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Biological and adoptive parents clash over compensation after girls death in orissa hunger strike for four lakh allowance

हाइलाइट्स

सरकार द्वारा घोषित चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि के लिए आपस में जैविक और दत्तक माता पिता भिड़े
जैविक और दत्तक माता-पिता की इस लड़ाई के बीच मुआवजा राशि किसी को नहीं दी गई
अधिकारियों के अनुसार मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर अनुग्रह राशि दी जाएगी

भुवनेश्वर. ओडिशा में एक 16 वर्षीय लड़की के डूबने के तीन महीने बाद, उसके जैविक (Genetic) और दत्तक (Adoptive Parents) माता-पिता सरकार द्वारा घोषित चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि के लिए आपस में संघर्ष कर रहे हैं. न्यूज़ एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार मृतका नमिता ओस्तिया गांव के रंजन माई और रुपाली माई की जैविक पुत्री थी. बाद में उन्हें गोपालजेवपटना गांव के रत्नाकर दास और ममता दास ने कानूनी रूप से गोद ले लिया. जैविक और दत्तक माता-पिता की इस लड़ाई के बीच मुआवजा राशि किसी को नहीं दी गई है. साथ ही प्रशासन द्वारा अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) भी जारी नहीं किया गया है.

राजनगर के तहसीलदार अश्विनी कुमार भुइयां ने बताया कि वह कानूनी रूप से पात्र माता-पिता को पैसा मुहैया कराएंगे. नमिता के आधार कार्ड और स्कूल प्रवेश रजिस्टर में रत्नाकर और उनके जैविक माता-पिता ममता की बेटी के रूप में उल्लेख किया गया है. वहीं राशि नहीं मिलने पर, लड़की के जैविक माता-पिता रंजन और रूपाली गुरुवार को राजनगर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के सामने अपनी बेटी के मृत्यु प्रमाण पत्र की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए. अधिकारियों के अनुसार मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर अनुग्रह राशि दी जाएगी.

सीएचसी की चिकित्सा अधिकारी रश्मि रंजन मोहंती ने कहा कि प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच करने और सरकारी अधिकारियों और याचिकाकर्ताओं से परामर्श करने के बाद, वह नमिता का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करेंगे. जैविक पिता रंजन माई ने दावा किया कि उनकी बेटी के जन्म प्रमाण पत्र पर उनकानाम पिता के रूप में है. इसलिए, वह भत्ता पाने का हकदार हैं. चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि मुआवजे के पैसे को लेकर दोनों पक्षों के बीच मारपीट दुर्भाग्यपूर्ण है.

Tags: Death, Odisha, Odisha news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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