Ancient temple of minor dynasty in Pathari | पठारी में गौण वंश का प्राचीन मंदिर: यहां विराजे हैं भगवान लंबोदर गणेश; श्रद्धालुओं की लगी रहती है भीड़ – Pathari News

विदिशा जिले के पठारी में क्षेत्र का इकलौता प्राचीन गणेश मंदिर में काफी श्रद्धालु पूजा पाठ और दर्शन करने आ रहे हैं। गणेश जी की इस प्रतिमा के बारे में कहा जाता है कि गौण वंश के समय की यह मूर्ति नवाबी शासन काल में निकली थी। कुछ वर्ष पूर्व इस मंदिर का नि
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पठारी के ऐतिहासिक तालाब के किनारे स्थित पूरे क्षेत्र का एकमात्र गणेश मंदिर में प्रतिदिन लोग दर्शन करने आते हैं। यहां भगवान गणेश लंबोदर रूप में विराजमान है। गणेश उत्सव के दौरान यहां पर काफी संख्या में श्रद्धालु पूजा पाठ और दर्शन लाभ ले रहे हैं। अभी इस मंदिर पर लाइट से सजावट भी की गई है । तालाब के इस किनारे को गणेश घाट कहा जाता है।
तालाब किनारे बना है प्राचीन गणेश मंदिर
रिछारिया परिवार कर रहा मंदिर का रखरखाव
तत्कालीन सरपंच के द्वारा मंदिर का निर्माण तो करवा दिया गया था, लेकिन तालाब के पास सुनसान इलाके में होने के कारण यहां पर मंदिर का दुरुपयोग होने लगा था मंदिर के अंदर लोग नहाने के बाद कपड़े बदलना, नशेड़ी लोगों का उठना बैठना प्रारंभ हो गया था, जिस कारण से पठारी के सीताराम रिक्षारिया रवि रिक्षारिया के परिवार ने इस मंदिर के रखरखाव की जिम्मेदारी लेते हुए मंदिर में टाइल्स, दरवाजा, पुताई, साफ सफाई का दायित्व निभा रहे है।

भगवान गणेश की मूर्ति का है रोचक इतिहास
नवाबी शासन काल में यह मूर्ति किले के आसपास रखी हुई थी तो ग्राम के जिम्मेदार लोगों ने गणेश जी की इस मूर्ति को तालाब के किनारे चबूतरा बनवाकर स्थापित कर दी थी। हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष राजेश रिक्षारिया ने बताया कि यह मूर्ति लगभग 400 वर्ष से अधिक पुरानी है पहले यह मूर्ति चबूतरा बनाकर स्थापित कर दी गई थी। खुले में भगवान होने के कारण लोगों की मांग पर 40-50 वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत पठारी के तत्कालीन सरपंच स्वर्गीय प्रताप सिंह ठाकुर के द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया।
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