चौथी तक पढ़ी ये महिला नहीं हुई निराश! अब घर बैठे ऐसे कमा रही है 22 लाख रुपये

मेहनत और किस्मत का एक खास रिश्ता है. परिश्रम करने के बाद सफलता जरूर मिलती है. फिर चाहे वह पढ़ा लिखा आदमी हो या अनपढ़, लगातार प्रयास करते रहे तो काम बन ही जाता है. ऐसी ही एक कहानी गुजरात में कच्छ जिले के अनजार तालुका में रहने वाली पाबीबेन की है. सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़ी हैं, लेकिन उनका बिजनेस आज दुनिया के कई देशों में फैल चुका है.उनके क्लाइंट्स की लिस्ट में नामी गिरामी नाम शामिल हैं, इनमें ताज ग्रुप ऑफ होटल्स, वस्त्र, देश के कई रिजॉर्ट, म्यूजियम, डिजाइनर आदि शामिल हैं. अमेरिका, जर्मनी, कोस्टा रिका, ब्रिटेन, दुबई जैसे कई देशों में उनके प्रोडक्ट्स की काफी डिमांड हैं.
आपको बता दें कि उनके खास पहचान बना चुके पाबीबैग ‘द अदर एंड ऑफ द लाइन’ और ‘लक बाय चांस’ जैसी हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में भी नजर आ चुके हैं. उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर बढ़कर 22 लाख रुपये पहुंच गया है. आइए जानें उनके सफर की कहानी के बारे में…
ऐसे हुई शुरुआत- पाबीबेन का हुनर तब परवान चढ़ा, जब उन्होंने अपनी शादी में शामिल हुए कुछ विदेशी मेहमानों को अपने हाथों बना बैग भेंट में दिया. अंग्रेजी के बिजनेस चैनल CNBC-TV18 के खास इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘मैं सोच में पड़ गई थी कि अपनी शादी में आए विदेशी मेहमानों को भेंट में क्या दूं, फिर मैंने अपने हाथों का बना बैग उन्हें भेंट किया. उन्हें वह बैग इतना पसंद आया कि उन्होंने उसे पाबीबैग नाम दे दिया.’ (ये भी पढ़ें-Google की नौकरी छोड़ शुरू किया समोसे बेचना, आज है 50 लाख से ज्यादा का मालिक)
>> इस भेंट से पाबीबेन का हुनर केवल कच्छ या भारत तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन विदेशियों के जरिए उनके हुनर का जादू विदेशों में भी फैल गया.
>> उन्होंने फिर 20-25 हजार रुपये की शुरुआती पूंजी से कारोबार शुरू किया. इसके बाद उन्हें 70 हजार रुपये का बड़ा ऑर्डर मिला. इसके बाद उनके कारोबार ने रफ्तार पकड़ ली.
>> उनका एक वेबसाइट पाबीबेन.कॉम भी है. उन्हें इस पर विदेशो से बड़े ऑर्डर मिलते है. उनके साथ गांव की 50-60 महिलाएं जुड़ गई है. ये पार्ट टाइम भी काम करती है. मौजूदा समय में उनकी कंपनी का टर्नओवर 20-22 लाख रुपये तक पहुंच गया है. (ये भी पढ़ें-50 लाख में शुरू किया पंडित किराए पर देने का बिजनेस, हो सकेगी करोड़ों की कमाई)
तेजी से बढ़ने लगा कारोबार- पाबीबेन कहती हैं, मेरे काम को आगे बढ़ाने में मेरे पति लक्ष्मणभाई राबारी ने मेरा बहुत हौसला बढ़ाया. मैं अपने गांव की अन्य हुनरमंद युवतियों और महिलाओं को भी आर्थिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए उन्हें साथ में जोड़ा. आज मेरे काम के साथ मेरे गांव की 50-60 महिलाएं जुड़ चुकी हैं. मेरा मकसद है कि मैं अपने साथ 500 महिलाओं को जोड़ पाऊं.
लोगों के घर जाकर पानी भरकर चलाती थी घर- पाबीबेन के जीवन में एक समय ऐसा भी आया, जब उनके पिता के देहांत के बाद उनकी मां के सिर पर अचानक दो बेटियों के परवरिश की जिम्मेदारियां आन पड़ी. मां का बोझ हल्का करने के लिए वह महज एक रुपये में लोगों के घरों में पानी भरने का काम किया करती थीं. (ये भी पढ़ें- इस महिला ने 1.5 साल में खड़ी कर दी 25 करोड़ की कंपनी)
पाबीबेन कहती हैं, होश संभालने पर जब मां की जिम्मेदारियों का अहसास हुआ तो उस समय मैं उनका हाथ बंटाने के लिए दूसरों के घरों में लिपाई-पुताई और पानी भरने का काम किया करती थी. उस समय मुझे दूसरों के घरों में एक गैलन पानी भरने के ऐवज में सिर्फ एक रुपया मिलता था. फिर मैंने अपनी मां से अपनी परंपरागत कढ़ाई का काम सीखा और आज मेरा यह काम इतना आगे बढ़ चुका है कि न सिर्फ मैं खुद अपने पैरों पर खड़ी हुई हूं, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से संपन्न बनने में मदद करने का प्रयास कर रही हूं.
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Tags: Success Story, Success tips and tricks, Successful business leaders, UP Board Results
FIRST PUBLISHED : April 27, 2019, 11:01 IST
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