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India’s first company wadia group success story jinnah daughter was married in this family

कई बार राजनीतिक और धार्मिक इतिहास उबाऊ हो जाते हैं. इसमें कई तरह के विवाद भी होते हैं. राजनीतिक दल एक ही चीज को अपने-अपने हिसाब से पेश करते हैं. इनके दावे के पीछे इनके अपने तर्क होते हैं. लेकिन, आज हम ऐसे विवादित मुद्दों पर आपसे बात नहीं कर रहे हैं. बल्कि आज अपना आर्थिक इतिहास खंगालने की कोशिश करते हैं. यह पूरी तरह तथ्यात्मक जानकारी है. दरअसल, इस कहानी की शुरुआत आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 की क्रांति से करीब 120 साल पहले होती है. हम सभी 1857 की क्रांति के बारे में भलीभांती जानते हैं. यह हमारे इतिहास की एक सबसे अहम तारीख है. इस तारीख ने हमारी हर चीज को बदल दिया था. खैर इस पर बात कभी और.

हम आज आपको करीब 300 साल पहले ले चलते हैं. यह बात है 1736 की. भारत के मौजूदा गुजरात प्रांत के सूरत के रहने वाले एक कारोबारी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ व्यपार करते हैं. फिर वह अपनी एक कंपनी बनाते हैं. वह कंपनी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के लिए पानी वाले जहाजों का निर्माण शुरू करती है. फिर यह देश की पहले कंपनी बनती है. आज भी उस कंपनी को खड़ा करने वाले परिवार देश का नामी कारोबारी घराना है. उनके पास 330 अरब रुपये से अधिक की संपत्ति है.

मुगल काल में बनी कंपनी
आधिकारिक तौर पर भारत में मुगल काल 1526 से 1857 माना जाता है. इस शासन की स्थापना बाबर ने की थी. इस वंश के प्रमुख शासकों में बाबर, हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब को माना जाता है. 1707 में औरंगजेब की मौत के बाद इस वंश के शासन को मराठाओं से चुनौती मिलती है और यह धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है. 1857 की क्रांति के बाद इस वंश का अंत हो जाता है. बहादुर शाह जफर द्वितीय इस वंश के अंतिम शासक साबित होते हैं. ये बातें तो केवल संदर्भ के लिए है. हम आज यहां देश की पहली कंपनी की बात कर रहे है. तो आपको बता दें कि इस कंपनी का नाम है वाडिया ग्रुप.

दरअसल, सूरत के कारोबारी नोवजी नुसेरवानजी वाडिया देश के पहले उद्योगपति थे जिन्होंने सबसे पहले कंपनी के कॉन्सेप्ट को अपनाया. हम अपने इतिहास को खंगालें तो पाएंगे कि हमारे यहां पहले व्यापार होता था. वस्तुओं से वस्तुओं का आदान-प्रदान ज्यादा था, लेकिन कंपनी का कॉन्सेफ्ट नया था. इसे सबसे पहले वाडिया परिवार ने अपनाया. नोवजी नुसेरवानजी वाडिया मुंबई में अपनी कंपनी बनाते हैं. वह कंपनी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया के लिए डॉक्स और शिप बनाती है. 1840 तक यानी करीब 100 सालों के भीतर यह दुनिया की एक नामी कंपनी बन जाती है. वह तब तक ब्रिटेन के लिए 100 से अधिक युद्धपोत बना चुकी होती है. 1863 में यह परिवार द बांबे बर्मा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड बनाता है. यह भारत की पहली पब्लिक ट्रेडिंग कंपनी बनती है. इसके अलावा यह समूह 1879 में बांबे डाइंग और उसके बाद 1918 में ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज बनाता है. इन बड़ी कंपनियों के अलावे वाडिया समूह के पास कई छोटी-छोटी कंपनियां भी हैं. इसी में से एक आईपीएल टीम पंजाब किंग्म इलेवन भी है.

पारसी परिवार है वाडिया
वाडिया एक पारसी परिवार है. वाडिया ग्रुप के मौजूदा चेयरमैन नुस्ली वाडिया हैं. उनका जन्म 15 फरवरी 1944 को हुआ था. यह समूह एफएमसीजी, टेक्सटाइल और एफएमसीजी सेक्टर में सक्रिय है. फोर्ब्स पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक इस समूह की कुल संपत्ति करीब 4.1 अरब डॉलर यानी 330 अरब रुपये की है. नुस्ली वाडिया, नेविले वाडिया और डीना वाडिया के पुत्र हैं. डीना वाडिया पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की बेटी थीं. मौजूदा चेयरमैन नुस्ली वाडिया के दादा नेस वाडिया 19वीं सदी के एक बड़े कारोबारी रहे. उन्होंने टेक्सटाइल के क्षेत्र में बांबे (मुंबई) को दुनिया में पहचान दिलाई. नुस्ली वाडिया के दो पुत्र हैं- नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया. ये दोनों समूह के कारोबार को देखते हैं.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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