करेंगे. दरअसल, ओवरहेड बिन में सीमित जगह होती है. इसलिए सभी लोग एक ही जगह इकट्ठे हो जाएंगे. आम तौर पर जब किसी यात्री को अपने सामान के लिए अपने ओवरहेड बिन में जगह नहीं मिलती है तो वह पीछे की ओर जा सकता है. लेकिन, अगर पीछे से बोर्डिंग होगी तो यात्री सामान रखने के लिए पीछे की ओर नहीं जा पाएंगे. अगर जाएंगे तो बोर्डिंग में बेवजह की देर होगी. इससे उड़ान का समय प्रभावित होगा.

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क्‍या बिगड़ सकता है हवाई जहाज का संतुलन?
कुछ लोगों का दावा है कि रनवे पर प्रतीक्षा करते समय विमान के पीछे से चढ़ने से हवाई जहाज असंतुलित हो जाता है. विमान विशाल और शक्तिशाली मशीनों की तरह होते हैं. लेकिन, वास्तव में उन्हें उड़ान भरने के लिए हर हिस्‍से में तय संतुलन की जरूरत होती है. संतुलन बनाए रखने के लिए यात्रियों के बैठने की व्‍यवस्‍था काफी सावधानी से तय की जाती है. हालांकि, रनवे पर खड़े हुए विमान का संतुलन बिगड़ने पर किसी को ज्‍यादा चोट नहीं पहुंचेगी, लेकिन ये अनुभव अच्‍छा नहीं होगा. यही नहीं, संतुलन ठीक नहीं होने पर प्‍लेन के साथ दरवाजे को सही से बंद करना और लोगों को चढ़ने-उतरने की अनुमति देना मुश्किल बन जाएगा. बड़े विमानों में टेल-टिपिंग या असंतुलित होने और पीछे की ओर झुकाव होने का खतरा होता है.

क्‍या बिजनेस क्‍लास को खुश करने के लिए है ये व्‍यवस्‍था?
कई हवाई यात्री शिकायत करते हैं कि फर्स्‍ट क्‍लास और बिजनेस क्‍लास के पैसेंजर्स को खुश करने के लिए हवाई जहाज में आगे से बोर्डिंग की व्‍यवस्‍था की जाती है. उन्‍हें हवाई जहाज में पहले चढ़ाया जाता है. एयरलाइंस के मुताबिक, कुछ हद तक यह बात सही भी है. एयरलाइंस इन यात्रियों को खुश रखने और अन्य यात्रियों को अपने टिकट अपग्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए फर्स्‍ट क्‍लास पैसेंजर और फ्रीक्‍वेंट फ्लायर्स क्लब के सदस्यों को पहले बोर्डिंग का विशेषाधिकार देती हैं. हालांकि, एयरलाइंस का यह भी तर्क है कि आगे से बोर्डिंग की व्‍यवस्‍था ज्‍यादा बेहतर है. ये व्‍यवस्‍था बोर्डिंग की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए बेहतर है. अगर इससे कुछ यात्री फर्स्‍ट और बिजनेस क्‍लास में अपग्रेड करते हैं तो एयरलाइन के लिए ज्‍यादा कमाई का जरिया भी बन सकता है. साथ ही मौजूदा व्‍यवस्‍था में तेजी से बोर्डिंग होने के कारण उड़ान में देरी से भी बचा जाता है.

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कुछ एयरलाइंस में रियर बोर्डिंग सिस्‍टम भी है. (सांकेतिक तस्‍वीर)

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कौन-सी एयरलाइंस में है पीछे से बोर्डिंग की व्‍यवस्‍था?
ऐसा नहीं है कि सभी एयरलाइंस में आगे से बोर्डिंग का ही सिस्‍टम है. कुछ एयरलाइंस में रियर बोर्डिंग सिस्‍टम भी है. लिहाजा, ये आपकी चुनी गई एयरलाइंस के आधार पर तय होगा कि आप विमान में आगे से चढ़ेंगे या पीछे से. जेटब्‍लू जैसी कुछ अमेरिकन एयरलाइंस रियर बोर्डिंग सिस्‍टम के जरिये यात्रियों को विमान में चढ़ाती हैं. इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि कई अतिरिक्त लंबी दूरी की उड़ानों में पीछे से बोर्डिंग के बाद भी देरी से उड़ान की दिक्‍कत नहीं आती है. दरअसल, इन विमानों में दो गलियारे होते हैं, जिससे बोर्डिंग ज्‍यादा आसान हो जाती है. कई एयरलाइंस ने कोराना महामारी के दौरान पीछे से बोर्डिंग शुरू कर दी थी. कहा गया कि इस दौरान कम यात्री होने के कारण बोर्डिंग में किसी तरह की देरी नहीं हुई. अब फिर से इन एयरलाइंस से आगे से बोर्डिंग के सिस्‍टम पर वापसी की है.

Tags: Airline News, Domestic Flights, Flight fare, Flight Passenger, Flight services, International flights


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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