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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शनिवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ (German chancellor Olaf Scholz) से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि बेबी अरिहा शाह (Ariha Shah) की हिरासत के मामले पर भारत जर्मन अधिकारियों के साथ करीब से नजर बनाए है. विदेश सचिव ने कहा, “यह बहुत ही संवेदनशील बात है, ऐसी चीज जिसकी हम गहराई से परवाह करते हैं, इसे लेकर हमारा दूतावास माता-पिता और जर्मन अधिकारियों के साथ बहुत करीबी संपर्क में है.”
क्वात्रा ने कहा क्योंकि ये मामला एक बच्चे से जुड़ा हुआ है इसलिए इसमें निजता को लेकर भी कई गंभीर मुद्दे हैं. मैं नहीं समझता कि उन पर मेरा टिप्पणी करना सही होगा. लेकिन हम इसकी गहराई से परवाह करते हैं, इसे लेकर बहुत संवेदनशील हैं और इस मामले में माता-पिता हमारे निकट संपर्क में हैं.
कौन है बेबी अरिहा
भावेश और धारा शाह की बेटी अरिहा शाह पिछले करीब 18 महीनों से जर्मनी के एक फॉस्टर होम में हैं. फॉस्टम होम में उन बच्चों को रखा जाता है जिनके माता-पिता या तो इस दुनिया में नहीं हैं या फिर वह बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ हैं. अरिहा के माता-पिता महीने में एक बार ही उससे मिल पाते हैं.
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क्या है ये मामला
अरिहा के पिता वर्क वीजा पर जर्मनी में बतौर इंजीनियर काम करते हैं. अरिहा उस समय 7 साल की थी जब उसके डायपर में से खून मिला था. इसके बार जर्मन अधिकारियों ने बच्ची को कस्टडी में ले लिया था. जर्मन प्रशासन ने माता-पिता पर बच्ची के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. बच्ची के माता-पिता का कहना है कि एक मामूली दुर्घटना में बच्ची को चोट लग गई थी. इसी के बाद से अरिहा के माता-पिता उसे वापस पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
क्या है मुसीबत
अगस्त में अरिहा को फॉस्टर केयर में दो साल पूरे हो जाएंगे. जर्मनी के नियम के मुताबिक, अगर कोई बच्चा दो साल तक फॉस्टर केयर में रहता है तो बच्चे को उसके माता-पिता को वापस को वापस नहीं किया जा सकता. जर्मनी के नियम के मुताबिक बच्चा नई स्थितियों और कल्चरल शॉक का सामना करने में असमर्थ होगा.
पहले भी मुद्दे को उठा चुके हैं विदेश मंत्री
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिसंबर में भी अपनी जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबॉक के सामने अरिहा का मुद्दा उठाया था. जयशंकर ने कहा था कि बच्ची अपने भाषाई, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक माहौल में रहना चाहिए.
बेयरबॉक ने कहा कि अरिहा की भलाई उनके लिए बहुत अहम है. उन्होंने कहा कि जर्मन प्रशासन के दिमाग में यह भी है कि हर बच्चे की सांस्कृतिक पहचान की जर्मनी में ‘‘युवा कार्यालय’’ द्वारा देखभाल की जाए. उन्होंने मामला अदालत में लंबित होने का भी हवाला दिया था.
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FIRST PUBLISHED : February 25, 2023, 20:45 IST
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