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Success Story: मूंज ने बदली अनारकली की किस्मत! देसी दउरी और हाथ के पंखों की बढ़ी मांग, हो रही बंपर कमाई

Agency:News18 Uttar Pradesh

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Success Story: यूपी के बहराइच जनपद की थारू जनजाति की रहने वाली महिला अनारकली ने कमाल कर दिया है. वह मूंज से तरह-तरह के प्रोडक्ट बनाकर बाजारों में बिक्री कर रही हैं. इसके साथ ही उनके साथ गांव की कई महिलाएं भी जु…और पढ़ें

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मूंज,घास से महिला बना रही है सामग्री!

हाइलाइट्स

  • अनारकली ने मूंज घास से प्रोडक्ट बनाकर गरीबी को मात दी.
  • अनारकली के साथ दर्जनों महिलाएं भी इस काम में जुड़ी हैं.
  • मूंज घास से बने उत्पादों की बाजार में बढ़ी डिमांड.

बहराइच: यूपी के बहराइच जनपद से दूर नेपाल बॉर्डर के किनारे सीमावर्ती क्षेत्र में थारू जनजाति की महिला अनारकली रहती हैं, जो पिछले कई सालों से सींकऔर मूंज से तरह-तरह की सामग्री बनाती हैं. जो देखने मे बहुत ही मनमोहक और टिकाऊ होती है. इसमे डलिया, हैंड बैग, टोपी आदि शामिल है.

जानें मूंज घास की खासियत

उत्तर प्रदेश के बहराइच में महिलाओं ने मूंज घास से अपनी गरीबी को मात दिया है. यहां महिलाएं इससे डलिया, दउरी, गिफ्ट आइटम समेत अन्य सामान बनाकर बाजार के साथ कई जगह बेच रही हैं. इसकी डिमांड भी मार्केट में काफी बढ़ गई है, जिससे महिलाओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है.

थारू जनजाति की महिलाएं करती हैं तैयार

‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’. बहराइच की अनारकली के लिए ये सिर्फ शब्द मात्र नहीं हैं. अनारकली ने अपने हौसलों के दम पर ना सिर्फ गरीबी को मात दी, बल्कि उनकी जैसी कई महिलाओं को भी इन्होंने इस काम में माहिर किया है.

इसके लिए उन्होंने किसी बड़ी कंपनी या उपकरणों का सहारा नहीं लिया. उन्होंने गरीबी के दिनों को दूर करने के लिए अपने हाथ से खेतों में उगने वाली मामूली सी घास को हथियार बना लिया. आज अनारकली के साथ उनके जैसी करीब दर्जनों महिलाएं सिर उठा कर अपना जीवन जी रहीं हैं. यहां तक की उनके बनाए उत्पाद सरकारी दफ्तर से लगाकर मार्केट की दुनिया में भी खूब धूम मचा रहे हैं.

कमजोर आर्थिक स्थिति से थी परेशान

अनारकली अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के मिहिपुरवा स्थित थकीपूरी रमपुरवा गांव में रहती हैं. उन्होंने बताया कि परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते वह काफी परेशान रहती थी. इसके बाद उन्होंने स्वयं सहायता समूह से खुद को जोड़ा. यहां उन्होंने मूंज यानी खेतों में उगने वाली सरपत घास के साथ हुनर सीखा. इससे उन्होंने डलिया, दउरी, गिफ्ट बॉक्स, हाथ का पंखा समेत अन्य सामना बनाना सीखा. आज इनको बनाकर बिक्री कर अच्छा पैसा कमा रही हैं.

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मूंज ने बदली अनारकली की किस्मत! देसी दउरी, गिफ्ट बॉक्स से हो रही बंपर कमाई


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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