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बागेश्वरधाम: महिला बोली- मेरी दोनों बेटियां बिलखती रहीं, घर न तोड़ने की मिन्नतें करती रही, प्रशासन ने घर पर बुलडोजर चलाकर हमें बेघर कर दिया. कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों ने छत्रसाल चौराहे पर लगाया जाम

छतरपुर में ग्रामीणों का आरोप है कि बागेश्वरधाम के कारण उनके घरों को तोड़ा जा रहा है। प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा। रविवार को भी प्रशासन ने लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया। जिसके बाद सोमवार को नाराज ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में ज्ञापन दिया। इसके बाद उन्होंने छत्रसाल चौराहे पर धरना प्रदर्शन कर सड़क जाम कर दिया।

मामला छतरपुर के राजनगर तहसील का है। जिला मुख्यालय से करीब 30 KM दूर बसे गढ़ा गांव में ही बागेश्वर धाम स्थित है। यहां लाखों भक्त रोजाना दर्शन करने आते हैं। ग्रामीणों का आरोप है, रोजाना लाखों लोग आते हैं, इसलिए पार्किंग की दिक्कत होती है। इसलिए प्रशासन ने घर पर बुलडोजर चलाकर हमें बेघर कर दिया।

सोमवार को ग्रामीणों ने छत्रसाल चौराहे पर जाम लगाया।

सोमवार को ग्रामीणों ने छत्रसाल चौराहे पर जाम लगाया।

कलेक्ट्रेट में ज्ञापन सौंपने के बाद ग्रामीणों ने समाजसेवी मंजू अग्रवाल के नेतृत्व में छत्रसाल चौराहे पर जाम लगा दिया। जिस वजह से काफी देर तक ट्रैफिक व्यवस्था भी खराब रही। दोनों तरफ जाम लग गए। सूचना मिलते ही TI धनसिंह नलवाया और CSP लोकेंद्र सिंह चौराहे पर पहुंचे। उन्होंने लोगों को खूब समझाया और आखिर में बड़े जतन के बाद उन्होंने ग्रामीणों को चौराहे से हटाया।

ग्रामीण महिला रामवती साहू ने बताया कि पिछले 2-3 सालों से बहुत परेशान हो गए है। जब से बागेश्वर धाम तब से घर गिराए जा रहे हैं। भक्तों के रुकने के लिए जगह चाहिए, गाड़ी के लिए जगह चाहिए। इसलिए हमारा घर गिराया है। मैं अपना घर बचाने के लिए मशीन के सामने खड़ी हो गई। तभी एक महिला पुलिस कर्मी आई। उसने मेरा बाल पकड़ा और खींच ले गई। मेरी साड़ी खुल गई थी। मैं पेटिकोट में हो गई। मेरा ससुराल है, वहां इतने लोग खड़े थे, पूरा गांव मुझे देख रहा था। मेरी दोनों बेटियां भी बिलख रही थी, घर न तोड़ने के लिए मिन्नतें कर रही थीं। लेकिन वे नहीं माने। उन्होंने घर तोड़ दिया। हमारे पति को भी थाने ले गए। उन्होंने मोबाइल भी छीन लिया था, इसलिए अब हम ने वीडियो बना पाए, न कुछ कर पाए।

वहीं एक दूसरी महिला चंदा ने कहा कि हम गढ़ा गांव के रहने वाले हैं। बिना किसी नोटिस के हमारे घर तोड़ दिए। हम बेघर हो गए। इस कड़ाके की ठंड में अब हम कहां जाएं, नहीं पता। SDM साहब की शिकायत करने हम कलेक्ट्रेट आए हैं। यहां कहा गया कि जांच करेंगे। अब हम क्या करें, कुछ समझ नहीं आ रहा। पुलिस वाले भी हमारी शिकायत नहीं सुनते।

एक ग्रामीण ने कहा कि प्रशासन कह रहा है कि हमारा घर सरकारी जमीन पर बना है। ऐसा तो है नहीं कि हमने घर 2-3 साल पहले बनवाया है। 50 सालों से हम यहां रह रहे हैं। पहले कोई दिक्कत नहीं थी, अब अचानक हमारी जमीन सरकारी हो गई।

ग्रामीणों ने डिप्टी कलेक्टर पीयूष भट्‌ट को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई करने की मांग की।

डिप्टी कलेक्टर पीयूष भट्ट ने बताया कि गढ़ा पंचायत के ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि उनके घरों को तोड़ा जा रहा है। इसलिए उसपर रोक लगाई जाए। हमें आज ज्ञापन मिला है, इसकी हम जांच कराएंगे और जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों के मकानों को प्रशासन ने तोड़ा

ग्रामीणों के मकानों को प्रशासन ने तोड़ा

ग्राम पंचायत गढ़ा के सरपंच सत्यप्रकाश पाठक ने बताया कि गरीब लोगों के मकान प्रशासन SDM, तहसीलदार, RI, पटवारी और पुलिस ने मिलकर बिना किसी सूचना और कोई नोटिस दिए बिना बुलडोजर से मकान गिरा दिए। ग्रामीणों को परेशानी यह है कि आए दिन धमकी दी जाती है कि तुम्हारे मकान तोड़ दिए जाएंगे। हर 8-10 दिन में एक दो मकान तोड़ दिए जाते हैं। यह सब SDM, तहसीलदार करते हैं।

सरपंच कहते हैं हम गांव के सरपंच हैं, और हमें तक मालूम नहीं होता कि गांव में क्या हो रहा है या क्या होने वाला है। गांव में मशीन लेकर आते हैं और मकान गिराने लागते हैं। हम लोगों को आधा घंटे क्या, 5 मिनट का भी समय नहीं दिया जाता कि खाने-पीने तक का सामान उठा सकें। वे कुछ नहीं बताते बस बुलडोजर लेकर आते हैं और तानाशाही करते हैं।

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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