मध्यप्रदेश

That colony of Singrauli where there are no doors or windows in the houses | सिंगरौली की वो कॉलोनी जहां घरों में दरवाजे न खिड़की: देश–विदेश के 3362 लोगों ने यहां मकान बनाए, वजह–जितना बड़ा मकान उतना ज्यादा मुआवजा – Madhya Pradesh News

मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में है बंधा गांव… यहां 5 हजार मकान बने हैं, लेकिन किसी में दरवाजे खिड़की नहीं है। न नाली है और न ही सड़क। फिर भी यहां विदेशों में रहने वाले भी मकान बना रहे हैं। मध्य प्रदेश के पुलिस अफसर और नेता भी पीछे नहीं हैं।

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आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों। दरअसल ये मकान कोल कंपनी से फर्जी तरीके से मुआवजा हासिल करने के लिए बनाए गए हैं। दैनिक भास्कर टीम मुआवजे का पूरा खेल जानने के लिए सिंगरौली जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर इस गांव तक पहुंची…

पहाड़ों के बीच बसे छोटे से गांव का नजारा हैरान कर देने वाला दिखा। गांव के किनारे-किनारे पक्के मकानों की कतारें हैं, जबकि इससे कहीं अधिक घर गांव के अंदर खेतों के बीच बने हुए हैं, जहां पहुंचने के लिए न कोई सड़क है, न कोई कच्चा रास्ता।

हम खेतों के बीच बने उन घरों तक खेतों की पगडंडी के सहारे पहुंचे। एक कतार से सैकड़ों पक्के मकान बनाए गए हैं, लेकिन इनमें न दरवाजे हैं, न खिड़कियां। महज चार दीवारें खड़ी कर उनमें कॉन्क्रीट की छत डाल दी गई है।

घरों के अंदर भी कोई कमरा नहीं, अंदर कोई दीवार नहीं है और न कोई गेट है। पहली नजर में देखकर ही ये साफ हो जाता है कि ये घर इंसानों के रहने लायक तो बिल्कुल ही नहीं हैं। इस तरह के एक-दो मकान नहीं, बल्कि 3 हजार से अधिक ऐसे मकान बनाए गए हैं जिनमें कोई नहीं रहता।

इस तरह खेतों के बीच आधे-अधूरे मकान बनाए गए हैं।

ग्रामीण बोले-बाहरी लोगों के कारण हमें भी मुआवजा नहीं जब हमने यहां रहने वाले ग्रामीणों से बात की तो उनमें आक्रोश नजर आया। गांव के ही रहने वाले इंद्रजीत शर्मा ने बताया कि 1962 से हम इस गांव में हैं, लेकिन हमारा मकान भी मुआवजे की लिस्ट से बाहर कर दिया गया।

बाहर से आकर लोगों ने मुआवजे के लिए जमीन खरीदकर नकली घर बना लिए। इसके कारण अब हमें भी मुआवजा नहीं मिल रहा है। यही हाल दीनानाथ गुर्जर का है। उन्होंने बताया कि हम इस गांव के मूल निवासी हैं, लेकिन हमें भी उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है।

बंधा के सरपंच देवेंद्र पाठक का कहना है कि अवैध घोषित किए गए 3362 मकानों में से 857 मकान गांव के पुश्तैनी निवासियों के हैं। उन्हें भी मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीणों के साथ अन्याय किया जा रहा है।

कोल ब्लॉक के लिए 5 गांवों का अधिग्रहण सिंगरौली का बंधा गांव कोल ब्लॉक के लिए आवंटित किया गया है। बिड़ला ग्रुप के मेसर्स ईएमआईएल माइनिंग एंड मिनरल्स रिसोर्सेस लिमिटेड बंधा कोल ब्लॉक में कोयले का खनन करेगा।

इसके अंतर्गत तेंदुहा, पिडरवाह, देवरी, पचौर और बंधा गांव की जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है। इस अधिग्रहण में 10,000 से ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं। यहां रहने वालों को विस्थापित किया जाना है। इसके लिए मुआवजे का वितरण भी होना है।

मुआवजे के फर्जीवाड़े का खेल नया नहीं सिंगरौली जिला प्रदेश भर में मुआवजा के फर्जीवाड़े के लिए बदनाम रहा है। इसके पहले देश भर में प्रयागराज-सिंगरौली एक्सप्रेस वे पर मुआवजे के लिए बनाए गए फर्जी घर खूब चर्चा में रहे।

इसके बाद नेशनल हाईवे का अलाइनमेंट तक चेंज करना पड़ा था। अब जैसे ही सिंगरौली जिले में कोयला उत्खनन करने के लिए बंधा कोल ब्लॉक का ऐलान हुआ तो यहां भी मुआवजा के लिए फर्जी घर बनने लगे।

यूपी से लेकर यूक्रेन तक के लोगों ने बनाए घर उत्तराखंड के अंकित कुमार पाल और उत्तर प्रदेश के देवरिया के 10 लोगों ने यहां घर बनाए हैं। मुंबई-ठाणे के उमाकांत त्रिपाठी और गुजरात वडोदरा के ललनरा तिवारी के नाम भी यहां घर हैं। प्रशासन की लिस्ट में ऐसे हजारों नाम हैं जो अन्य राज्यों से इस दूर-दराज के गांव में आकर मकान बना चुके हैं।

मुआवजे के लिए नकली मकान बनाने वालों में कुछ नाम ऐसे भी हैं जो भारत से बाहर यूक्रेन और कनाडा में रहते हैं। उनके नाम से भी यहां नकली मकान बनाए गए हैं।

भास्कर को मिला कनाडा में रहने वाले के नाम मकान

ऐसे होता है मुआवजे का खेल प्रशासन की जांच में पता चला है कि सिंगरौली के अलावा मध्य प्रदेश के कई जिलों के लोग यहां मकान बना रहे हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे प्रदेशों के लोग भी सिंगरौली में मुआवजा पाने के लिए सक्रिय हैं।

यहां पर जैसे ही कहीं भी जमीन अधिग्रहण की जानकारी आती है तो यहां मुआवजे के लिए फर्जीवाड़ा शुरू हो जाता है।लोकल प्रॉपर्टी दलाल अपने कॉन्टैक्ट का इस्तेमाल करके अन्य राज्यों और मध्य प्रदेश के अन्य जिले के लोगों से जमीन खरीदने को कहते हैं।

इसके बाद आधे-अधूरे मकान भी बनवा देते हैं। इसके एवज में कमिशन भी लेते हैं। हालांकि अब तक प्रशासन ने किसी दलाल पर कोई सीधी कार्रवाई नहीं की है।

23 दिसंबर 2021 से जमीनों की खरीद-बिक्री पर रोक 14 जून 2021 को अधिसूचना जारी हुई जिसमें बिड़ला ग्रुप के मेसर्स ईएमआईएल माइनिंग एंड मिनरल्स रिसोर्सेस लिमिटेड बंधा कोल ब्लॉक के लिए तेंदुहा, पिडरवाह, देवरी, बंधा और पचौर की भूमि का परिसीमन आदेश हुआ।

23 दिसंबर 2021 को सर्वे के बाद आदेश जारी किया गया। इसके साथ ही गांव की किसी भी जमीन के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी गई। बंधा कोल ब्लॉक में 776 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जा रही है। इसके लिए 355 करोड़ का मुआवजा स्वीकृत किया गया है।

3 हजार से अधिक मकान अवैध घोषित सिंगरौली के बंधा कोल ब्लॉक में मुआवजे के नाम पर चल रही गड़बड़ी पर अब जिला प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। देवरी, पचौर, तेंदुहा और पिडरवाह गांवों में बनाए गए 5000 से अधिक ‘नकली मुआवजा घर’ अब प्रशासन की नजरों में आ गए हैं। कोल कंपनी की आपत्ति के बाद कलेक्टर ने बंधा गांव में बने 3362 फर्जी घरों को अवैध घोषित कर दिया है।

बंधा कोल ब्लॉक के लिए 776 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इस जमीन पर बनी परिसंपत्तियों के लिए कुल 355.85 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि प्रस्तावित थी। 14 जून 2021 के बाद बने सभी निर्माणों को अवैध घोषित कर दिया गया है।

कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने बताया कि ऐसे मकान जो अवैध हैं, उनको मुआवजा लिस्ट से बाहर कर दिया गया है। ऐसे 3362 मकान चिह्नित किए गए हैं।

कैसे चिह्नित किए गए फर्जी मकान कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने बताया कि जमीन अधिग्रहण के समय कई बार गांव का सर्वे किया गया। पता चला कि गांव के बाहर के लोगों के नाम पर भी मकान हैं, जो दूसरे जिलों और प्रदेश के रहने वाले हैं।

ड्रोन सर्वे कराया गया, जिससे ये वेरिफाई किया गया कि कितने मकान हैं जो पहले नहीं बने थे, मुआवजे के लिए बनाए गए। इसके अलावा गांव से 4 हजार से अधिक आपत्तियां प्राप्त हुईं थीं। इसके निराकरण के लिए सर्वे कराया गया, जिसमें ये अवैध मकान चिह्नित किए गए।

भू अर्जन अधिकारी रमेश तिवारी ने बताया कि चूंकि जमीन अवैध घोषित नहीं की गई है, इसलिए जमीन का मुआवजा मिलेगा, लेकिन मकान के लिए मुआवजा नहीं मिलेगा।

(सहयोग- राजकुमार द्विवेदी, सिंगरौली दैनिक भास्कर रिपोर्टर)


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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