mythological churning of the ocean again India Samudrayan will search gem in 5000 meters depth पौराणिक “समुद्र मंथन” को फिर साकार करेगा हिंदुस्तान, 5 हजार मीटर गहराई में “रत्न” खोजेगा समुद्रयान

प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली। भारतवर्ष की पौराणिक कथाओं में देवताओं और असुरों के समुद्र मंथन की कथा तो आपने सुनी होगी, जिसमें से निकले अमृत को देवतागण पी गए थे और विष का भगवान शंकर ने पान कर डाला था। भारत समुद्र मंथन की उस पौराणिक गाथा को एक बार फिर से साकार करने जा रहा है। इसके लिए दुनिया के पहले समुद्रयान को सागर में 5000 मीटर की गहराई में भेजे जाने का खाका तैयार किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि ‘गगनयान’ कार्यक्रम की तर्ज पर ‘समुद्रयान मिशन’ के तहत गहरे सागर के रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए अगले दो वर्षो में एक मानव को 5000 मीटर से अधिक गहराई में समुद्र में भेजा जायेगा।
आपको बता दें कि भारत का समुद्र तटीय क्षेत्र 7500 किलोमीटर में फैला है और इनमें बड़ी मात्रा में दुर्लभ धातुएं, खनिज एवं अन्य संपदा मौजूद है। वर्षों से इस क्षेत्र को सरकारों, नीति निर्माताओं ने प्राथमिकता नहीं दी। इस अनछुए सागरीय क्षेत्र में अपार संसाधन और संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने ‘‘डीप सी मिशन’’ या गहरे समुद्र के मिशन की शुरुआत की है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि गहरे समुद्र के रहस्यों को खोलने के लिए समुद्रयान अभियान चेन्नई से शुरू हो गया है, जिसके तहत सागर के तल में धातुओं, खनिजों एवं अन्य विषयों पर अध्ययन किया जायेगा। जितेन्द्र सिंह ने बताया, ‘‘ गगनयान की तर्ज पर अब से करीब 2 वर्ष बाद समुद्र के तल में 5000 मीटर से अधिक गहराई में एक मानव जायेगा।
पीएम मोदी की है महत्वाकांक्षी योजना
‘‘डीप सी मिशन’’ या गहरे समुद्र के अभियान के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021 और 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में इसका जिक्र किया था। इस मिशन के तहत गहरे समुद्र के संसाधनों की खोज के लिए एक सागरीय पोत का निर्माण किया जा रहा है जिसका नाम ‘मत्स्य’ रखा गया है। केंद्र ने पांच साल के लिए 4,077 करोड़ रुपये के कुल बजट में गहन सागर मिशन को स्वीकृति दी थी। तीन वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपये है।
समुद्र के दुर्लभ खनिजों का होगा सर्वेक्षण
समुद्रयान मिशन के जरिये खनिजों के बारे में अध्ययन एवं सर्वेक्षण का काम किया जायेगा। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन एवं समुद्र के जलस्तर के बढ़ने सहित गहरे समुद्र में होने वाले परिवर्तनों के बारे में भी अध्ययन किया जायेगा। इसके तहत शोध कार्यों में हिन्द महासागर के मध्य में उभरे हिस्से का मानचित्र तैयार करना तथा खनिजों की तलाश, समुद्री जीव विज्ञान के बारे में जानकारी जुटाना शामिल है। इस मिशन को शुरू करने के साथ भारत भी अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन के साथ उस विशिष्ट समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास गहरे समुद्र में शोध करने की क्षमता है।
मंगलयान के अगले प्रक्षेपण की संभावना के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि मंगलयान भारत का काफी सफल अभियान रहा और उसकी पूरे विश्व में सराहना हुई है। मंगलयान की कार्यावधि 3-4 वर्ष तक समझी गयी थी, लेकिन यह 7-8 वर्षों से कक्षा में है। अभी संभवत: उसके सिग्नल और चित्र लेने की क्षमता पहले जैसी नहीं रही, लेकिन अभी वह कायम है, यह उसकी उपलब्धि है।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंगलयान से प्राप्त चित्र अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन नासा जैसे संस्थान ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी उपलब्धि दुनिया में किसी से कम नहीं है। सिंह ने वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यो का जिक्र किया और कहा कि आने वाले समय में देश हरित ऊर्जा का प्रमुख स्थल बनने जा रहा हैं।