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BJP को 2 बार बहुमत, कई राज्यों में जीत… NCP के अजित पावर ने की PM मोदी के लीडरशिप की तारीफ

पुणे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 2014 के चुनावों में बहुमत के साथ सत्ता में आई और दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचने में सफल रही. पीएम मोदी की डिग्री और वीर सावरकर के मुद्दे पर एनसीपी के अलग-अलग रुख के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘पीएम मोदी के नाम पर जिस पार्टी के पहले केवल दो सांसद थे, वह दूर-दराज के इलाकों में पहुंच गई और पूर्ण बहुमत से सत्ता में आ गई. तो क्या यह पीएम मोदी का जादू नहीं है?’

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी के खिलाफ काफी टिप्पणियां की गईं, लेकिन उन्होंने लोकप्रियता हासिल की और बाद में उनकी अगुवाई में भाजपा ने विभिन्न राज्यों में जीत हासिल की. पवार ने कहा, ‘2019 में भी यही दोहराया गया. तो नौ साल बाद इन सभी मुद्दों को बाहर निकालने का क्या फायदा? जरूरी यह है कि लोग उनके काम को देखें.’

अजित पवार ने कहा, ‘जहां तक ​​शिक्षा का सवाल है, राजनीति में इसे बहुत जरूरी नहीं माना जाता है. महाराष्ट्र में वसंतदादा पाटिल जैसे पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनका प्रशासन कौशल सबसे अच्छा था. इसे आज तक कोई नहीं भूला है और वास्तव में, पाटिल के शासन के दौरान, कई शैक्षणिक संस्थान और कॉलेज खोले गए.’

एनसीपी नेता ने यह भी कहा कि राजनीति में ऐसी कोई शर्त नहीं है कि कोई विधायक, सांसद या अन्य पढ़ा-लिखा हो. उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए अभी उम्र की शर्त है, लेकिन शिक्षा की नहीं. उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए मुझे उम्मीद है कि मैंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. आप इसका जो भी अर्थ निकाल सकते हैं, यह मेरे लिए कोई चिंता का विषय नहीं है.’

दरअसल, गुजरात उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के सात साल पुराने उस आदेश को बीते 31 मार्च को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था.

सीआईसी के आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय की अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव ने केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और उन्हें चार सप्ताह के भीतर गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (जीएसएलएसए) में राशि जमा करने के लिए कहा.

अप्रैल 2016 में तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु ने दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय को मोदी को प्राप्त डिग्रियों के बारे में केजरीवाल को जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था. तीन महीने बाद, गुजरात उच्च न्यायालय ने सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी, जब विश्वविद्यालय ने उस आदेश के खिलाफ अदालत का रुख किया.

Tags: Ajit Pawar, Narendra modi, NCP


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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