नोटबंदी भारत में हुई, भीख पाकिस्तान मांग रहा; देश के पढ़ाए जाने वाले इतिहास में लूप होल | Demonetisation happened in India, Pakistan is begging; Loop hole in the country’s taught history

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सतना33 मिनट पहले
चर्चित गीत ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’ के गीतकार और फिल्मी पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला ने कहा कि हमारे देश में पढ़ाए जा रहे सेलेक्टिव इतिहास में कई लूप होल हैं। हमें यह तो पढ़ाया जाता है कि ताजमहल किसने बनवाया लेकिन यह नहीं पढ़ाया जाता कि सोमनाथ, काशी-मथुरा को किसने उजाड़ा। हमें यह तो पढ़ाया जाता है कि गांधी को किसने मारा लेकिन यह नहीं पढ़ाया जाता कि गुरु तेगबहादुर के बेटों को किसने मारा।
वामपंथियों पर हमला बोलते हुए मुंतशिर ने कहा कि बाएं हाथ से इतिहास लिखने वाले हमें मुगलों की ग्लोरी ही पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन अब पाठ्यक्रम की किताबों से मुगलों के पन्ने कम करने होंगे। खुशी की बात है कि एनसीईआरटी ने इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है।
सतना नगर गौरव दिवस के अवसर पर चल रहे 4 दिनी कार्यक्रमों की श्रृंखला में सोमवार की रात व्याख्यान देने पहुंचे मनोज मुंतशिर शुक्ला ने क्रांतिकारियों की जाति छिपाने वालों को एक बार फिर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुझ पर आरोप लगाने वाले यह क्यों नहीं बताते कि वो चंद्रशेखर आजाद की जाति बताने से क्यों डरते हैं। उन्होंने कहा, शायद वे डरते हैं कि कहीं आजाद, मंगल पांडेय, बाजीराव बलाड़ जैसे योद्धाओं की जाति सुनकर ब्राह्मणों की अस्मिता जाग न जाए।
नोटबंदी भारत में, कंगाल पाकिस्तान हुआ
मनोज ने अपने व्याख्यान के दौरान पाकिस्तान पर भी तीखे कटाक्ष किए। उन्होंने पाकिस्तानी जनरलों के सीने पर लगे मेडल्स पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि भारत से 4 बार युद्ध हारने वाले पाकिस्तानी अपने सीने पर पता नहीं किस जीत और शौर्य के मेडल लगाते हैं। ऐसा लगता है जैसे इन्होंने तोता उड़- चिड़िया उड़ खेलकर अपनी छाती सजाई है। पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए मुंतशिर ने कहा, नोटबंदी हमारे यहां हुई लेकिन भीख पाकिस्तान मांग रहा है। कश्मीर मांगते-मांगते आज पाकिस्तान चावल मांगने की स्थिति में पहुंच गया है।



बिहार के शिक्षा मंत्री को शिक्षा की जरूरत
रामचरित मानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री के दिए विवादित बयान पर भी मनोज मुंतशिर ने प्रतिक्रिया व्यक्त दी। उन्होंने कहा, बिहार के शिक्षा मंत्री को शिक्षा की जरूरत है। ये तो आजकल फैशन बन गया है। ये सब अटेंशन पाने का तरीका है। उन्होंने कहा, भगवान श्रीराम के व्यक्तित्व और चरित्र से हमें सीखना चाहिए। हमारी जिंदगी बदल सकती है। उनका विराट व्यक्तित्व यह सिखाता है कि क्रांति के बिना शांति संभव नहीं है।
जब मिट्टी एक तो वंदे मातरम-राष्ट्रगान से परहेज क्यों?
संवाद लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर मनोज मुंतशिर ने देश के लिए कुर्बान हुए शहीद फौजियों और सियाचीन की बर्फ में भी सीना ताने खड़े जवानों का याद करते हुए कहा कि आज किसी थियेटर में 52 सेकेंड के राष्ट्रगान के लिए खड़े होने पर लोग परहेज करते हैं, अधिकार की बात करते हैं लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि सियाचीन में भी कोई इसलिए खड़ा है ताकि वो सो सकें। अगर उसने भी ऐसा ही सोच लिया तो कुर्सियां खिसक जाएंगीं। उन्होंने कहा कि देश में कुछ लोगों को वंदे मातरम कहने से परहेज है जबकि सब एक ही मिट्टी के हैं। जब मिट्टी एक, देश एक तो फिर क्या हिन्दू और क्या मुसलमान। वंदे मातरम तो सबको कहना चाहिए।
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